स्मार्ट सिटी मे कामों की गुणवत्ता पर रहे ध्यान

ओम माथुर
ओम माथुर
आखिर अजमेर स्मार्ट सिटी बनने के लिये चुन लिया गया। अमेरिका मे ओबामा और pM नरेंदर मोदी ने करीब पौने दो साल पहले अजमेर को अमेरिका के सहयोग से स्मार्ट बनाने का एलान किया था। लेकिन तकनीकी पेच ऐसे फंसे कि हमसे पहले 33 शहर स्मार्ट बनने के लिए चुन लिए गए और हमारा नंबर तीसरी लिस्ट मे आया।
खैर देर आयद दुरूस्त आयद। अगले पांच साल में 1947 करोड़ रूपए खर्च होंगे और शहर के 13 वार्ड विकसित होंगे। लोगों के सामने ये सवाल है की 60 मे से 13 वार्ड विकसित करके पूरा शहर स्मार्ट कैसे बनेगा। क्योकि बाकी वाडो के विकास के लिये कोई बड़ी योजना भी नहीं है। लेकिन इससे भी बडी चिंता इस बात की है की क्या स्मार्ट सिटी के लिए मिलने वाले पैसों का सही उपयोग होगा और होने वाले काम गुणवत्ता वाले होंगे? बीते कुछ साली मे अजमेर को कई योजनाओं मे अरबों रुपये मिले हैं। लेकिन शहर की हालत मे कोई खास सुधार नही आया है। जो काम हुए हैं,उनमें गुणवत्ता का कोई ख़याल नही रखा गया और एक तरह से वो पैसा बरबाद हो गया। उम्मीद की जानी चाहिए की इस बार 19 अरब से ज्यादा रक़म का इस्तेमाल इस तरह होगा की काम सालोँ तक टिके रहेंगे।
सरकारी अफसरों और नेताओं की ईमानदारी पर लगातार उठा रही अंगुलियां और भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण लोग स्मार्ट सिटी को इन दोनों के लिये जेब भरने का भी बड़ा अवसर मान रहे हैं। आज दिन भर लोगो मे ये चर्चा भी रही की 1947 करोड़ रुपये मे से कितना पैसा कमीशनबाजी मे निपट जायेगा और कितना वाकई काम आएगा। आखिर काम की गुणवत्ता से समझौता तभी तो होता है,जब नेता और अफसर दूसरे समझौते कर लेते हैं। और फिर भुगतना शहर और लोगों कै पडता हैं।

ओम माथुर। 9351415379

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