इधर सड़क पर लाश, उधर मंत्री के गले में माला

IMG-20150423-WA0166राजस्थान में भाजपा का राज कैसे चल रहा है, इसका अंदाजा दो घटनाओं से लगाया जा सकता है। जयपुर के अपैक्स अस्पताल के बाहर एक महिला अपने पति के शव को लेकर 24 घंटे तक रोती बिलखती रही, लेकिन भाजपा सरकार के संवेदनहीन मंत्रियों, अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों आदि ने कोई सुनवाई नहीं की। 29 वर्षीय श्वेता का आरोप रहा कि उसके पति करण सिंह को अपैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने मार डाला। श्वेता अस्पताल प्रबंधन से यह जानना चाहती थी कि आखिर उसके पति की मौत अचानक कैसे हो गई? सड़क दुर्घटना के बाद जब करण सिंह को अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, तब मौत हो जाने की कोई आशंका नहीं थी। अस्पताल के प्रबंधन ने 21 अप्रैल की सुबह करण सिंह की लाश उसकी पत्नी श्वेता और 2 वर्ष के पुत्र यश को सौंप दी। श्वेता 21 अप्रैल की सुबह ही अस्पताल के बाहर सड़क पर अपने पति की लाश को लेकर रोती चिल्लाती रही। श्वेता 22 अप्रैल की सुबह तक रोते-रोते अधमरी हो गई, लेकिन फिर भी भाजपा की संवेदनहीन सरकार के किसी भी प्रतिनिधि के कान पर जू नहीं रेंगी। अस्पताल प्रबंधन ने मौत का कारण बताने के बजाए श्वेता को यह लालच दिया कि वह पति की मौत का मुंह मांगा मुआवजा ले लें और अस्पताल में स्थाई नौकरी भी कर ले। अधमरी श्वेत को बड़ी मुश्किल से परिजनों ने समझाया, तब जाकर श्वेता ने 22 अप्रैल को दोपहर अपने पति का अंतिम संस्कार किया। उधर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र सिंह राठौड़ ने 22 अप्रैल को ही अपने निर्वाचित क्षेत्र चूरू में शान-ओ-शौकत के साथ अपना जन्मदिन मनाया। संवदेनहीनता की पराकष्टा तब देखी गई, जब राठौड़ ने अपने गले में 21 किलो फूलों की माला पहनी। यह माला भी चूरू के भरतिया अस्पताल के डॉ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने पहनाई।
राजेन्द्र सिंह राठौड़ अपने जन्मदिन पर 21 किलो की फूलों की माला पहने,यह उनका व्यक्तिगत मामला है, लेकिन प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री की हैसियत से उन्हें श्वेता के दर्द का भी ख्याल रखना चाहिए। एक महिला यदि अपने पति के शव को प्रदेश की राजधानी जयपुर में ही सड़क पर लेकर रात और दिन बैठी रहे और सरकार के मंत्री अपने जन्मदिन पर 21 किलो फूलों की माला पहनते रहे, इससे अधिक शर्मनाक बात कोई हो ही नहीं सकती। प्रदेश की जनता ने सवा साल पहले जब भाजपा को वोट दिया था, तब यह उम्मीद थी कि सरकार संवेदनशील होकर पीडि़तों के दर्द को सुनेगी। समझ में नहीं आता कि जब एक महिला अपने पति की लाश को लेकर सड़क पर बैठ जाती है, तो फिर राठौड़ जैसे मंत्री किस प्रकार से 21 किलो फूलों की माला अपने गले में डाल लेते हंै? अच्छा होता कि राठौड़ अपना जन्मदिन मनाने के बजाए अपैक्स अस्पताल के बाहर जाकर उस महिला से मिलते जो अपने पति का शव लेकर बैठी थी। लेकिन राठौड़ ऐसा आगे भी नहीं करेंगे,क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों के मालिक ही राठौड़ का जन्मदिन 21 किलो की फॅलों की माला से मनाते हैं। राठौड़ को श्वेता के पति के शव से क्या सरोकार उन्हें तो प्राइवेट अस्पताल के मालिकों से 21 किलो फूलों की माला अपने गले में डलवानी है।
(एस.पी. मित्तल)(spmittal.blogspot.in) M-09829071511

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