पुष्कर गर्ल्स स्कूल में स्टाफ की कमी के चलते छात्राओ का भविष्य अन्धकार में

राकेश भट्ट
राकेश भट्ट
◆ *6 लेक्चरर , 1 सेकण्ड ग्रेड टीचर सहित 1 पी ऑन की कमी ।*
◆ *सांइस – मैथ्स फेकल्टी नहीं होने से छात्राएं निराश , मजबूरी में बॉयज़ स्कूल या अजमेर में लेना पड़ रहा है एडमिशन ••*

वैसे तो धार्मिक नगरी पुष्कर देश और दुनियाभर में अपनी एक अलग पहचान रखता है । पर्यटन और आध्यात्मिक नगरी के लिए यह पूरे विश्व में जाना जाता है । इसी के चलते यहाँ की हर छोटी बड़ी समस्याओं को हल करने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और राज्य सरकार तक तत्पर रहते है ।

लेकिन यह शायद पुष्कर की लड़कियो का दुर्भाग्य है की शिक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में ना तो स्थानीय जनप्रतिनिधि गंभीर है और ना ही जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी । बीते लंबे समय से स्टाफ की कमी को झेल रही पुष्कर की राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में आज भी स्थिति जस की तस बनी हुई है ।

विद्यालय प्राचार्या श्री मति वीणा गर्ग की माने तो वर्तमान समय में इकोनॉमिक्स , ज्योग्राफी , पॉलिटिकल साइंस , इंग्लिश , और व्यावसायिक प्रबंधन विषयो के लेक्चरर के पद खाली पड़े है । हिंदी विषय पढ़ाने वाली लेक्चरर भी अगले महीने वीआरएस लेकर रिटायर हो रही है । जिसके बाद स्थिति और विकट हो जायेगी । संस्कृत पढ़ाने के लिए भी एक सेकण्ड ग्रेड टीचर की कमी खल रही है । स्टाफ की कमी का आलम यह है कि लड़कियो को सोशल स्टडीज करवाने के लिए सेकण्ड ग्रेड के अनुभवी अध्यापको की जगह थर्ड ग्रेड के टीचर से काम चलाना पड़ रहा है ।

वर्तमान समय में विद्यालय में लगभग 700 छात्राएं पढ़ाई कर रही है । जिनको पढ़ाने के लिए 5 लेक्चरर , 5 सेकण्ड ग्रेड टीचर , 5 थर्ड ग्रेड टीचर और 3 पी ऑन नियुक्त है । जब की अभी भी 6 लेक्चरर और 1 सेकण्ड ग्रेड टीचर की पोस्ट खाली पड़ी है । यही वजह है कि लाख कोशिशो के बावजूद विद्यालय मनचाहा परीक्षा परिणाम नहीं दे पा रहा है ।

आपको जानकार हैरानी होगी की पिछले 15 सालो से इस विद्यालय में सांइस और मैथ्स फेकल्टी पढ़ाने वाले अध्यापक ही नहीं है । जिन लड़कियो को इन विषयो की पढाई करनी होती है उन्हें मजबूरन या तो बॉयज़ स्कूल में पढ़ना पड़ता है या फिर रोजाना अजमेर आना जाना पड़ता है । कई लड़कियां को तो ना चाहते हुए फिर आर्ट्स या कॉमर्स सब्जेक्ट लेना पड़ रहा है ।

बालिका स्कूल की स्थिति देखकर लड़कियो के माता पिटा भी परेशान है । उन्हें समझ नहीं आ रहा है की आखिर वो अपनी फरियाद कहे तो कहे किसे ।

*राकेश भट्ट*
*प्रधान संपादक*
*पॉवर ऑफ़ नेशन*

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