सेंट्रलाइज्ड किचन : उद्घाटन का इंतजार कब तक?

हमारे यहां सरकारी कामकाज की कछुआ चाल वाकई बेहद अफसोसनाक है। इसी वजह से एक तो प्रस्तावित योजना की लागत बढ़ जाती है, दूसरा उसे जिस मकसद से लागू किया जा रहा होता है, वह समय पर पूरा नहीं होता अर्थात समय पर उसका लाभ नहीं मिल पाता। तोपदडा स्थित शिक्षा विभाग परिसर में नवनिर्मित सेंट्रलाइज्ड किचन के मामले में यह बात पूरी तरह फिट बैठती है। उसे तैयार हुए अरसा बीत गया है, मगर वह महज इसी कारण शुरू नहीं की जा रही है, क्योंकि उसका शुभारंभ समारोह आयोजित नहीं हो पाया है। किसी नेता के हाथों उसका फीता नहीं काटा जा सका है।
यहां उल्लेखनीय है कि नांदी फाउंडेशन, हैदराबाद ने पिछले भाजपा शासनकाल में विधायक और सांसद कोटे से पैंतीस लाख रुपये की लागत से इसका निर्माण करवाया गया। भाजपा का राज चला गया और कांग्रेस के राज को भी तीन साल से ऊपर हो गया, मगर यह किचन अब भी शुभारंभ को तरस रही है। पिछले दिनों यह तथ्य सामने आया कि पानी-बिजली के कनैक्शन न हो पाने के कारण इसे शुरू नहीं किया जा सकता। काफी जद्दोजहद के बाद अब तो वह काम भी हो चुका है, मगर फिर भी यह शुभारंभ नहीं किया जा रहा। ऐसी उम्मीद जताई गई कि नया शिक्षण सत्र शुरू होने के साथ यह भी शुरू हो जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पोषाहार योजना में आए दिन होने वाली परेशानी से निजात पाने के लिए सेंट्रलाइज्ड किचन की योजना बनाई गई थी। इसमें डिस्टानिंग मशीन लगायी गयी है, जिसमें गेहूं और चावल ओटोमेटिक साफ होकर मशीन में लगी तीन चक्कियों से पिस कर बाहर आयेगा। किचन में बायलर, चपाती मशीन, वैजल्स, राइस और सब्जी बनाने की मशीनें भी लगायी गई हैं। जाहिर है यह किचन वाकई काम की है, मगर कारगर तभी होगी, जबकि इसका उपयोग होगा। देखते हैं सरकार की नींद कब खुलती है।
-तेजवानी गिरधर

2 thoughts on “सेंट्रलाइज्ड किचन : उद्घाटन का इंतजार कब तक?”

  1. it is of no importance that how much the job is important,if it is started without inaugration by some senior leader of congress,those leaders may take it otherwise. AJMER
    JANTA will have to wait upto the approval and inaugration by some senior leader.

  2. yaha toh baat centralised kitchen ki kee ja rahi hai jis per ek bandhu ne uper nasihat dete hue comment b mara hai.
    ab baat suniye, asal baat toh ye hai ki kaam karane ki rajneetik ichhashakti hi nahi hai sarkar k pass.
    or dekha jaaye toh iss sarkar ne ajmer ki poori andekhi or durdasha karne me koi kasar nahi chhodi hai.
    yeh koi ek mamla nahi hai jaha kaam nahi hue hain
    ab chahe wo saradhna fatak ho, chahe pushkar or anasagar ka kaam ho, or chahe anya ajmer k vikas k karya ho sarkar k sir per ju nahi rengti hai .
    sachin paylot toh yaha sirf naam k liye hai kaam toh vaise hi nahi dikhta kuchh nayi yojnao ka shubharambh ajmer jile se kar dena bus yehi unka aaj tak ka credit raha hai ajmer city me. pls pratikriya de ………

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