लावारिश शहर

सिद्धार्थ जैन
सिद्धार्थ जैन
लो…! फिर से लगा कि अपने इस ऎतिहासिक शहर ब्यावर का कोई धणी धोरी ही नही दिखता। सब राम भरोसे हे। राज्य सरकार ने पुलिस उप अधीक्षको के स्थान्तरण की भारी भरकम सूचि हाल ही में जारी की। वह आंकड़ा सैकड़ा से भी पार कर गया। जबकि अपना शहर ब्यावर राजस्थान में 13वें नम्बर पर शुमार होता बताया जाता रहा हे…! उसकी ऐसी दुर्दशा…! सरकार को यहाँ रिक्त चल रहे पद के लायक डिप्टी मिला ही नही…?

राज्य सरकार ने काम काज में गति लाने के लिहाज से पूरे राज्य में एस डी ओ के पद बढ़ा दिए थे। ब्यावर को भी इसी आधार पर विभक्त कर दिया गया था ( मसुदा sdo )। लेकिन शहर का सी ओ एक ही रखा गया। जिसका मुख्यालय ब्यावर हे। ब्यावर को राज्य के अति सम्वेदन क्षेत्रो में सम्मिलित किया गया हे। इसी से यहाँ आई पी एस की नियुक्ति को वरीयता होती हे। एस पी सिंह, एन आर के रेड्डी, श्रीनिवास राव जंगा, विनीता यादव, उमेश दत्ता आदि दमंग आई पी एस अधिकारियों को ब्यावर आज भी याद करता हे।

कई नजरों से सम्वेदनशील यह क्षेत्र विगत लम्बे अरसे से सी ओ की पोस्टिंग से वंचित हे। राज्य सरकार ब्यावर में शायद फिर किसी बड़े हादसे की इन्तजार में हे…! ब्यावर सी ओ की रेंज में ब्यावर व मसूदा विधान सभा क्षेत्र आते हे। दोनों जगह सत्ता पक्ष के विधायक हे। दोनों ही राज्य की मुखिया की नजदीकी का दम्भ भरते हे। तो फिर ब्यावर को किसके भरोसे लावारिश छोड़ रखा हे…? कही इन दोनों ही नुमाइंदों की किसी अहम की लड़ाई में फ़ुटबाल तो नही बन रहा हे यह पद!

अब…! नगर परिषद का हाल ले लीजिये। यहाँ भी आयुक्त का पद खाली पड़ा हे। शहर के आम आदमी का काम काज नगर परिषद से ही जुड़ा हुआ हे। इसकी दुर्दशा के चर्चे आम जन जीवन की जुबान पर होने लगे हे। भ्रष्टाचार का आलम यह हे कि लोग पुरानो को बिसराने लगे हे। आमतोर पर राजनेता इस पद पर अपनी “कठपुतली” को ही बिठाने की जुगत मे लगे रहते हे। नये आयुक्त की पोस्टिंग भी कही न कही इसी पेंच में उलझी हुई दिखती हे। होना तो यह चाहिए कि इस पद पर किसी ऐसे काबिल अफसर को लाया जाना चाहिए कि आम लोग भ्रष्टाचार मुक्त वातावरण में “अच्छे दिनों” के आनन्द की अनुभूति कर सके…!!!!!!!
सिद्धार्थ जैन पत्रकार, ब्यावर।
094139 48333

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