आखिर सख्त होना पड़ा वंदना नोगिया को

vandana nogiyaआरंभ से लो प्रोफाइल रही जिला प्रमुख वंदना नोगिया नौसीखियेपन, सदाशयता और भोलेपन का अधिकारियों ने जब ज्यादा ही नाजायज फायदा उठाना शुरू कर दिया तो आखिर उन्हें सख्त होना पड़ा। उन्होंने प्रत्येक बुधवार को जिला परिषद कार्यालय में होने वाली जिला प्रमुख जन सुनवाई में अधीनस्थ सभी पांचों विभागों के अधिकारियों को उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं। ज्ञातव्य है कि कई बार विधायक भी जरूरी बैठकों से नदारद रहते हैं। शायद उन्हें अपने से बहुत कम उम्र की जिला प्रमुख की अध्यक्षता में भाग लेने में शर्म आती है।
हालांकि यह सही है कि वंदना नोगिया कम उम्र और नई नवेली हैं, मगर वे जिला प्रमुख की हर गतिविधि का गहराई से अध्ययन कर रही हैं और ज्यादा ध्यान मॉनिटरिंग पर दे रही हैं। जनसुनवाई के दौरान उन्होंने अनियमितताओं के कई मामले उजागर किए हैं। कदाचित वे पहली ऐसी जनप्रतिनिधि होंगी, जो कि विभागीय लापरवाही को उजागर कर उसका समाधान करने की कोशिश करती हैं। वरना आम तौर पर जनप्रतिनिधि अपने अधीनस्थ विभाग की कमियों को छुपाते हैं और केवल उपलब्धि का ही बखान करते हैं। बहरहाल, वंदना नोगिया जनसमस्याओं के निराकरण के प्रति जितनी सजग हैं, उनके अधीनस्थ आने वाले विभागों के अधिकारी उतने ही लापरवाह हैं। या फिर वंदना के कमजोर राजनीतिक कद की वजह से जानबूझकर लापरवाह बने हुए हैं। और यही वजह है कि कई विभागों द्वारा अपने अधिनस्थ अधिकारियों को भिजवाने से ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान नहीं हो पा रहा। शिक्षा, चिकित्सा, महिला एवं बाल विकास विभाग, समाज कल्याण विभाग एवं कृषि विभाग के जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा कार्यालय प्रतिनिधि के तौर पर उपस्थित अधिकारियों एवं कर्मचारियों को जिला परिषद जनसुनवाई में भेजने के मामले को वंदना नोगिया ने गंभीरता से लिया गया है। उन्हें निर्देश जारी करने के साथ इतना भी आगाह करना पड़ा कि जन सुनवाई में अनुपस्थित रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही की जायेगी।
-तेजवानी गिरधर
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