कांग्रेस ने क्यों नहीं याद किया पटेल को

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

कांग्रेस पिछले तीस वर्षों से प्रतिवर्ष 31 अक्टूबर के दिन को श्रीमती इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में मना रही है। कांग्रेस के शासन में इस दिन बड़े बड़े आयोजन भी किए गए। लेकिन कांग्रेस ने कभी भी सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद नहीं किया। जबकि 31 अक्टूबर पटेल का जन्म दिवस है। इस बार जब 31 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को याद करते हुए देशभर में रन फॉर यूनिटी का अभियान शुरू किया तो कांग्रेस खुश नहीं है, कांग्रेस को लगता है कि मोदी ने पहले 2 अक्टूबर को स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की और अब 31 अक्टूबर को रन फॉर यूनिटी। यानि मोदी कांग्रेस के नेताओं के मुकाबले देश से जुड़े अभियानों की शुरुआत कर रहे है। कांग्रेस की अपनी पीड़ा हो सकती है, लेकिन कांग्रेस के नेताओं को यह बताना चाहिए कि 31 अक्टूबर को सरदार पटेल को याद क्यों नहीं किया गया? जबकि इतिहास गवाह है कि प्रधानमंत्री जवहर लाल नेहरू ने जब इस्तिफा देने की पेशकश की, तब पटेल ने ही उनके घर जाकर इस्तिफे का पत्र फाड़ा और नेहरू को उस समय पीएम बनाए रखा। यदि उस समय नेहरू इस्तिफा दे देते तो पटेल ही पीएम बनते। कांग्रेस को अब यह डर सता रहा है कि आने वाले वर्षों में देश की जनता 31 अक्टूबर को श्रीमती इंदिरा गांधी के बजाए सरदार पटेल को ही याद रखेगी। देश को मजबूती दिलाने में श्रीमती इंदिरा गांधी का भी योगदान है, लेकिन देश की आजादी के समय सरदार पटेल ने गृहमंत्री के रूप में एकता के लिए जो कार्य किया उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। 31 अक्टूबर को यदि पटेल की याद में एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है, तो यह देश के हित में है। जहां तक कांग्रेसियों का सवाल है तो उन्हें 31 अक्टूबर के दिन श्रीमती इंदिरा गांधी को ईमानदारी के साथ श्रद्धांजलि देनी ही चाहिए।

नहीं दौड़े देवनानी

वासुदेव देवनानी
वासुदेव देवनानी

अजमेर दक्षिण की भाजपा विधायक और प्रदेश की महिला एवं बाल विकास की मंत्री श्रीमती अनिला भदेल ने 31 अक्टूबर को जहां अजमेर में रन फॉर यूनिटी की दौड़ में भाग लिया, वहीं जयपुर में आयोजित रन फॉर यूनिटी की दौड़ में अजमेर उत्तर के विधायक और प्रदेश के शिक्षामंत्री नहीं दौड़े। इस समारोह में गुलाबचंद कटारिया, अरुण चतुर्वेदी, काली चरण सराफ, गजेन््रद ङ्क्षसह खींवसर और वासुदेव देवनानी उपस्थित तो थे, लेकिन दौड़ सिर्फ खेलमंत्री खींवसर ने ही लगाई। दौड़ से पहले ही देवनानी सराफ आदि कार में बैठकर रवाना हो गए। जबकि कटारिया कुछ दूर पैदल चले। कटारिया की हिफाजत के लिए जयपुर के संभागीय आयुक्त हनुमान सिंह भाटी साथ थे।
(-एस.पी.मित्तल)
लेखक अजमेर के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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