वाह री पुलिस! चार थानों के वांटेड को मात्र 15 मिनट में छोड़ दिया

राजनीतिक रसूखातों के चलते नहीं की गई कोई कार्रवाई

नवीन वैष्णव
नवीन वैष्णव
अजमेर जिला पुलिस जहां एक ओर स्थायी वारंटियों को पकड़ने में खासी मशक्कत कर रही है वहीं दुसरी ओर चार थानों के वांटेड आरोपी को पुलिस पकड़कर लाती है और केवल मात्र 15 मिनट में उसे बिना कार्रवाई के छोड़ दिया जाता है। हम बात कर रहे हैं बिजयनगर थाना पुलिस की जहां पर शनिवार को रात्रि के अंधेरे में गुलाबपुरा नगर पालिका के चैयरमेन धनराज गुर्जर के भाई शिवराज गुर्जर को लाया गया और पन्द्रह मिनट बाद ही उसे छोड़ भी दिया गया। खास बात तो यह है कि इसकी जानकारी भी जिला पुलिस कप्तान राजेन्द्र सिंह को भी नहीं दी गई।
बिजयनगर में शिवराज गुर्जर और इसके साथियों ने जुलाई माह में रेलकर्मचारियों के साथ मारपीट की थी, रेलवे स्टेशन की सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में आरपीएफ, जीआरपी और बिजयनगर थाना पुलिस ने शिवराज गुर्जर और उसके साथियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज किए थे। मुकदमा दर्ज होने के बाद शिवराज गुर्जर के साथियों की गिरफ्तारियां तो हो गई लेकिन वह अब तक पुलिस की गिरफ्त से दुर चल रहा था। शनिवार को रात्रि में शिवराज गुर्जर को पुलिस की टीम लेकर थाने पहुंची। यहां पर केवल मात्र पन्द्रह मिनट तक शिवराज गुर्जर को रोका गया और फोरी पूछताछ करके छोड़ दिया गया। इस बारे में जब थानाधिकारी प्रभूदयाल से पूछा गया तो उन्होंने पहले यह कहकर टाल दिया कि कोर्ट के आदेश हैं सात साल से कम वाली सजा में आरोपी की गिरफ्तारी आवश्यक नहीं, वहीं इसके बाद उन्होंने कहा कि शिवराज की तबियत खराब हो रही थी। इसके चलते उसे छोड़ दिया गया। बाद में थानाधिकारी प्रभूदयाल ने फोन करके यह भी कहा कि यदि उसे छोड़ते नहीं तो वह थाने में ही मर जाता।
नहीं दी किसी थाने को सूचना
पुलिस के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि यदि किसी आरोपी के खिलाफ विभिन्न थानों में मुकदमे होते हैं तो उसको पकड़ने के बाद सभी थानों को सूचना दी जाती है। जिससे कि उसके खिलाफ जो मुकदमा है। उससे संबंधित पूछताछ या गिरफ्तारी करनी हो तो कर सकें। इस मामले में किसी भी थाना पुलिस को सूचना नहीं दी गई। इससे साफ जाहिर होता है राजनीतिक रसूखातों का कितना दबाव है।
की जाएगी कार्रवाई
जिला पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र सिंह से जब पूरे मामले में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस केस की फाईल संभवतया पुलिस मुख्यालय से सीनियर पुलिस अधिकारी के पास ट्रांसफर कर दी गई है। रविवार होने के कारण पूरी जानकारी नहीं दे सकता। यदि आरोपी को थाने बुलाया गया और वापस छोड़ा गया तो गंभीर है। इसमें जांच करवाकर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी और आरोपी को भी जल्द ही दबोच लिया जाएगा।
आदतन है शिवराज
आरोपी शिवराज ने पहली बार ही सरकारी कर्मचारियों के साथ मारपीट नहीं की है। शिवराज ने पूर्व में भी लोकसेवकों के साथ मारपीट की है। जिसमें भी मुकदमे दर्ज किए गए थे। आपको बता दें कि वर्ष 2012 में बिजली चोरी रूकवाने पहुंचे लोकसेवकों के साथ शिवराज गुर्जर सहित अन्य भाईयों ने मारपीट की थी। इस मामले में स्वयं नगरपालिका चैयरमेन धनराज गुर्जर भी आरोपी थे। इसमें चालान भी पेश हो चुका है। वहीं वर्ष 2016 में शिवराज ने रात्रि में अपने साथियों के साथ घुसकर युवतियों व महिलाओं के साथ मारपीट व छेड़छाड़ की थी। इस मामले में गुलाबपुरा थाने में मुकदमा दर्ज हुआ था जिसमें अन्य की गिरफ्तारी हो गई जबकि शिवराज अब तक फरार है। पीड़िताओं के 164 तक के बयान भी दर्ज हो चुके हैं। वर्तमान में इस मामले की जांच टोंक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अवनीश कुमार शर्मा कर रहे हैं।
नवीन वैष्णव
(पत्रकार), अजमेर
9252958987
navinvaishnav5.blogspot.com

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