योगी आदित्यनाथ के विवादित बयानः एक विष्लेषण

रेणु शर्मा
रेणु शर्मा

सांसारिक जीवन त्यागकर सबसे कम उम्र के लगातार पंाच बार लोकसभा सदस्य रहने वाले , सामान्य सी जिन्दगी व्यतित करने वाले योगी आदित्यनाथ का अचानक से चर्चा में आना भी अपने आप में चर्चा का विषय हो सकता हैं। योगीजी द्वारा दिये गये विवादित बयानों का विष्लेषण किया जाना आवष्यक हैं। भारतीय जनता पार्टी ने जैसे ही उत्तरप्रदेष में उपचुनावों के लिये योगी आदित्यनाथ को चुनाव प्रभारी बनाया तभी अचानक से योगीजी अपने द्वारा दिये गये बयानों से चर्चा में आ गये । आखिर ऐसा क्या हुआ होगा जिनके चलते योगीजी को ऐसे विवादित बयान देने पड रहे हैं। क्या इसके पीछे बीजेपी का सत्ता में आना था ? या साम्प्रदायिकता फैलाकर चुनाव जीतना हैं ? या फिर यूपी की समाजवादी पार्टी की सरकार द्वारा क्या वास्तव में ऐसे फैसले लिये गये जिसके कारण लोगों का एक वर्ग उनसे नाराज हैं और उसी का प्रतिनिधित्व करते हुए योगीजी ने ऐसे बयान दिये ।
योगीजी का जन्म उत्तराखण्ड में वर्ष 1972 में एक राजपूत परिवार में हुआ था विद्यार्थी जीवन से ही योगीजी राष्ट्रवादी आन्दोलनों से जुडे रहे तथा विज्ञानवर्ग से स्नातक की षिक्षा लेने के पष्चात इन्होने सन्यास लेने का निर्णय कर लिया। 22 साल की उम्र में इन्होने गोरखपुर के नाथ सम्प्रदाय के विष्वप्रसिद्व श्रीगोरखनाथ मंदिर के महंत श्रीअवेद्यनाथजी महाराज से 15 फरवरी 1994 को दीक्षा ग्रहण की और अजयसिंह से योगी आदित्यनाथ बन गये। एक सन्यासी के रूप में समाज में फैली बुराईयों को हटाने के लिये योगीजी विभिन्न गॉंवों , षहरों में गये और लोगों को समझाया छुुआछूत और अस्पृष्यता की विभेदकारी प्रथाओं के बारे में बताया और इन बुराईयों का समाज पर पडने वाला प्रभाव बताया , लोगों को इन बुराईयों को समाज से निकालने को कहंा। लोगों को गौवंष संरक्षण के लिये बताया । धीरे-धीरे लोग इनके साथ जुडने लगे और इनके अभियान ने एक आन्दोलन का रूप ले लिया। सन् 1998 मे इन्के गुरू महंत श्रीअवेद्यनाथजी जो खुद गोरखपुर से चार बार संासद रह चुके थे , के आदेष और गोरखपुर की जनता के आग्रह से योगीजी लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीद्वार के रूप में चुनाव में उतरे और गुरू के आर्षीर्वाद और जनता के सहयोग ने इन्हे विजयी बनाया । इस प्रकार योगीजी के राजनीतिक जीवन की षुरूआत हो गयी। बहुआयामी प्रतिभा के धनी योगीजी अपनी योग्यता और कार्यो के कारण योगी आदित्यनाथजी आज तक लगातार चुनाव जीतते आ रहे है।
बाकौल योगीजी के अनुसार उनके क्षेत्र में आज तक कोई भी साम्प्रदायिक दंगा नहीं हुआ हैं लेकिन योगीजी द्वारा दिये गये विवादित बयानों का विष्लेषण किया जाना आवष्यक हैं। पहला कारण बीजेपी का सत्ता में आना नही हो सकता क्योंकि प्रधानमंत्री नरन्द्रमोमोदी सबको साथ लेकर चलने की बात कर रहे हैं । बीजेपी की सरकार बने 100 दिन से अधिक हो गये लेकिन मोदीजी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ऐसा कोई भी विवादास्पद कार्य या कोई विवादास्पद बयान नहीं दिया गया जिससे यह लगे कि वे एक का पक्ष ले रहे है। अतः योगीजी के विवादीत बयानों के लिये बीजेपी की सरकार का सत्ता में आने को जिम्मेदार नही माना जा सकता ।
दूसरा कारण साम्प्रदायिकता फैलाकर चुनाव जीतना बताया जाता हैं लेकिन यह भी कैसे हो सकता हैं क्योकि योगीजी ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की जिससे साम्प्रदायिकता फैले। अपने एक वक्तव्य में इन्होने सिर्फ इतना ही कहा था कि “अगर सामने वाला मानव होगा तभी उससे मानवीय व्यवहार किया जा सकता हैं लेकिन जब सामने दानव हो तो उसके सामने षस्त्र उठाने ही पडते हैं भगवान राम ने भी रावण को बहुत समझाया लेकिन जब वह नहीं माना तो और अन्त में भगवान राम को भी षस्त्र उठाकर रावण का दमन करना पडा।“ लवजिहाद मामले को लेकर बिजनोर में दिया गया योगीजी का बयान “ अब कोई जोधा अकबर के साथ नहीं जायेगी , अब दुष्ट सिकंन्दर अपनी पुत्री चन्द्रगुप्त को देगा “ को विवादित बयान बताना एक हद तक सहीं भी था लेकिन उन्होने यह बयान खुद नहीं दिया बल्कि उत्तरप्रदेष के मंत्री और सप्पा नेता आजम खान द्वारा हिन्दू-मुस्लिम एकता की तुलना जोधा-अकबर से करने के कारण दिया जबकी जोधा-अकबर विवाह , विवाह ना होकर राजनैतिक मजबूरी के तहत किया गया एक समझौता था जिसके कारण यह विवाह करना पडा अब भारत में हिन्दू समाज के सामने ऐसी कोई मजबूरी नही हैं इसलिये योगीजी ने यह बयान दिया। क्या किसी व्यक्ति को उसी की भाषा में जवाब देना गलत हैं तो योगीजी ने गलत किया हैं ? उन्होने स्पष्ट कहंा है कि यदि कोई हिन्दू लडकी अपनी मर्जी से किसी मुस्लिम से विवाह करती हैं और वह लडका अपने धर्म का आचरण करता है तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है लेकिन जब एक मुस्लिम लडका किसी हिन्दू लडकी को अपना गलत नाम , धर्म और परिवार बताकर धोखे से षादी करता है और उसका जबरन धर्म परिवर्तन करवाता हैं या फिर षादी करने का मतलब हीं धर्म परिर्वतन करवाना होता हैं तो वह लवजैहाद है। ऐसा करने वाले लडके और उसके परिवार को सजा दी जानी चाहिये ।
इंण्डिया न्यूज चैनल पर एक कार्यक्रम आपकी अदालत में एंकर रजत षर्मा को दिये गये एक साक्षात्कार में योगी जी ने कहंा कि “ साम्प्रदायिक दगें होने वाले स्थानों को तीन श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता हैं पहली श्रेणी जहंा 10-20 प्रतिषत मुस्लमान जनता हैं वहंा सामान्यतयाः छिटपुट साम्प्रदायिक घटनायें होती रहती हैं , 20-35 प्रतिषत मुस्लमान जनता हैं वहंा गंभीर साम्प्रदायिक अपराध और घटनायें होती है और जहंा 35प्रतिषत से अधिक मुस्लतान हैं वहंा गैर मुस्लमानों का रहना मुष्किल हीं नही असंभव हीं हैं।“ कुछ हद तक योगीजी का कहना सही भी हैं क्योकि किसी हिन्दू कॉलोनी में एक मुस्लिम परिवार आसानी से रह सकता हैं लेकिन एक मुस्लिम कॉलोनी में एक गैर मुस्लमान का रहना असंभव हीं हैं यदि कोई रहता भी है तो वह कुछ समय पष्चात उस कॉलोनी को छोड देगा। कुछ जगह इसके अपवाद भी हैं जहंा हिन्दु-मुस्लमान साथ-साथ रहते है। लेकिन एक जिम्मेदार नेता का इस प्रकार सार्वजनिक स्थान पर दिया गया बयान समाज में वैमनस्य फैलाता हैं जिससे भारत में सदियों से चली आ रहीं गंगा-जमुनी संस्कृति में वैमनस्य के बुलबुले उठने लगते हैं ।
जहंा तक यूपी की समाजवादीपार्टी ने वोट की राजनीति बनाया हुआ हैं मुज्जफरनगर के दंगे हो या अन्य कोई विवाद सरकार एक समाज के पक्ष को लेकर चलती हैंे जिससे दूसरे समुदाय में रोष पैदा हाना स्वाभाविक हीं हैं इसी वोट की राजनीति को लेकर समाजवादी पार्टी समाज के एक पक्ष को अपने पक्ष में लेना चाहती हैं। वही दूसरी ओर योगीजी समाज के एक पक्ष को लेकर समाजवादी पार्टी द्वारा कि गयी इस कार्यवाही का विरोध करके दूसरे समुदाय विषेष का पक्ष लेकर अपनी तरफ वोट खिचना चाहते हैं। यहीं हाल कंाग्रेस का हैं अतः किसी भी पार्टी या व्यक्ति को साम्प्रदायिक कहना उचित नहीं हैं क्योकि सभी राजनीतिक दल अपने-अपने ढंग से अपनी तरफ वोट खिचने के लिये इस प्रकार के बयान दे रहे हैं। ऐसे बयान देने वाले एंव समुदाय विषेष का पक्ष लेने वाले दोनों ही नेताओं को साम्प्रदायिक कहंा जाना चाहिये इसलिये समाजवादी पार्टी , कंाग्रेस और योगीजी तीनों ही समान रूप से दोषी हैं। अकेले योगीजी को साम्प्रदायिक कहना उचित नहीं हैं।
अतः हमारी संस्कृति को बचाये रखने के लिये बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक सभी की भावनाओं की कद्र करनी चाहिये तथा किसी भी दल के नेता द्वारा ऐसा विवादास्पद बयान नही दिया जाना चाहिये और नाही किसी समाज विषेष द्वारा किये गये विवादास्पद कार्यो का पक्ष लेना चाहिये । योगीजी को हीं नही सभी राजनीतिक पार्टीयों को वोट बैंक राजनीति से बचना चाहिये । इसी से हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति अंक्षुण बनी रहेगी ।
रेणु षर्मा
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