यातायात विभाग में दलालों का बोलबाला?

तेजवानी गिरधर
तेजवानी गिरधर
न जाने कितनी बार यह तय हुआ है कि यातायात विभाग के दफ्तर में जा कर कर्मचारियों से दलाल सीधे नहीं मिलेंगे, मगर आज भी हालत ये है कि वहां दलालों का ही बोलबाला है। आम आदमी तो निर्धारित खिड़कियों पर लाइन लगा कर धक्के खाता है, जबकि दलाल सीधे अंदर जा कर संबंधित कर्मचारियों से काम करवाते हैं।
असल में जो लोग दलालों की बजाय खुद ही वहां काम करवाने जाते हैं, उन्हें कर्मचारी धक्के खिलवाते हैं। सच बात तो ये है कि उनसे सीधे मुंह बात ही नहीं की जाती। चाहे लाइसेंंस बनवाना हो या रिन्यू करवाना हो, या फिर कोई और काम हो, आम आदमी को दलाल से ही संपर्क करने की राय दी जाती है। अगर कोई कहता है कि वह दलाल के पास नहीं जाएगा तो उसे कम से कम तीन-चार चक्कर लगवाए जाते हैं। शहर से दूर होने के कारण आम लोगों को इतने चक्कर लगाने पर बहुत परेशानी होती है, इस कारण तंग आ कर लोग दलालों के पास ही जाते हैं। दलाल अपने मन मुताबिक कमीशन लेते हैं। ऐसा इस कारण भी होता है कि निर्धारित फार्म भरना आम आदमी के बस की बात नहीं होती। उसे यह भी पता नहीं होता कि किसी काम के लिए कौन कौन से दस्तावेज साथ अटैच करने होते हैं। कर्मचारी उसे बताते नहीं और दलाल के पास ही जाने की सलाह देते हैं। हालत ये है कि निर्धारित फार्म भी महकमा उपलब्ध नहीं करवाता, वे बाहर दलालों के पास ही मन मुताबिक रेट पर मिलते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि दफ्तर में ही फार्म आदि मिलें और ऐसे कर्मचारियों को बैठाया जाए, जो वे आम आदमी का मार्गदर्शन करें, ताकि उसे दलाल के पास जाने की जरूरत ही नहीं रहे। मगर ऐसा महकमा क्यों करने वाला है? यदि दलाल नहीं कमाएंगे तो कर्मचारियों का भरण पोषण कैसे होगा?
इस मुद्दे पर न जाने कितनी बार मीडिया में खबरें आ चुकी हैं। कई बार जयपुर के बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में तय हो चुका है कि दलाल प्रथा को हतोत्साहित किया जाए और दलालों का दफ्तर में प्रवेश वर्जित हो। कुछ दिन तो इस पर अमल होता है, मगर बाद में फिर वही ढर्ऱा शुरू हो जाता है। ऐसा नहीं है कि यहां बैठे अफसरों का इस सिस्टम के बारे में जानकारी नहीं, मगर वे चुप्पी साधे बैठे हैं।
यातायात महकमे के अफसर कितने लाचार हैं, इसका अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट बनाने वाली एजेंसी निर्धारित शुल्क से कई गुना अधिक वसूल रही है। अनेकानेक शिकायतें हो चुकी हैं, शिकायतों की पुष्टि भी हो कर जयपुर प्रेषित की जा चुकी है, कई बार मंत्री महोदय की जानकारी में लाया जा चुका है, मगर आज तक लूट जारी है। जब स्थानीय अधिकारियों से पूछा जाता है तो वे यही कहते हैं कि वे तो रिपोर्ट बना कर ऊपर भेज चुके हैं, वहीं से कार्यवाही होगी, हम कुछ नहीं कर सकते।
कुल मिला कर अजमेर के यातायात महकमे से आम आदमी बेहद त्रस्त है, मगर उसका समाधान न तो आज तक निकल पाया है और न ही कोई उम्मीद लगती है।
-तेजवानी गिरधर
7742067000

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