ट्रैफिक पुलिस की अजमेर को कस्बे से शहर बनाने की कवायद

zअजमेर की ट्रैफिक पुलिस ने जो ट्रैफिक सुधार के लिये जो कमर कसी है उसके लिये उसका बहुत बहुत साधूवाद और धन्यवाद पर अभी उसमें बहुत कुछ करना बाकी है जैसे थाना क्लाक टावर के पीछे सिनेमा रोड पर शिवा जी पार्क जहाँ शिव जी की मूर्ति लगी है वहां फल वालों ने इतना जबरदस्त नाजायज कब्जा कर रखा है कि वहाँ से निकलना मुश्किल है और R J मेहता की दुकान से बोहरा मस्जिद तक तो पैदल चलना भी आपने आप में एक जादुई करिश्मा है , फल और सब्जी के ठेले ऐसे खडे होते हैं जैसे ईस्ट इंडिया कम्पनी ने सर टोमस रो ने इन्हें सडक पर खडे रहने का पट्टा दिया हो , मदार गेट ,पडाव , सरताज होटल के सामने नाजायज सब्जी मंडीयां ही लगी हुई हैं पडाव में गुड के ठेले और लहसुन प्याज वाले ठेले आतंक का पर्यायवाची बन चुके हैं*
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*इन ठेलों पर महिलायें समान बेचती हैं और किसी से भी नहीं डरती अगर किसी नागरिक ने ठोक दिया तो उसकी एक मिनट में मां बहन कर देती हैं और अपने महिला होने का पूरा फायदा उठाती हैं , और उन ठेलें वालों को मुकामी पुलिस की पूरी सरपरस्ती है और रोज की रोज वसूली है शाम होते ही हिसाब हो जाता है , आम के आम गुठली के दाम पैसा और सब्जी दोनों चीज सम्बंधित पुलिस मुकामी पुलिस वाले ले जाते हैं और नाम बदनाम ट्रैफिक पुलिस का , माल तो चूहे खा जाते हैं मार गधों को पडती है* ,
*स्टेशन के बाहर , क्लाक टावर थाने के सामने नसीराबाद आर्मी के दो ट्रक सदा खडे रहते हैं अपने सिपाहियों और उनके परिवार वालों को लाने ले जाने के लिये पर पुलिस व प्रशासन को कभी दिखाई ही नहीं देते और अगर देते भी हैं तो चालान या जब्त करने का जिगर ही नहीं है गरीबों की गाडियां का तो दिन में तीन बार चालान करते हैं , आर्मी वाले कौन सी सीट बेल्ट लगाते हैं , कौन सी पार्किंग में गाडी करते हैं जब मेमसाहबों को ले कर आते हैं पर पुलिसकर्मियों को कभी भी दिखाई नहीं देते ,और अगर नीचे वालों को दिख भी जायें तो आला अफसर लाला हो जाते हैं और मातहतों को समझते हैं कि अगर आर्मी वाले ऐक्सिडेंट कर दें तो भी अपन नहीं पकड़ सकते उनकी तरफ मत देखा करो वैसे भी उनसे क्या मिलेगा काहे माथा लगाते हो और कहीं तुम्हें ही उठा कर ले जायेंगे , प्रधानमंत्री जी कहते हैं आर्मी वालों को तो देखते ही सल्यूट करो या ताली बजाया करो विदेशों में ऐसा करते और में यही देखने बार बार विदेश जाता हूँ*
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*ट्रैफिक को ठीक तो ट्रैफिक पुलिस को अपने दम पर या शहर के सजग प्रिंट मीडिया और जागरूक नागरिकों के दम पर ही करना पडेगा उच्च अधिकारी तो उप चुनाव के डरसे फौरन पेंट खोल देगें की कहीं जयपुर से डंडा आ जायेगा या फलां मंत्री जी के साले की बस है , या उपचुनाव में वोट खराब हो जायेंगे ट्रैफिक ठीक चुनाव बाद ही करना , आचार संहिता का मतलब समझते हो जो जैसा चल रहा है उसे वैसा ही चलने दो , कैसे भी हो सरकार को चुनाव जीतवा कर देना है इसलिए तो हमें यहाँ लगाया है*
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*आपका अपना राजेश टंडन वकील अजमेर* ।

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