अजमेर संसदीय क्षेत्र के आगामी नवंबर-दिसंबर में संभावित उपचुनाव में हालांकि अभी वक्त है, मगर पूर्व सांसद व जिला किसान आयोग के पूर्व अध्यक्ष स्वर्गीय सांवरलाल जाट के पुत्र रामस्वरूप लांबा जिस शिद्दत के साथ गांवों में जनसंपर्क कर रहे हैं, उससे प्रतीत होता है कि टिकट निर्धारित होने वाले दिनों तक वे इतने मजबूत हो जाएंगे कि भाजपा के पास उन्हें ही टिकट ेदेने के अलावा कोई चारा ही नहीं बचेगा।
हालांकि अन्य जातियों के नेता भी दावेदारी करने को आगे आएंगे, मगर चूंकि अजमेर संसदीय क्षेत्र जाट बहुल सीट है और प्रो. जाट के निधन से ही रिक्त हुई है, इस कारण उनके पुत्र रामस्वरूप लांबा ही स्वाभाविक उत्तराधिकारी माने जा रहे हैं। इस बात से स्वयं लांबा भी अनभिज्ञ नहीं हैं, इसी कारण बारहवें की रस्म के बाद उन्होंने जमीन पर पकड़ बनाना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने पिता की तरह की ग्रामीण पोशाक पहनना शुरू कर दिया है और बॉडी लैंग्वेज भी वैसी ही है। उनके समर्थक योजनाबद्ध तरीके से उन्हें प्रोजेक्ट कर रहे हैं। बाकायदा ग्राम वासियों को समझाया जा रहा है कि प्रो. जाट की तरह ही लांबा भी जनता की सेवा करने को तत्पर हैं। सोशल मीडिया पर भी उनकी सबसे प्रबल दावेदारी पेश की जा रही है। सब कुछ सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। असल में यह तो लगभग तय है कि भाजपा के लिए किसी जाट को ही प्रत्याशी बनाना मजबूरी होगा, चूंकि अगर किसी और को टिकट दिया गया तो जाट उखड़ सकते हैं। उसमें भी प्रो. जाट का परिवार कत्तई ये नहीं चाहेगा कि जो जमीन प्रो. जाट ने तैयार की है, वहां खेती करने कोई और जाट आ जाए। टिकट की दावेदारी में भी यही तर्क सबसे प्रभावी होगा कि लांबा को प्रो. जाट के निधन की सहानुभूति का लाभ मिलेगा, जो कि किसी और जाट को नहीं मिलने वाला। जिस प्रकार लांबा अभी से सक्रिय हुए हैं, उससे लगता है कि चुनाव नजदीक आते-आते वे इतना दबाव बना लेंगे कि पार्टी के लिए उन्हें नजरअंदाज करना आसान नहीं रह जाएगा। चूंकि यह चुनाव कांग्रेस के लिए भी प्रतिष्ठापूर्ण होगा, इस कारण वह पूरी तैयारी के साथ उतरेगी, जिसके मद्देनजर भाजपा को लांबा की जीत की सुनिश्चितता पर गंभीरता से विचार करना होगा। अगर उसमें कहीं कोई कमी नजर आती होगी तो भाजपा उन्हें मनाने पर जुट जाएगी और संभव है आगामी विधानसभा चुनाव में नसीराबाद से टिकट का अभी से वादा करे। ऐसे में यह लांबा पर निर्भर करेगा कि क्या ेकरें?
वैसे भाजपा जाट प्रत्याशी के तौर पर अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी पर भी विचार कर सकती है, क्योंकि लंबे समय तक डेयरी नेटवर्क पर पकड़ के कारण जाटों के इतर भी पेठ रखते हैं। हालांकि अभी वे विधिवत रूप से भाजपा में शामिल नहीं हुए हैं, मगर टिकट मिलने की स्थिति में शामिल होने में देर भी नहीं लगाएंगे। हालांकि वे मूलत: कांग्रेस विचारधारा के हैं, लेकिन कांग्रेस छोड़ कर खुलके भाजपा का साथ दे चुके हैं। उन्हें उसी स्थिति में टिकट मिल पाएगा, जबकि प्रो. जाट का परिवार इसके लिए राजी होगा। इस परिवार को नाराज करके टिकट दे भी दिया तो जीतना मुश्किल हो जाएगा। वैसे जानकारी यही है कि वे टिकट के लिए जुगत बैठाने लग गए हैं। जाट के रूप में पूर्व जिला प्रमुख श्रीमती सरिता गेना के श्वसुर बीकानेर यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति सी. बी. गेना, किशनगढ़ के विधायक भागीरथ चौधरी व एमडीएस यूनिवर्सिटी छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष व राजस्थान जाट महासभा के जिला अध्यक्ष विकास चौधरी भी टिकट मांग सकते हैं।
अन्य जातियों के दावेदारों में प्रमुख रूप से पूर्व जिला प्रमुख व मौजूदा मसूदा विधायक श्रीमती सुशील कंवर के पति युवा नेता भंवर सिंह पलाड़ा उभर कर आ रहे हैं। उनके समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अभियान भी छेड़ दिया है। अन्य दावेदारों में पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा, अजमेर यूआईटी के पूर्व अध्यक्ष धर्मेश जैन, देहात जिला भाजपा अध्यक्ष प्रो. बी. पी. सारस्वत, पूर्व सांसद प्रो. रासासिंह रावत आदि के नाम लिए जा रहे हैं।
-तेजवानी गिरधर
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