मेरे साजन हैं उस पार, कैसे पहुंचूं पार ?

16174857_10202858698546233_2452203050902715504_nकाली सड़क पर सफ़ेद पट्टियां बड़ी सुन्दर दिखाई देती हैं । पर सुंदरता बढ़ाने से ज्यादा इनका उपयोग पैदल यात्रियों को सुगमता और सुरक्षा से सड़क पार पहुँचाना और पैदल पार करने के स्थान सुनिश्चित कर वाहनों को भी असुविधा और दुर्घटना से बचाना है । देखने वाली बात ये है कि क्या ये ज़ेबरा क्रासिंग पैदल व्यक्ति को सड़क पार ले जाएगी ? इसके तुरंत बात लगे स्पीड ब्रेकर के कारण सभी वाहन इस क्रासिंग के ऊपर आकर ही धीमे होते हैं और पैदल के लिए इस पर निकलना संभव ही नहीं ।
पूरी दुनिया में ज़ेबरा क्रासिंग बिना अवरोध के सड़क के आर पार तक होती हैं और वाहन ज़ेबरा क्रासिंग से पहले ही स्टॉप लाइन पर रुकते हैं ताकि पैदल यात्री ज़ेबरा क्रासिंग के ऊपर चल कर सड़क पार कर सकें । अजमेर शहर में अधिकतर ज़ेबरा क्रासिंग ऊपर तस्वीर में दिखाए अनुसार ही हैं जो की सड़क के मध्य में लगी डिवाइडर दीवार में जा के मिलती हैं । कई जगह, जैसे गांधी भवन, पर तो ज़ेबरा क्रासिंग के बीच में रेलिंग भी है । बहरहाल यह विषय ट्रैफिक इंजीनियरिंग और प्रबंधन का है और सुधार की गुंजाइश हमेशा है । पैदल यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा बनाये रखना एक बहुत बड़ी techno-social चुनौती है । काली सफ़ेद पट्टियां लगाकर गर्दभ से ज़ेबरा बन जाने प्रक्रिया में बहुत सी सारगर्भित सोच और जिम्मेदारियां भी छुपी हैं ।

अजमेर के सुपरिचित इंजीनियर व बुद्धिजीवी अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार

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