पत्रकारिता के इस पुरोधा को नमन

अखिलेश शाह
अखिलेश शाह
जीवन में बहुत कुछ खोया और बहुत कुछ पाया है…जिन्हें पाया…उनमें से एक अखिलेश शाह भी थे…अखिलेश जी मेरे लिए एक पत्रकार ही नहीं थे…वे मेरे परिवार के संरक्षकों में शामिल थे…पत्रकारिता में जिनसे जो भी सीखा उनमें ये भी एक थे…अख़बारों की नोकरी के दौरान बीट सिस्टम के चलते उतनी परिपक्वता नहीं आ सकी थी…हमें चंद विभागों की ख़बरें लिखनी होती थी…जब इंडिया टुडे में था…तब खाली समय में अखिलेश जी के ऑफिस जाया करता था…कम्पोजिंग न आने की वजह से अक्सर वे मुझे खबर लिखने के लिए कह देते थे…मेरे लिए यह मामूली काम था…लिहाज़ा करने लगा…इसके पीछे मुझे मेरा भी स्वार्थ नज़र आने लगा था…वहां राजनीतिक और क्राइम के साथ साथ सभी विभागों की ख़बरें लिखनी होती थी…सीखने के स्वार्थ ने लगन लगा दी…रोज़ शाम होते ही पहुँच जाता पत्रिका के दफ्तर…रफ्ता-रफ्ता साल भर गुज़र गया…पता भी न चला…उनके साथ काम करने में पारिवारिक माहौल मिलता था…परिणाम रहा कि साल भर में सभी तरह की खबरें लिखने में पारंगत हो गया…किसी भी तरह की खबर लिखना चुटकी का खेल लगने लगा…अखिलेश अंकल कब दोस्त बन गए पता ही नहीं चला…जब भी मिलते घर परिवार वालों की खैर खबर जरूर पूछते…पत्रकारिता के हर अच्छे बुरे दौर में बिना किसी लाग लपेट के हमेशा साथ खड़े मिले…मुझे लेकर उनका नजरिया हमेशा पारिवारिक होता था…खबर के कई मामलों में वे शहर के हर इंसान को मिलने वाला कहकर टाल जाते थे…जहां तक मैं समझता हूँ उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में कभी ओछी मानसिकता नहीं रखी…सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी वे सदैव सक्रीय रहते थे…मुझे अच्छे से याद है…जब केकड़ी में तनाव हुआ था…तब पुलिस ही नहीं किसी की भी भट्टा क्षेत्र में जाने की हिम्मत नहीं हो रही थी…वे बेबाकी से इलाके में घुस गए और समझाइश कर वापस लौट आए…किसी ने उनको तू तक नहीं कहा…यह लोगों में उनके प्रति सम्मान और लगाव ही तो था…हॉकी बचपन से उनका प्रिय खेल था…हमेशा बिंदास और सहज रहना उनकी प्रकृति में शामिल था…बड़े से बड़े तनाव में भी कभी उन्हें असहज होते नहीं देखा…ज़िन्दगी का हर मैच जीतने स्पोर्ट्स मैन अखिलेश शाह नियति के खेल के आगे हार गए…उनके असामयिक निधन की खबर ने झकझोर दिया…अब भी यकीन नहीं होता…वे नहीं रहे…शहर में उनके जाने की खबर सुनकर हर कोई स्तब्ध था…दुर्भाग्य था कि केकड़ी में न होने की वजह से उनकी अंतिम यात्रा में भी शामिल न हो सका…उनके जाने से हमने एक दोस्त और संजीदा पत्रकार ही नहीं पारिवारिक संरक्षक खो दिया है…पत्रकारिता के इस पुरोधा को नमन करता हूँ…ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें…वे सदैव हमारे दिलों में जीवंत रहेंगे…अखिलेश जी को विनम्र श्रद्धांजलि !

कमलेश केसोट

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