गृहमंत्री कटारिया जी अब तो निकलो कोप भवन से

राजेश टंडन एडवोकेट
राजेश टंडन एडवोकेट
आदरणीय सेठ गुलाब चन्द जी कटारिया साहब अब तो कोप भवन से निकलो, इस तरह का वाक्या आपके साथ पहली बार थोड़ी हुआ है ऐसा तो कई बार हो चुका है कि सरकार आपकी बात मानती ही नहीं है, आपने कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल पर जिस तरह का स्टैंड लिया था कि मैं अपनी पुलिस की जांच सीबीआई से नहीं करवाउंगा, कोर्ट से चाहें तो करा लें, मैं कल भी पुलिस के साथ खड़ा था और आज भी पुलिस के साथ खड़ा हूं, जनता को भी पुलिस का मनोबल बढ़ाना चाहिए, अगर सीबीआई जांच हुई तो मैं 5 मिनट में स्तीफा दे दूंगा और सबसे पहले उस समाझौता पत्र पर आपने ही पता नहीं किस दबाव में हस्ताक्षर किये, उन परिस्थितियों को आप ही जानों, उसके बाद आपका कोई बयान नहीं आया और आप कोप भवन में जाकर बैठ गए, परन्तु अगर अब आप स्तीफा ना दे पाओ तो मुख्यमंत्री जी से निवेदन करके कम से कम अपना विभाग तो बदलवा लो, जिससे थोड़ी बहुत तो इज्ज़त बच जाएगी, वैसे भी पुलिस महकमा आप जैसे भावुक व्यक्ति के लिए नहीं है, आप कभी विधानसभा में रोने लग जाते हो, सार्वजनिक मंचों से अपनेआप को सबसे कमजोर गृहमंत्री बताते हो, आपकी पार्टी के लोग यह कहते हैं कि जितना मावली में कटारिया जी काम करते हैं अगर उतना राजस्थान में कर लें, तो शायद भाजपा निहाल हो जाए।
आपके अनुभव और संघनिष्ठ एवं संघ के विचारों से संस्कारित होने पर तो कोई प्रश्न चिन्ह नहीं है परन्तु लिखा- पढ़ी के मामले में, कानून की जानकारी के मामले में आप बहुत कमजोर हो और वाकपटुता और वाचालता में आपका कोई सानी नहीं है परन्तु सरकार आपको बोलने नहीं देती और जो आप बोलते हो उस पर सरकार कायम ही नहीं रहती, ऐसे में आप कोई पशुपालन, समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास जैसे विभाग ही लिया करो, ताकि कोई विवाद ही ना हो और आपके जज्बात को ठेस ही ना पंहुचे, परन्तु संघ सदा शिक्षा और गृह विभाग अपने पास रखता है उस चक्कर में आप विवादित हो जाते हो और तनाव में जीते हो। मेरी आपके प्रति बहुत शुभकामनाएं हैं, आप जैसा सच्चा और ईमानदार व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में मिलना बहुत मुश्किल है परन्तु सरकार में रहने की बजाय आप संघठन में सक्रिय रहो, वह आपकी सेहत के लिए ज्यादा अच्छा है, सरकार कभी आपको सहयोगियों जैसे किरण माहेश्वरी या अन्य मंत्रीयों से अपमानित करवाती है और कभी आपके सार्वजनिक रूप से दिए गए वक्तव्य को ही नहीं मान कर उसके विरूद्ध फैसला लेती है जिससे आपकी स्थिति हास्यास्पद हो जाती है और आप कुण्ठित होकर कोप भवन में चले जाते हो।

आपका शुभ चिन्तक राजेश टंडन, वकील, अजमेर।

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