उत्तर प्रदेश की बर्बर पुलिस

sohanpal singh
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अखिलेश भैय्या । (वैसे तो आप भारत के सबसे बडे प्रदेश के सम्माननीय मुख्य मंत्री है )लेकिन आप हमसेछोटे है इसलिए भैय्या कह रहे है । यहाँ तक तो यह उचित माना जा सकता है कि। हमारे प्रदेश की पुलिस एकदम नकारा है क्योंकि जितना बडा प्रदेश है उतने हीबडे अपराध भी घटित होते रहते हैं । जिन पर काबू पाना पुलिस के बस का नही है । कारण यह नही है कि पुलिस अक्षम है ऐसा कदापी नही है । बडा कारण यह है कि पुलिस दबाव मे रहती है जिस कारण वह केवल उगाही मे लगी रहती है । यहां तक कि संगठित आपरधियों से साठगा़ठ करके उनको संरक्षण भी देती है । चूंकि मै मेरठ रहता हूँ इसलिए उदाहरण स्वरूप मैं बारे मे बताता हूँ ।

१) मेरठ मे अवैध रूप से गोवंश का कटान धडल्ले से हो रहा है । समाजिक कार्यकर्ता यदा कदा पुलिस से शिकायत करते और आवैध कटान पकडवाते रहते है। लेकिन गोवंश का अवैध कटान लगातार जारी है । क्योकिं या तो पुलिस निर्विकार रूप से चुप रहती है या फिर अपना पैसा वसूल करके आखें बंद कर लेती है ।

२)मेरठ मे दूसरा सबसे बडा अवैध धंधा वाहनो के कटान का है जहां सैकडो वाहन चोरी करके काट दिये जाते है । इतना ही नही आसपास के जनपदो के चोरी के वाहन मी मेरठ मे ही काटे जाते है । और जब उन जनपदों की पुलिस दबिश देती है तो स्थानिय पुलिस पहले अपराधियो को सावधान कर देती है । अभी दो महीना पहले सबसे बडा कबाडी हाजी गल्ला पकडा गया था जिसके गोदाम मे ६०० वाहनो की बाडियां मिली थी जिसमे लक्जरी गाडियो के चेसिस भी थे।

३) तीसरा अवैध धंधा है उतार प्रदेश मे हरियाणा मार्का शराब अवैध रूप से हर गली मोहल्ले में खुले आम बेची जा रही और पुलिस बेचने वालो को पकडने के स्थान पर उनसे वसूली करते हुए देखु जा सकती है ।

४) चौथा अवैध धंधा स्वयं पुलिस द्वारा ही किया जा रहा है । तमाम रेहडी पटरी पर वाले जो अवैध रूप से सडको पर अपना व्यापार चलाते है । तमाम तीन पहिया वाहन चालक जो तीन या चार सवारियों के स्थान पर आठ से दस सवारियां बैठाते है पुलिस उनसे अपना हिस्सा वसूल लेती है ।कुछ छोटे मोटे लोगो को पकड कर या जो लौग हिस्सानही देते उनहे ही पकड कर जेल भेजा जाता है ।

यह धंधा तो निरंतर चल ही रहा है जनता को शायद इसी से कुछ शकून मिलता होगा ? लेकिन का जल्लाद का रूप तो बहुत ही भयंकर होता जा रहा है जब वह अपराध के नाम पर निर्दोश लोगो यातना देकर जान से मार देती है । लेकिन अब तो खुले आम अपने मन की न होने पर पुलिस थाने मे ही पैट्रोल डाल कर लोगो को जलाने लगी है ।
पहला किस्सा शाहजहांपुर का है जब एक मंत्री की शह पर पुलिस द्वारा एक पत्रकार को पैट्रोल डाल कर जिन्दा जला दिया गया । दूसरा केस दो दिन पहले का है जब राजधानी लखनऊ से १२किलो मीटर दूर बाराबंकी के कोठीगेट थाने मे अवैध रूप हिरासत मे लिए गये व्यक्ति को उसकी पत्नी छुडाने के लिए जाती तो साधारण पुलिस वाले बल्कि एक दरोगा और थाना ईंचार्ज स्वयं उस औरत के समर्पण न करने पर ऊस पर पैट्रोल डाल कर आग के हवाले कर देते है इन दोनो ही केसों मै दोनो ही लोगो की मोत हो चुकी है और सरकार लीपापोती मै लगी हुइ है ।। एस०पी०सिहं ।मेरठ

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