मेरे शहर के स्वार्थी लोग

हेमेन्द्र सोनी
हेमेन्द्र सोनी
एक बार फिर जनता के लिए एक ओर सिरदर्द वो है पानी का अनाप शनाप बिल । जल उपभोक्ताओं की इस पीड़ा के समाधान के लिए आप पार्टी ने इस समस्या को प्रमुखता से उठाया है ।
हमेशा की तरह एक बार फिर
ब्यावर वासियो की समस्याएं केवल आम आदमी पार्टी को ही नजर आ रही है ।
बाकी भाजपा और कांग्रेस के नेता, वार्ड अध्यक्ष, पार्षद, मंडल अध्यक्ष, सभापति, आदि आदि किसी को भी शहर के नागरिकों की समस्या नजर नही आ रही है, सब नाम के लिए जी रहे है ।
बड़ी विचारणीय बात है, क्या इन बड़ी बड़ी पार्टीयो के नेताओ को चुनाव के समय वोट की जरूरत होती है तभी उन्हें आम नागरिकों की तकलीफे नजर आती है बाकी समय धृतराष्ट्र बन कर अपनी रोटियां सेंकने में लगे रहते है । आज के समय मे जनता को किसी भी काम को कराने के लिए ज्ञापनों का सहारा लेना पड़ता है, जैसे अपने क्षेत्र में सफाई के लिए, सड़को की मरम्मत के लिए, बिजली के लिए, आवारा जानवरो के लिए, ट्रैफिक के लिए, अतिक्रमण के लिए, अवैध निर्माण के लिए, डीजे के लिए,
नालो की सफाई के लिए, टूटे फेरो ब्लॉक के लिए, ओर अन्य कोई भी कार्य करवाना हो ज्ञापन देना कम्पलसरी हो गया है, ऐसा लगता है कि जैसे जनता ने इन्हें चुन के कोई पाप कर दिया हो जिनकी सजा भुगतनी पड़ रही है । अगर ज्ञापन नही देता है तो उसको अपने कार्य के लिए इतनी चप्पले घिसनी पड़ जाएगी जिनके बावजूद भी काम नही होंगे, शहर की समस्या के समाधान की सोच जैसे खत्म हो गई है ।
जिस तरह शहर के नेता अपने स्वार्थ में लगे है उसी प्रकार शहर की जनता कुम्भकर्णी नींद में सो रही है, किसी भी समस्या के लिए जनता की जागरूकता जरूरी है, लेकिन पिछले 5 वर्षों से देखा जा रहा है के शहर की जनता स्वार्थी हो चुकी है ओर इस का खामियाजा भी पूरे शहर और आस पास के नागरिकों को उठाना पड़ रहा है, इसको दो उदाहरण से समझाने की कोशिस करता हु :-
1) शहर के वयोवृद्ध शिक्षाविद श्री रामसहाय जी शर्मा ने रानी खेत ट्रैन को रोकने के लिए ब्यावर बंद का आव्हान किया था लेकिन शहर की स्वार्थी जनता ने उन्हें समर्थन नही दिया ओर उनका ब्यावर बंद असफल हो गया ।
रानी खेत ट्रैन रामसहाय जी अपने लिए नही रुकवा रहे थे ब्यावर शहर के लिए रुकवा रहे थे और आज उनको ट्रैन को रुकवाने के लिए प्रयास करते हुए कई वर्ष ही गये ओर सेकड़ो लेटर लिख चुके है लेकिन जनता के समर्थन के बिना ओर एकता के बिना किसी की सुनवाई नही होती ।
2) दूसरा उदाहरण है टोल नाके का जिनमे ब्यावर की लोकल नंबर की गाड़ियों को टोल मुक्त नही कराया जा सका, इनके लिए भी शहर की स्वार्थी जनता ओर उनके स्वयं सेवी संस्थाएं जिम्मेदार है यदि वह टोल फ्री के लिए ज्ञापन ओर आंदोलन की रणनीति को आगे तक चलाते ओर उस पर कायम रहते तो निश्चित रूप से ब्यावर की गाड़ियां टोल मुक्त हो सकती थी ।
इसलिये कोई क्यो करे, किसके लिए करे, जब यहां की जनता ही स्वार्थी है और सोचती है कि मुझे क्या है । जब तक शहर की जनता की सोच नही बदलेगी जनता ऐसे ही पिसती रहेगी । आज वक्त आ गया है शहर की जनता को जागना होगा और अपनी समस्या के लिए मुंह खोलना होगा । जिस तरह पानी आंदोलन के समय शहर ने एकता दिखाई थी उसी का मीठा फल आज मिल रहा है कि समय पे मीठा पानी उपलब्ध हो रहा है । जिला हो, रानी खेत हो, टोल फ्री हो या कोई और समस्या हो एकता होगी तो सब हासिल हो सकता है नही तो केवल वादे ओर केवल वादे जिसको हम बरसो से सुन रहे है ।
लेकिन इन सबके बावजूद आज भी शहर में हो रहे भर्ष्टाचार के लिए ओर जन समस्या के लिए आप पार्टी अपनी जागरूकता से जनता के हितों के लिए संघर्ष करती नजर आ रही है ।
हेमेन्द्र सोनी @ BDN जिला ब्यावर

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