रेल संबंधी कुछ महत्वपूर्ण सुझाव

Indian-railwaysरेल विभाग के विचारार्थ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत हैं, जिनकी पूर्ति से न सिर्फ रेल यात्रियों को सुविधा और लाभ प्राप्त होगा, वरन रेलवे की इमेज भी बढ़ेगी:-
1. पहला सुझाव रिजर्वेशन पोजीशन अपडेट करने के सिस्टम में सुधार बाबत है। अभी तक रिजर्वेशन अपडेट करने का सिस्टम इस प्रकार का है कि यात्री को काफी लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है, यह जानने के लिए कि उसका रिजर्वेशन कन्फर्म हुआ या नहीं। पैसेंजर्स चिंता में डूबे रहते हैं कि उनका रिजर्वेशन कन्फर्म होगा अथवा नहीं। आज के इस युग में जबकि डिजिटल एडवांसमेंट बहुत हो चुका है, फिर रिजर्वेशन की स्थिति बताने में विलंब क्यों हो रहा है?
2. दूसरा सुझाव यह जांचने का है कि रिजर्वेशन सिस्टम में क्या कहीं कोई डिफेक्ट या चूक हो रही है कि जब व्यक्ति रिजर्वेशन कराता है तो मालूम होता है कि गाड़ी फुल है और जब वह एसी क्लास में पहुंचता है तो उसे ज्ञात होता है कि यहां तो कई बर्थ खाली पड़ी हैं। इस स्थिति को सुधारा जाना चाहिए। यदि इस स्थिति को सुधारा जाता है तो जो बंधु रिजर्वेशन फुल देखकर रिजर्वेशन नहीं कराते हैं वे भी रिजर्वेशन कराएंगे और रेलवे को रेवेन्यू भी प्राप्त होगा।
3. तीसरा सुझाव स्टेशनों पर कुलियों की समस्या के सम्बन्ध में है। यह सर्वविदित है इन दिनों कई स्टेशनों पर कुलियों का मिलना मुश्किल है। वहीं उनके द्वारा लगेज देख कर भारी बार्गेनिंग भी की जाती है। इसका एक ही उपाय है कि जिस प्रकार एयरपोर्ट पर लगेज के लिए सेल्फ ट्रॉली उपलब्ध कराई जाती है, उसी प्रकार स्टेशन पर भी पैसेंजर के लिए लगेज ट्रॉली उपलब्ध कराई जानी चाहिए। इस कार्य हेतु कोई भी प्रतिष्ठित कम्पनी ट्राली कार्यक्रम को स्पोन्सर कर देगी। ट्राली सुविधा से संपूर्ण देश में रेलवे यात्रा करने वाले पैसेंजरों को भारी सुविधा होगी और जो कुछ कुलियों द्वारा लूट-खसोट व पैसेंजरों को परेशानी होती है उससे भी छुटकारा मिलेगा।
फिलहाल यह व्यवस्था स्मार्ट सिटी बनने जा रहे अजमेर में तो चालू होनी ही चाहिए। उत्तर पश्चिम रेलवे अजमेर मंडल के कर्मठ डीआरएम श्री पुनीत चावला आए दिन यात्रियों को राहत पहुंचाने के कार्यों की घोषणा करते नजर आ रहे हैं। यदि ट्राली की योजना अजमेर स्टेशन पर प्राम्भ होती है तो यह डीआरएम साहब के कार्यकाल की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी। इसका असार भी व्यापक होगा।
4. कई यात्री जो एन आर आई होते हैं अथवा अन्य प्रकार से अपने साथ बड़े सूटकेस और भारी लगेज लेकर चलते हैं, यदि रेलवे एसी कोच के अंदर अटेंडेंट के पास ही लगेज प्राप्त करने और टोकन जारी करने का सिस्टम बना दें तो उससे पैसेंजर को भारी सुविधा होगी और जो लगेज सीटों के अंदर रखने में कठिनाई होती है उससे भी छुटकारा मिलेगा। इसके लिए कुछ टोकन मनी निर्धारित किया जा सकता है। बसों में भी इसी प्रकार की व्यवस्था उपलब्ध रहती है जो काफी सुविधाजनक है।
5. सारे प्रयासों और रेलवे द्वारा आश्वासन देने के बावजूद भी कोचों के टॉयलेट्स बढिय़ा नहीं रहते हैं। सेकंड क्लास और जनरल केटेगरी की समस्या तो और भी अधिक है। जहां प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत का संदेश दे रहे हैं, वहां वे एक बार रेलवे को भी स्वच्छ टॉयलेट का संदेश जरूर दें। जब रेलवे बुलेट ट्रेन पर लाखों-करोड़ों-अरबों का खर्च करने का विचाार कर सकती है, तो टॉयलेट सफाई पर बहुत ही कम बजट की आवश्यकता होगी, परंतु इससे यात्रियों को जो सुविधा प्राप्त होगी उसकी गणना नहीं की जा सकती। और यह एक आवश्यकता भी है।
7. प्राय: सभी स्टेशनों (मेट्रो स्टेशनों को छोड़ कर) पर, स्टेशनों का नाम प्लेटफार्म के प्रारंभ और अंत में ही दिया जाता है, बीच में नहीं होता है। यदि स्टेशन का नाम इलेक्ट्रिक डिस्प्ले बोर्ड पर भी प्रदर्शित हो तो यात्रियों का सुविधा रहेगी।
-एच.एम. जैन सीए,
अध्यक्ष कॉमन कॉज सोसाइटी
आना सागर सक्र्यूलर रोड
अजमेर
मो. 9314927875

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