व्यापम = मध्य प्रदेश व्यसायिक परीक्षा मंडल या मौतों का व्यापक प्रबंध

sohanpal singh
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यूं तो भारतीय जनता पार्टी का हमेशा से यह रोना धोना चलता रहा है की जनता हमें सत्ता नहीं सौंपती है ? और दावा भी करती हैकि हमारा चाल चलन दूसरी राजनितिक पार्टियों से अलग है ! लेकिन देखने में आता है सत्ता प्राप्ति का हिन्दुतत्व ही उसका सबसे बड़ा राजनितिक हथियार साबित हुआ है । लेकिन राजनितिक सुचिता या भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना केवल चुनावी घोषणा पत्र तक ही सिमित होकर रह गई है । भारतीय जनता पार्टी में भी वही सारे दुर्गुण के कीटाणु मौजूद है जो भारत की सारी राजनितिक पार्टियों में विद्दमान हैं इस लिए भारतीय जनता पार्टी का यह कथन की हम पार्टी विद डिफरेंस हैं बिलकुल गलत साबित होता है !

अगर हम बात करे भारतीय जनता पार्टी की मध्य प्रदेश सरकार की तो इतना तो सच है की यूनियन कार्बाइड दुर्घटना के बाद से कांग्रेस की साख को बट्टा लगा था और जनता ने कालान्तर में जनता ने भारतीय जनता पार्टी को बहुमत देकर सत्तारूढ़ किया ! भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने अपने मातृ संघठन (आर एस एस) की इच्छा पर मध्य प्रदेश में सरकारी नौकरियों के लिए एक संघठन का गठन किया जिसका नाम मध्य प्रदेश व्यसायिक परीक्षा मंडल रखा गया ! जिसका कार्य था मेडिकल टेस्ट जैसे पीएमटी प्रवेश परीक्षा, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा व शैक्षिक स्तर पर बेरोजगार युवकों के लिए भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराना है!

लेकिन इस व्यापम नमक संस्था ने जो व्यापक घोटाला किया है उसकी तुलना में कोयला घोटाला और 2 जी घोटाला या फिर कमान वेल्थ गेम सब के सब फीके ही रह जाते है अब तक घोटाले केलाभार्ति और उसमे शामिल 2500 लोगों में से अब तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है ? एक तजा रहस्यमयी मौत आजतक के एक पत्रकार श्री अक्षय सिंह की हुई है जो झबुआ में पीड़ित लोगों के परिवारी जानो से व्यापक खोजबीन में लगा हुआ था ।

व्यापमं भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जाता है, इस घोटाले कई बड़े नाम सामने आए जिनमें कुछ लोग तो सलाखों के पीछे पहुंच चुके हैं। खुद हाईकोर्ट इस मामले की जांच पुलिस की स्पेशल इनवेस्टीगेशन टीम से करवा रही है। आरोप है कि साठगांठ कर मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले में फर्जीवाड़ा कर भर्तियां की गईं। इस घोटाले के अंतर्गत सरकारी नौकरियों में भ्रष्टाचार कर रेवड़ियों की तरह नौकरियां बांटी गईं। दरअसल मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल का काम मेडिकल टेस्ट जैसे पीएमटी प्रवेश परीक्षा, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा व शैक्षिक स्तर पर बेरोजगार युवकों के लिए भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराना है।
कब सामने आया घोटाला

व्यापमं घोटाले में सरकारी नौकरी में 1000 फर्जी भर्तियां और मेडिकल कॉलेज में 514 फर्जी भर्तियों का शक है। खुद सीएम शिवराज सिंह विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि 1000 फर्जी भर्तियां की गईं। व्यापमं घोटाले का खुलासा 2013 में तब हुआ, जब पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया, ये छात्र दूसरे छात्रों के नाम पर परीक्षा दे रहे थे। बाद में पता चला कि प्रदेश में सालों से एक बड़ा रैकेट चल रहा है, जो फर्जीवाड़ा कर छात्रों को एमबीबीएस में इसी तरह एडमिशन दिलाता है। छात्रों से पूछताछ के दौरान डॉ. जगदीश सागर का नाम सामने आया, सागर को पीएमटी घोटाले का सरगना बताया गया। जगदीश सागर पर आरोप है कि वो पैसे लेकर फर्जी तरीके से मेडिकल कॉलेजों में छात्रों का एडमिशन करवाता था, जिससे उसने करोड़ों की संपत्ति बनाई। सागर से पूछताछ में खुलासा हुआ कि यह इतना बड़ा नेटवर्क है, जिसमें मंत्री से लेकर अधिकारी और दलालों का पूरा गिरोह काम कर रहा है। पूछताछ में यह सामने आया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं का ऑफिस इस काले धंधे का अहम अड्डा था। सागर ने पूछताछ में बताया कि परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख, फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख और सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपये लेकर फर्जी तरीके से नौकरियां बांटी जा रही थीं। लक्ष्मीकांत शर्मा तक पहुंचने में जगदीश सागर की गवाही ने अहम भूमिका निभाई।

लक्ष्मीकांत शर्मा की गिरफ्तारी

16 जून 2014 को मध्य प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को गिरफ्तार कर लिया गया। लक्ष्मीकांत शर्मा मध्य प्रदेश के व्यावसायिक परीक्षा मंडल के भी मुखिया थे। उनपर आरोप ये था कि उनके ही आशीर्वाद से मध्य प्रदेश में बरसों से फर्जी भर्तियों का धंधा चल रहा है। मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेजों के एडमिशन का सीधा जिम्मा उच्च शिक्षा मंत्रालय के पास था, लेकिन सरकारी नौकरियों में भर्ती की परीक्षाएं भी इसी विभाग के जरिए करवाई जाती थीं। आरोप ये भी लगा कि लक्ष्मीकांत शर्मा ने अपने रसूख का इस्तेमाल करके दूसरी भर्तियों में भी दखल देते थे।

कई बड़े लोग गिरफ्तार

पीएमटी घोटाले में अरविंदो मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी और व्यापमं के परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी की भी गिरफ्तारी हुईं। पूर्व मंत्री ओपी शुक्ला को घोटाले के पैसों के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया था।

कैसे चलता था गोरखधंधा

अब तक हुई जांच में ये खुलासा हुआ है कि परीक्षा नियंत्रक डॉ. पंकज त्रिवेदी सीधे लक्ष्मीकांत शर्मा के बंगले पर आता जाता था और वहां से उसे फर्जीवाड़े के कैंडीडेट की लिस्ट और रोल नंबर मिलते थे। सवाल ये है कि आखिर गड़बड़ होती कैसे थी, सूत्रों के मुताबिक छात्रों की पहचान के लिए थंब इंप्रेशन मशीन और ऑनलाइन फॉर्म की व्यवस्था ही खत्म कर दी गई थी। कैंडीडेट को फर्जी परीक्षार्थी के करीब बैठाया जाता था, ताकि वो नकल कर सके, कैंडीडेट की जगह फर्जी छात्र बैठा दिए जाते थे, कैंडीडेट आंसर वाली शीट खाली छोड़ देता था जिसे बाद में भरा जाता था और रिजल्ट के अंकों को बाद में बढ़ा दिया जाता था, कॉलेजों के प्रिंसिपल और दलाल भी इस खेल में शामिल थे।

इतना ही नहीं है कांग्रेस के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री दिग्विजय सिंह का तो यह भी कहना है की इसमें मुख्य मंत्री भी शामिल है ! वहीँ दूसरी ओर मध्य प्रदेश के राज्यपाल के बेटे और स्वयं राज्यपाल का नाम भी घोटाले बाजो में शामिल है । राज्यपाल के पुत्र की संदिग्ध परिस्थितियों में मृत्यु हो चुकी है तथा राज्यपाल केसंवैधानिक पद पर रहते हुए गिरफ्तारी सम्भव नहीं है ! इसलिये महामहिम अभी तक बचे हुए हैं !

अब सवाल यह है की अभी तक तो जांच भी पूरी नहीं। हुयी है और 44 लोगमर गए या मार दिए गए कुछ नहीं पता क्या यह भी हो सकता हसि की जाँच पूरी होने तक सारे आरोपी ही समाप्त हो जायंगे ? इस लिए हमारी मांग है की न्याय होना ही नहीं चाहिए बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए ? क्या इसमें मुख्य मंत्री की संलिप्तता बिलकुल नहीं है ? राज्य का मुख्य मंत्री होने के नाते सबसे पहले मुख्य मंत्री का त्यागपत्र होना चाहिए उसके बाद ही निष्पक्ष जांच हो सकेगी ? एस पी सिंह । मेरठ

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