दिल्ली स्थित जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी के बयान से पीएम नरेन्द्र मोदी और ताकतवर होंगे। बुखारी ने अपने 19 वर्षीय बेटे शाहबान बुखारी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया है। इसके लिए दिल्ली में 19 नवम्बर को एक समारोह भी आयोजित किया जा रहा है। भारत के देशभक्त लोगों में इस बात की नाराजगी है कि बुखारी ने समारोह में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से लेकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मियां नवाज शरीफ तक को आमंत्रित किया है, लेकिन भारत के पीएम मोदी को नहीं बुलाया। जले पर नमक छिड़कते हुए बुखारी ने कहा कि मैं आज ही नरेन्द्र मोदी को 2002 के गुजरात दंगों का दोषी मानता हंू। भले ही देश की सर्वोच्च अदालत ने मोदी को निर्दोष करार दे दिया हो। माना जा रहा है कि अपने बेटे को शाही इमाम बनाने के बाद अहमद बुखारी खुलकर राजनीति करेंगे औरउनके निशाने पर पीएम मोदी ही होंगे। इसके लिए बुखारी एक राजनीतिक दल भी बनाएंगे। हो सकता है कि इस दल को मोस्ट वॉन्टेड और भारत के खिलाफ जहर उगलने वाले पाक नागरिक हाफिज सईद का भी समर्थन मिल जाए, क्योंकि जब बुखारी अपने देश के पीएम के बजाए दुश्मन देश के पीएम को आमंत्रित करेंगे तो पाकिस्तान में बैठे भारत विरोधी तो खुश होंगे ही। बुखारी के इस कृत्य से देश भक्तों को नाराज होने की जरुरत नहीं है, क्योंकि ऐसे कृत्य ही मोदी को ताकतवर करते है। गत लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बुखारी जैसे कांग्रेस समर्थकों ने मोदी के खिलाफ जो माहौल बनाया उससे ही मोदी देश के हीरो बन गए। सब जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में बुखारी ने देश के मुसलमानों से कांग्रेस को वोट देने की अपील की थी। इसलिए कांग्रेस को मात्र 44 सीटें ही मिल पाई। देखना है कि बुखारी के राजनीतिक दल को समर्थन देकर कांग्रेस और कितने गर्त में जाएगी या फिर इस बार बुखारी से दूरी बनाए रखेगी। पहले भी दंगों को लेकर जब आरोप लगे तो मोदी खामोश रहकर पीएम के पद तक पहुंच गए, इस बार बुखारी ने विरोध का एक नया रास्ता चुना है, देखना है कि इस रास्ते से मोदी और कितनी कामयाबी हासिल करते हैं। तरस तो कांगेस की अक्ल पर आता है जो बुखारी जैसे नेताओं को अभी भी अपने गले में टांगकर चल रही है।
नहीं मिटेगा भ्रष्टाचार
कालेधन को विदेशों से वापस लाने के मामले में जनता ने केन्द्र सरकार की दोगली नीति को तो देख ही लिया है। 31 अक्टूबर को भ्रष्टाचार के मुद्दे पर भी केन्द्र सरकार का दोहरा रवैया सामने आ गया है। महाराष्ट्र के सीए फडऩवीस के शपथग्रहण समारोह में पीएम मोदी के मंच पर एनसीपी के नेता प्रफुल्ल पटेल भी बैठे। पटेल के हावभाव से लग ही नहीं रहा था कि वे सत्ता परिवर्तन से डरे हुए हैं। जबकि मोदी ने चुनावी सभाओं में एनसीपी को सबसे भ्रष्ट पार्टी कहा था। असल में सबसे भ्रष्ट पार्टी ने ही महाराष्ट्र में शिवसेना की राजनीतिक अकड़ निकालने में भाजपा की मदद की है। इसलिए महाराष्ट्र में भाजपा ने भ्रष्टाचार की पार्टी को गले लगा लिया है। देश की जनता को भ्रष्टाचार को मिटाने के मुद्दे पर उम्मीद नहीं करनी चाहिए।
(-एस.पी.मित्तल)
लेखक अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार हैं
बुखारी साब अपने ही बेटे को जो मात्र 19 साल के हैं उन्ह्र अपना उतराधिकारी घोषित कर रहे हैं ।एन डी टी वी में रविश के कार्यक्रम के अनुसार वे अपना उतरा धिकारी चुनने के हकदार ही नहीं है ।ये उनकी बपोती नहीं ।उसका चुनाव देश की सारे उलेमाओं द्वारा होना चाहिये ना की स्व घोषित ।