अब क्या बनना चाहती हैं स्मृति ईरानी

smriti_iraniसवाल यह नहीं है कि केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी 23 नवम्बर को राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के कारोई कस्बे में पहुंचीं और भृगु संहिता के जानकार पंडित नाथूलाल व्यास से अपना भविष्य जाना। सवाल यह है कि आखिर अब स्मृति क्या बनना (हासिल) चाहतीं हैं? स्मृति ने स्वयं कहा कि मुम्बई में टीवी सीरियलों में आने से पहले उन्हें एक विदेश्ीा रेस्ट्रोरेंट में फर्श साफ करने का काम भी करना पड़ा। यानि फर्श साफ करने वाली लड़की देश के उस मंत्रालय की प्रमुख बन गई, जो अब देश के युवाओं का भविष्य तय करता है। क्या केन्द्रीय मंत्री बनने के बाद भी स्मृति की इच्छा शेष है? यह सही है कि इंसान की लालसा कभी पूरी नहीं होती, लेकिन यह भी सत्य है कि तकदीर में जितना होता है, उतना अवश्य मिलता है। पूर्व में लोकसभा चुनाव के दौरान भी स्मृति पंडित नाथूलाल के पास अपना भविष्य जंचवाने आईं थीं, तब व्यास जी ने कहा कि तुम चुनाव हारो या जीतो, पर केन्द्रीय मंत्री तो बनोगी ही। स्मृति अमेठी से राहुल गांधी के सामने चुनाव हार गईं, लेकिन फिर भी पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्मृति को देश का मानव संसाधन मंत्री बना दिया। यानि व्यास जी की भविष्यवाणी सही हो गई। एक भविष्यवाणी सही होने पर ही स्मृति आगे के भविष्य के बारे में जानने के लिए कारोई आईं। व्यास जी की माने तो अब स्मृति ईरानी देश की राष्ट्रपति भी बन सकती हैं।
स्मृति को अब यह समझना होगा कि वे न तो फर्श साफ करने वाली कर्मचारी हंै और ‘सास भी कभी बहू थीÓ सीरियल की तुलसी। स्मृति अब देश की शिक्षा मंत्री हैं, जिनके पास देश के युवाओं का भविष्य बनाने का काम हैं। शिक्षा मंत्री के नाते जब उन्हें किसी समारोह में भाषण देना होगा, तो वे युवाओं को यह नहीं कह सकती कि कारोई जाकर पंडित नाथूलाल व्यास से अपना भविष्य जंचवावें। स्मृति को तो निर्धारित शिक्षा पद्धति पर ही बोलना पड़ेगा। लोकतंत्र में तो अनपढ़ व्यक्ति भी देश का शिक्षामंत्री बन सकता है, लेकिन बाबू की नौकरी के लिए स्नातक होना जरूरी है। स्मृति अपना भविष्य किसी से भी जंचवाएं, लेकिन देश के युवाओं की परीक्षा की उत्तर पुस्तिका ईमानदारी के साथ जांचनी चाहिए। ऐसा न हो कि देश के सभी युवा उत्तर पुस्तिका में लिखने के बजाए पंडित नाथूलाल व्यास के पास पहुंच जाएं। व्यासजी के पास स्मृति अकेली राजनेता नहीं है, जो भविष्य जंचवाने आती हों और भी दिग्गज नेता हैं जो समय-समय पर आते रहते हैं, लेकिन कोई दस वर्ष पहले नाथूलाल व्यास का परिवार भी दुर्घटना का शिकार हो चुका है। नाथूलाल के भाई राधेश्याम व्यास ने भीलवाड़ा में नया मकान बनवाया। मकान के मुहूर्त में भाग लेने के लिए राधेश्याम व्यास कारोई से भीलवाड़ा आ रहे थे, तब सड़क दुर्घटना में पंडित राधेश्याम व्यास और परिवार के चार अन्य सदस्यों की मृत्यु हो गई। पंडित राधेश्याम व्यास भी नाथूलाल जी की तरह भृगु संहिता से भविष्य जांचते थे। मकान का मुहूर्त भी राधेश्याम ने ज्योतिष गणित की जांच के बाद ही निकाला था, लेकिन हुआ वहीं जो तकदीर में लिखा था, यह बात अलग है कि राधेश्याम व्यास स्वयं अपने भविष्य की जानकारी नहीं कर पाए।
-(एस.पी.मित्तल)(spmittal.blogspot.in)

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