कुम्भा की सेना सी आयी जल कुम्भी का कुम्भ

jal kunbhiआनासागर किसी न किसी रूप में चर्चा में रहने लगा है । चाहे सोशल मीडिया पर इसकी सुंदर तस्वीरें हों या सावन में इसके छलक जाने की खबरें या यदा कदा लोगों के इसमें डूब जाने की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं । आनासागर का हर किनारा चहल पहल और हलचल और खुद आनासागर बीसलपुर और बारिश के पानी से लबरेज़ है । इन दिनों आनासागर में जगह जगह अचानक हरे कालीन से फैली वनस्पति (water hyacinth) यानि जल कुम्भी के कारण अफरा तफरी मची है । इसके अचानक प्रकट होना बड़ा रहस्यमयी माना जा रहा है । शरारती तत्वों का हाथ होने की संभावनाओं पर विचार के साथ साथ पर्यावरणीय कारणों पर भी विशेषज्ञ अपनी राय दे रहे हैं । इसके कारण झील के अस्तित्व को ही खतरे में माना जा रहा है ।
कुछ भी कहें, आनासागर के लिए चिंता तो अब बढ़ती जा रही है । वैसे तो हरियाली को अच्छा माना जाता है पर जल कुम्भी उस श्रेणी में नहीं मानी जा रही है । जल कुम्भी से भी बड़ी मात्रा में हमारा फेका हुआ सॉलिड वेस्ट झील के लगभग सभी किनारों पर बरसों से तैरता रहा है, पर उसकी शायद अब सबको आदत सी हो गयी है । अचानक आयी हरे रंग की चादर नुमा जल कुम्भी चिंता का विषय बन चुकी है ।
बड़ी झीलों का प्रबंधन एक अत्यंत तकनीकी, सामाजिक और पर्यावरणीय विषय है और आनासागर भी जल्दी ही एक सुप्रबन्धित झील बनेगी ऐसी आशा ही नहीं विश्वास भी है ।
जय आनासागर

सुपरिचित बुद्धिजीवी अनिल जैन की फेसबुक वाल से साभार

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