शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने किया स्कूली बच्चों को भगवान परशुराम को पढ़ाने का ऐलान
ब्राह्मण समाज के बारे में शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी की कथित टिप्पणी को लेकर आंदोलनरत ब्राह्मणों को खुश करने के लिए देवनानी ने परशुराम जयंती के मौके पर ही ऐलान कर दिया कि स्कूली बच्चों को भगवान परशुराम के बारे में पढ़ाया जाएगा। मगर इसके बावजूद आंदोलनकारी ब्राह्मण शांत नहीं हुए हैं। अपितु वे इसे राजनीतिक जुमला करार दे रहे हैं और ये सवाल भी कर रहे हैं कि परशुराम जी की याद आज ही आनी थी क्या? उन्होंने समानांतर कार्यक्रम करने की भी निंदा की।
ज्ञातव्य है कि आंदोलनरत ब्राह्मणों के अपने आराध्य देव भगवान परशुराम जयंती के मौके पर और उग्र होने की आशंका थी। ऐसे में संघ ने तोपदड़ा में भारतीय शिक्षा मंडल अजमेर महानगर चितौड़ प्रांत के बैनर पर परशुराम जयंती का आयोजन किया, जिसमें देवनानी को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया, ताकि यह संदेश नहीं जाए कि परशुराम जयंती के मौके पर समाज ने उन्हें अलग-थलग कर दिया। इस कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में संघ के नेता व जाने-माने व्यवसायी सुनीलदत्ता जैन थे, जबकि अध्यक्षता प्रसिद्ध शिक्षाविद् डॉ. बद्रीप्रसाद पंचोली ने की। इसी आयोजन में विप्र फाउंडेशन युवा मंच शहर जिला अध्यक्ष श्याम कृष्ण पारीक और सभी पदाधिकारियों ने देवनानी से मुलाकात कर भगवान परशुराम का अध्याय पाठ्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया, जिसे देवनानी तत्काल ने स्वीकार कर लिया। इस पर विप्र फाउंडेशन युवा मंच शहर जिला अजमेर ने उनका आभार जताया। वाकई यह एक बड़ी घोषणा है, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि देवनानी का ब्राह्मणों के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है, इसी कारण उनके आराध्य देव भगवान परशुराम के बारे में एक पाठ स्कूलों में पढ़ाने की मांग को मान लिया है। इस घोषणा के लिए मौका भी भगवान परशुराम जयंती का चुना गया। ऐसा लगता है कि यह सब पूर्व नियोजित था।
बहरहाल, जैसे ही यह खबर इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए प्रकाश में आई तो सोशल मीडिया पर भी छा गई। हालांकि त्वरित टिप्पणी में आंदोलन से जुड़े नेताओं ने अपने ही समाज के कुछ साथियों के इस कृत्य को अन्यथा लिया और उनके बारे में कई तरह की टिप्पणियां की जा रही हैं और आंदोलन को और तेज करने की बात कर रहे हैं, मगर देवनानी का यह पैंतरा काम भी कर सकता है। एक प्रकार से उन्होंने ठंडे छींटे डालने की कोशिश की है।
इतना ही नहीं उन्होंने परशुराम जयंती के मौके पर एक संदेश भी जारी कर मामले का डाइल्यूट करने की कोशिश की है। संदेश में लिखा है कि अन्याय, अत्याचार पर न्याय और सदाचार की विजय के प्रतीक, शस्त्र और शास्त्र का समुचित समय पर सटीक उपयोग का संदेश देने वाले भगवान परशुराम के जन्मोत्सव पर सभी न्याय के पक्षधर मेरे अपनों को अनेकानेक शुभकामनाएं। अक्षय तृतीया का भी संदेश साफ है। समाज भी अक्षय रहे। भगवान श्री परशुरामजी पीडि़त मानवता को समर्थ बनायें और न्याय के लिए हमें लङने में सक्षम बनायें यहीं उनके श्री चरणों में प्रार्थना है।
देवनानी को उम्मीद होगी कि इससे कम से कम गुस्से की तीव्रता में कमी तो आ ही जाएगी, बाकी तो आगे भगवान मालिक है कि अपने विशिष्ट स्वभाव वाले भगवान परशुराम को मानने वालों का गुस्सा कब शांत होगा?
-तेजवानी गिरधर
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