क्या वाकई देवनानी और भदेल की छुट्टी होने वाली है?

a bhadel-devnaniएक बार फिर सोशल मीडिया पर अजमेर के दोनों मंत्रियों प्रो. वासुदेव देवनानी व श्रीमती अनिता भदेल की छुट्टी होने का समाचार चल रहा है। इससे पहले भी इस आशय का समाचार दिल्ली की एक न्यूज एजेंसी जारी कर चुकी है। हालांकि सोशल मीडिया की विश्वसनीयता नहीं है क्योंकि वहां कोई भी किसी भी मकसद से किसी भी प्रकार का समाचार जारी कर देता है, जिसकी कोई जवाबदेही नहीं होती, मगर फिर भी वह नोटिस लेने लायक इस कारण है कि जरूर तिल तो है ही, वरना ताड़ नहीं बनता। जरूर कुछ न कुछ सुगबुगाहट है, वरना हवा में इस प्रकार अफवाह की अबाबील नहीं उड़ सकती।
हाल ही जारी समाचार के अनुसार राज्य के वसुंधरा राजे मंत्रीमंडल के चार मंत्रियों का हटना तय है, जिसे कि आलाकमान ने भी हरी झंडी दे दी है। हटने वाले मंत्रियों में कालीचरण सर्राफ, राजपाल सिंह शेखावत, श्रीमती अनिता भदेल व प्रो. वासुदेव देवनानी शामिल हैं। इसमें यह भी बताया गया है कि देवनानी के स्थान पर जातिगत समीकरण को देखते हुए श्रीचंद कृपलानी को मंत्री बनाना तय हो गया है। मंत्रीमंडल का पुनर्गठन आगामी 12 जुलाई को होना बताया गया है।
असल में देवनानी संघ कोटे से मंत्री बनाए गए हैं, और संघ लॉबी में दमदार मौजदूगी भी है, इस कारण उनको हटाए जाने की बात यकायक गले नहीं उतरती, मगर पिछले दिनों पाठ्यपुस्तकों से देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के संदर्भ हटाए जाने और एक शिक्षा कर्मी के तबादला उद्योग के शिकंजे में आ कर आत्महत्या करने और सीधा देवनानी के पीए पर आरोप होने के कारण देवनानी विवाद में आए। हालांकि नेहरू प्रकरण में तो उन्होंने संघ के एजेंडे को ही पोषित किया है, मगर बताया जाता है कि संघ में भी एक लॉबी उनके खिलाफ है। समझा जाता है कि अगर संघ के दबाव में उन्हें नहीं हटाया जा सका तो कम से कम उनका विभाग तो बदला ही जा सकता है। उनके स्थान पर श्रीचंद कृपलानी को लेने की बात इस कारण गले उतरती है क्योंकि भाजपा मानसिकता के सिंधी समुदाय को नाराज नहीं किया जा सकता। दूसरा श्रीचंद कृपलानी लगातार मंत्री बनने की जुगत भिड़ा रहे हैं। इसी कारण उन्होंने विरोध स्वरूप यूआईटी की चेयरमेनशिप भी ठुकरा दी थी।
इसी प्रकार श्रीमती भदेल का नाम केवल और केवल इस कारण आया क्योंकि पिछले नगर निगम चुनाव में उनका परफोरमेंस खराब रहा। जिस प्रकार उनकी पकड़ कोली समुदाय में कमजोर साबित हुई है, उसी को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार भाजपा कोई और जातीय कार्ड खेल सकती है। दोनों मंत्रियों के बीच छत्तीस का आंकड़ा होने के कारण अजमेर की भाजपा में सदैव चल रही खींचतान को भी दोनों को हटाए जाने का आधार माना जा रहा है। गौर करने लायक एक बात ये भी है कि आगामी 15 अगस्त को राज्य स्तरीय स्वाधीनता समारोह अजमेर में होना है और उसमें वसुंधरा स्वयं आएंगी, तो क्या इससे पहले दोनों मंत्रियों की छुट्टी कर दी जाएगी।
बहरहाल देखते हैं कि यह समाचार, जिसे कि अफवाह की ही संज्ञा दी जानी चाहिए, कितना सही साबित होता है।
-तेजवानी गिरधर
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