मोदी के निशाने पर ये मंत्री कौन है ?

modi-अम्बरीश कुमार- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली को लेकर उत्तर प्रदेश भाजपा में माहौल गर्म है और एक कद्दावर मंत्री और उनके पुत्र को लेकर जमकर चर्चा हो रही है। गुरूवार को दि हिन्दू अखबार में वर्गीज के. जार्ज के एक लेख के बाद इस चर्चा को और हवा मिली। वर्गीज के लेख में कुछ किस्से दिए गए हैं जिससे पता चलता है कि किस तरह मोदी की मंत्रियों पर नजर है। शुरुआत रंगीन कुर्ते और सदरी में अक्सर नजर आने वाले मंत्री से  की गई है जो हाल में विदेश के दौरे पर जब जींस और टी शर्ट में हवाई अड्डे की और निकले तो रस्ते में मोदी का फोन आया और उन्होंने कहा कि उनकी वेशभूषा एक केंद्रीय मंत्री के लिहाज से शालीन नहीं है। मंत्री महोदय घर लौटे और शालीन वेशभूषा में दोबारा गए।

इस किस्से से साफ़ है मोदी की नजर अपने मंत्रियों पर है। दूसरा किस्सा और रोचक है जिसे और नमक मिर्च लगाकर बताया जा रहा है। संगठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के बाद सरकार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले इन कद्दावर राजपूत मंत्री महोदय के पुत्र जो पार्टी में बड़ी भूमिका कि उम्मीद में हैं, वे घेरे में आ गए हैं। भाजपा के एक नेता ने नाम ना देने की शर्त पर कहा- ये तो भावी मुख्यमंत्री की कतार में थे पर पुलिस विभाग के कुछ आला अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के लेन-देन में फँस गए। मोदी ने पिता पुत्र दोनों को तलब किया और कहा जो पैसा लिया गया है वह वापस हो। इस मामले में अमित शाह और भय्याजी जोशी भी नाराज हुए।

इसी तरह कुछ और किस्से भी सामने आए हैं। हालाँकि ये ऐसे किसे हैं, जिनकी कोई पुष्टि नहीं करने वाला। एक और उदाहरण मेनका गाँधी ने वरुण गाँधी को मुख्यमंत्री के रूप में देखने की इच्छा जताई तो वे संगठन से बाहर हो गए। अमित शाह ने हाल ही में पार्टी नेताओं को  परिवारवाद से यूँ ही नहीं आगाह किया था। पर इस सबकी वजह से उत्तर प्रदेश भाजपा में पुरानी  दुश्मनी भुलाकर एक गुट उभर रहा है जो मोदी की कार्यशैली के खिलाफ मुखर होने लगा है।

हालाँकि मंत्री पुत्र के मामले में कोई मुँह खोलने को तैयार नहीं है पर चर्चा इतनी है कि जिससे बात करे सभी पूरा ब्यौरा लेकर जानकारी दे रहा है। एक नेता ने कहा- इस मामले में मंत्री महोदय और अमित शाह में काफी तकरार भी हुई है। इससे एक बात तो साफ़ हो गई है मोदी के लिए समस्या उत्तर प्रदेश ही बनेगा। दरअसल शुरुआत संगठन में अमित शाह की टीम के बाद हो चुकी है जिसमें परम्परागत चेहरों और परिवारवाद के प्रतीकों को कोई जगह नहीं मिली। ऐसे में एक पुरानी पीढ़ी जो सत्ता का सुख भोग चुकी है वह अपनी दूसरी पीढ़ी के लिए परेशान है। टकराव की जमीन इसी से तैयार होगी। कल्याण सिंह, लालजी टंडन, राजनाथ सिंह से लेकर प्रेमलता कटियार तक बहुत से नेता है जिनकी दूसरी पीढ़ी सामने आ चुकी है। मोदी इस सबसे अलग हैं क्योंकि वे अपना परिवार ही छोड़ चुके हैं और बाल बच्चे हैं नहीं इसलिए वे आदर्श बनना चाहेंगे। इन किस्सों की उत्पत्ति के मूल में भी यही है।

याद करें मोदी की टिप्पणी- ना खाएंगे और ना खाने देंगे। यही वजह है कि उन्होंने बड़ी डील को वापस करने का निर्देश दिया। अन्य प्रदेशों की तरह उत्तर प्रदेश में भी राजनीति को एक व्यवसाय के रूप में देखा जाता है और हर नेता अपना चुनावी खर्च वसूलने के बाद दो तीन चुनाव का अग्रिम खर्च भी वसूल लेता है। इस मामले में सर्वदलीय एकता है। कांग्रेस भाजपा से लेकर सपा और बसपा तक में। भाजपा में फिलहाल भविष्य देखा जा रहा है इसलिए उनके नेताओं का सूचकांक भी बढ़ा हुआ है। ऐसे में मोदी शाह ने यदि लंगड़ी मारने का प्रयास किया तो असंतोष तो उभर ही सकता है। और बता रहे हैं कि शुरुआत हो गई है।
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