सही मायने मे किस्मत के धनी हे महापौर गहलोत

gehlotसही मायने मे अजमेर के महापौर धर्मेंद्र गहलोत किस्मत के धनी हे ।रेलवे मे टाइपिस्ट पदमचंद के सुपुत्र धर्मेंद्र का जन्म 29 मार्च 1966 को हुआ।बचपन मे कभी किसी खेल मे कभी नहीं हारे ।चुपमछुपायी मे कभी नहीं हारे।1980 मे पहली बार दयानंद स्कूल मे प्रदानमंत्री बने और यही से धर्मेंद्र ने राजनीती मे कदम रखा और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा ।दयानंद स्कूल के साथ पड़ने वाले लोग आज भी इस बचपन की क़ाबलियत को याद करते हे ।उस के बाद धर्मेंद्र gca मे विद्यार्ती परिषद् से जुड़े ।और 1990 मे llb मे लॉ परिषद् के अध्य्क्ष बने । और 1991 मे गहलोत को मात्र 15 दिन हुए थे वकील बने और उन्होंने 15 साल से बने वकील को हरा दिया ।किसमत के धनी रहे गहलोत ने पहला चुनाव 2000 मे लड़ा।और उस समय कांग्रेस के गड रहे जगह से चुनाव लड़ कांग्रेस प्रतियासी की जमानत जब्त करवा दी।पहली बार पार्षद बने धर्मेंद्र गहलोत का सामना उपसभापति के चुनाव मे सुरेंद्र सिंह शेखावत से हुआ ।उपसभापति कौन बने दोनों के बीच चुनाव हुआ और दोनों को 19 -19 मत मिले और निर्णय हुआ ढाई ढाई साल दोनों उपसभापति रहेंगे और लॉटरी मे पहला नाम जो ढाई साल उपसभापति रहेगा नाम आया धर्मेंद्र गहलोत का ।।ढाई साल पूरे हुए और प्रदेश अध्य्क्ष माथुर ने बोला गहलोत ही अपना पूरा कार्य काल करेंगे ।
।2003 मे पहली बार गहलोत ने चंपालाल जी महाराज को tv पर देखा पर उन को कोई विश्वास नहीं हुआ ।राजगढ़ धाम से मुख्या अतिथि का निमंत्रण आया गहलोत के पास ।गहलोत अपनी पत्नी हेमा के साथ बेमन राजगढ़ गए पर जब महाराज को देखा तो उन के हो कर रह गए ।और आज तक सब उन की कृपा मानते है ।
2005 मे फिर गहलोत ने चुनाव लड़ा और फिर कांग्रेस प्रत्याशी को भारी मतों से हराया।उस समय फिर किसमत का साथ दिया गहलोत ने ।जनरल सीट पर सभापति बन गए वो भी बागी हुए सुभाष खंडेलवाल को हरा कर ।33 वोट मिले गहलोत को और 7 वोट मिले खंडेलवाल को और बन गए सभापति ।
किसमत के धनी गहलोत पहली बार सभापति से महापौर बने ।प्रथम महापौर मे अपना नाम दर्ज कराया और बोर्ड के अंतिम सभापति मे अपना नाम दर्ज कराया।
पुलिस से झगड़ा होने के बाद केस पर नोटिस आया और जिस केस मे 1 या 2 दिन तक जमानत नहीं होती उस मे कुछ घंटों मे जमानत हो गयी और वो दिन था करवा चौथ का और उन की बीबी हेमा गहलोत ने अन्नं जल त्याग रखा था ।और उस दिन जमानत मिलते दोनों सीधे राजगढ़ गए लाठी चार्ज मे भी लाठिया टूट गयी पर गहलोत को कोई भारी चोट नहीं आयी ।
2015 मे फिर सामान्य सीट पर गहलोत अपना कब्जा जमाने मे सफल रहे और जिस को अपना चार्ज दिया उस से अपना चार्ज वापस लिया यानि बाकोलिया जी से ।
उस समय भी सुरेंद्र सिंह और गहलोत आमने सामने थे परंतु फिर किसमत ने साथ दिया और गहलोत महापौर बन गए ।और लॉटरी मे पर्ची भी गहलोत के नाम की खुली
दोनों के बीच केस दर्ज हुआ और केस चला और फिर किसमत का साथ दिया गहलोत का और वो केस जीत गए ।।सही मायने मे धर्मेंद्र गहलोत किसमत के धनि हे
चंपालाल जी मे अटूट विश्वास के कारण उन्होंने अपने घर का नाम भैरव कृपा रखा ।हर महीने उन के दर पर जाने वाले गहलोत को 5 साल राज करने का आशिर्वाद दिया और कोई हरा नहीं सकता का भी आशिर्वाद दिया ।
धर्मेंद्र गहलोत अपनी सफलता का श्रेय अपने गुरु ,बीबी की शक्ति और दोस्तों का साथ को देते है और यही कहते हे की हरदम सचाई की जीत होती है

रनित गहलोत की फेसबुक वाल से साभार

error: Content is protected !!