प्रजातन्त्र में विधायक का दर्जा ऊँचा होता हे। संविधान में भी जनप्रतिनिधी के प्रोटोकोल की सीमा को बहुत ही सम्मानजनक तरीके से रेखांकित किया गया हे। इस तरह लोकतंत्र में विधायक का कद किसी भी स्तर के अधिकारी से बड़ा हो जाता हे। अधिकारी विधानसभा के प्रति जवाबदेह होता हे। जिसका विधायक सदस्य होता हे। ऐसे में अधिकारी की विधायक के प्रति भी सीधी सीधी जवाबदेही बनती हे कि नही…? और… जहाँ सत्तापक्ष का विधायक हो वहां उसका रुतबा स्वतः ही ज्यादा हो जाता हे। ऐसा आम आदमी का भी मानना हे। ब्यावर क्षेत्र में विधायक, न प चेयरमेन व प स प्रधान सत्तापक्ष की ही रहनुमाई कर रहे हे। फिर *चेयरमेन-प्रधान विधायक की ही पसंदीदा के बनाये गये हे। ऐसे में इनकी लापरवाही-अनदेखी-भ्रष्टाचार आदि आदि के लिए भी विधायक की ही जवाबदेही हो जाती हे।
जिला कलेक्टर ने हाल ही ब्यावर का दौरा किया। जाहिर हे स्थानीय पीड़ित जिले के आका के सामने अपनी परेशानयो का पिटारा खोलते। उपखण्ड अधिकारी ने उनको इससे दूर रखने का प्रयास भी किया। लेकिन विधायक ने उनके मंसूबो पर पानी डाल दिया। एक दृष्टि से विधायक ने ऐसा कदम उठा कर पीड़ितो को सहयोग करने का अपना धर्म निभाया। लेकिन वे इस आपाधापी में गच्चा खा गये। *वे जिला कलेक्टर को अपनी ही बनाई गई चेयरमेन की कारगुजारियों को दिखाने शहर में निकल पड़े।* इनमे कुछ ऐसी समस्याए थी जिनमें कलेक्टर बेबस थे। वही कुछेक ऐसी थी जिनमे समय रहते अगर *विधायक आँख दिखा देते।* शहर को शुकून मिल जाता।
अब जरा एक नजर उन समस्याओं पर डाल ले। बस स्टेण्ड को ही ले। आज से ही नही। *कई सालों से यह केन्द्रीय बस स्टेण्ड लावारिश ही हे।* ईमानदारी से प्रयास होते। राज्य सरकार से इमदाद मिल जाती। पूरे राज्य की बसे यहाँ होते हुए जाती हे। समूचे राजस्थान में हमारा सिर शर्म से झुक जाता हे। कलेक्टर के आगार प्रबन्धक की क्लास लेने से क्या हो जाएगा.? मिशन ग्राउण्ड के पास *जे सी टावर* नगर परिषद से चन्द मीटर की दुरी…!! यह बन रहा था जब क्या सब *सूरदास* बन गये थे। नगर परिषद की लापरवाही इस कद्र रही कि अब *इसे न निगलते बन रहा हे और न ही उगलते…!* चलो मान लिया यह बनकर तय्यार हे। इसके आगे कुछ ही दुरी पर दो टाँवर अभी शैशव अवस्था में ही हे। *विधायक ने कलेक्टर से फरियाद की।* पड़ौस की धोबी बिल्डिंग से सूत डालने की बात की। विधायक ने दोनों ही टाँवर के सड़क में आगे तक आ जाने की योजना की शिकायत की। जीरो सेट बेक होने का भी दुखड़ा बताया।
फिर चांगगेट पर भारी अतिक्रमण!! मुख्य बाजार में बीच सड़क पर *डिवायडर केंसर*…! क्सावान मोहल्ले में अवेध रूप से पाड़े काटे जाने की शिकायते…? यह सब जानकर कलेक्टर भी हैरत में पड़ गये होंगे। बस स्टेण्ड को छोड़ कर सभी समस्याए नगर परिषद लेवल की ही तो हे। फिर वहां भी भाजपा का ही बोर्ड हे। *राज्य की मुखिया की मनाही के बावजूद विधायक ने अपने बूते पर चेयरमेन पद पर अपनी पसंदीदा पार्षद को काबिज करने का जज्बा दिखाया।* *तब हर किसी ने विधायक का लोहा माना।* क्या अब उनकी बनाई चेयरमेन ही उनके कहने में नही हे…??
चांगगेट पर तमाम विरोधो के बावजूद *विशाल भूखण्ड कोड़ियो के दाम किराए पर किसने दिया.. ? सकड़ी गलियों में काम्पलेक्स क्या नगर परिषद की स्वीकृति के बिना ही धड़ाधड़ बन रहे हे…? क्या उक्त दोनों ही टाँवर बनते हुए चेयरमेन-आयुक्त को नही दिख रहे हे…? हेरत की बात हे कि आयुक्त जेसे पद पर नप के एक कनिष्ठ अधिकारी को बिठा रखा हे…! विधायक कलेक्टर को शहर में घुमाकर जनता को आखिर क्या दिखाना चाहते हे…??* जनता बहुत कुछ समझती हे। हमे उसे नादान समझकर नही चलना चाहिए। *इन सब पर लगाम कसना विधायक के बूते में ही हे। अन्य और कोई भी समर्थ नही हे। हाँ…!!! नही तो फिर जनता जनार्दन तो हे ही…!!! जन प्रतिनिधी इस पर मनन करे। मंथन करे।
सिद्धार्थ जैन पत्रकार, ब्यावर (राजस्थान)
094139 48333