तेरा (नीतीश): DNAऔर मेरा ( मोदी ) DNA

sohanpal singh
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बिहार के मुजफ्फरपुर में एक सरकारी कार्यक्रम में शिरकत करते हुए नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ओर इशारा करते हुए कहा उन लोगों के साथ क्या हुआ, जिन्होंने कभी मुख्यमंत्री के साथ काम किया था। पूर्व केंद्रीय मंत्री जॉर्ज फर्नाडीस व सुशील कुमार मोदी के साथ भी ऐसा ही हुआ जो कभी नीतीश के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते थे। इससे पता चलता है कि उनके (नीतीश) डीएनए में कुछ गड़बड़ है। मोदी ने कहा कि बिहार में बदलाव जरूरी है। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘उन्होंने एक व्यक्ति के कारण बिहार की विकास यात्रा रोक दी।‘ उन्होंने कहा कि अब बिहार के लोग जंगलराज से मुक्ति चाहते हैं। यहां के लोगों को जोश अगर राजनीतिक पंडित देख लें तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि बिहार में अगली सरकार किसकी बनने वाली है।

क्या है डी एन ए ( DNA) को वैज्ञानिक भाषा में कुदरत का बेहतरीन नायाब तोहफा कहते है जिसके द्वारा हम किसी भी प्राणी की अनुवांशिकी खोज कर सकते है और उसके वंश का इतिहास पुराण जान सकते है प्राणियों में दो विशेष प्रकार के केंद्रसूत्र पाए जाते हैं। एक तो कुछ डिप्टरा इंसेक्टा (Diptera, Insecta) में डिंभीय लारग्रंथि (larval salivary gland) के केंद्रकों में पाया जाता है। ये गुणसूत्र उसी जाति के साधारण गुणसूत्रों की अपेक्षा कई सौ गुने लंबे और चौड़े होते हैं। इस कारण इन्हें महागुणसूत्र (Giant chromosomes) कहते हैं। इनकी संरचना साधारण समसूत्रण और अर्धसूत्रण केंद्रसूत्रों से कुछ भिन्न दिखाई पड़ती है। यहाँ एक गुणसूत्र के स्थान पर एक अनुप्रस्थ पंक्ति ऐसी कणिकाओं की होती है जिनमें अभिरंजित होते की योग्यता अधिक होती हैं। गुणसूत्र के एक छोर से दूसरे तक बहुत सी ऐसी अनुप्रस्थ पंक्ति की सब कणिकाएँ एक समान होती हैं और अन्य पंक्तियों की कणिकाओं में विशेषताएँ और विभिन्नताएँ होती है। इन गुणसूत्रों के अधिक लंबे होने के कारण यह समझा जाता है कि इनका पूर्ण रूप से विसर्पिलीकरण (despiralisation) होता है और कदाचित्‌ प्रोटीन का कुछ बढ़ाव भी होता हैं।

एक विडम्बना ही है। जब आकाश गंगा में कोई क्षुद्र गृह अपनी कक्षा से बाहर निकल जाता है तो वह पूरे ब्रह्माण्ड के लिए खतरे का संकेत हो जाता । लेकिन फिर भी वैज्ञानिको का ऐसा मानना है कि ऐसे क्षुद्र गृह पृथ्वी की कक्षा में पहुचने से पहले ही स्वयं ही जल कर नष्ट हो जाया करते हैं। लेकिन हम तो बात कर रहे है पृथ्वी पर रहने वाले महान प्राणियों की जो इस महान गृह के प्राणी है जो इस धरती पर ग्रहों के समान ही बिचरण करते रहते हैं ? और इसी विचरण के समय एक प्राणी ने एक प्रदेश के मुखिया के DNA को ही गड़बड़ बता दिया

कंप्यूटर पर काम करनेवाले भारी तादाद में डिजिटल जानकारी इकट्ठा करते हैं और बाद में इसका इस्तेमाल भी करते हैं। इसलिए वैज्ञानिकों का दल आज नयी-नयी तकनीकों की खोज में लगा हुआ है, ताकि वे ढेर-सारी जानकारी जमा करने के लिए डी.एन.ए जैसा एक बेहतरीन तरीका ढूँढ़ सकें। जी हाँ, डी.एन.ए कुदरत का एक नायाब तोहफा है, जिसमें पहले से ही ढेर-सारी जानकारी मौजूद होती है।

जीवित कोशिकाओं में जो डी.एन.ए पाया जाता है, उसमें अरबों-खरबों जानकारियाँ भरी होती हैं। यूरोपियन बायोइंफोर्मेटिक्स इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिक, निक गोल्डमैन का कहना है, “हम इसे समझने के लिए मैमथ (ऊनी हाथी) . . . की हड्डियों से निकाले गए डी.एन.ए के कुछ नमूनों पर गौर कर सकते हैं। आपको यकीन नहीं होगा कि यह इतना छोटा है मगर इसमें जानकारी खचा-खच भरी पड़ी है। इसमें जानकारी जमा करने के लिए कोई ताकत नहीं लगती और इसलिए इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है।” क्या डी.एन.ए इंसानों के ज़रिए तैयार की गयी जानकारी जमा कर सकता है? खोजकर्ताओं का कहना है हाँ, बिलकुल कर सकता है।

वैज्ञानिकों ने एक ऐसा डी.एन.ए बनाया है, जिसमें जानकारी तसवीरों, ऑडियो और वीडियो फाइल के रूप में जमा की जा सकती है। यह एक भरे-पूरे डीजिटल स्टोर जैसा है। खोजकर्ताओं ने जब जानकारी को डिकोड किया यानी उसे पढ़कर देखा, तो उन्होंने पाया कि डी.एन.ए में जो जानकारी जमा की गयी थी, वह 100 प्रतिशत सही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि समय के गुज़रते हम इन तरीकों को अपनाकर, एक ग्राम के डी.एन.ए में तकरीबन 30,00,000 सीडी के बराबर जानकारी जमा कर सकते हैं। यही नहीं, यह जानकारी सालों तक सँभालकर रखी जा सकती है। अगर हज़ार साल तक नहीं तो कम-से-कम सौ साल के लिए तो इसे रखा जा सकता है। भविष्य में अगर यह मुमकिन हुआ, तो इस तकनीक की मदद से पूरी दुनिया की सालों की डिजिटल जानकारी इसमें जमा की जा सकती है। इस वजह से डी.एन.ए को “सबसे बेहतरीन हार्ड ड्राइव” का खिताब दिया गया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और युवक रोहित शेखर के बीच न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से चार साल से चल रहे ‘लुका-छिपी’ का शुक्रवार को पटाक्षेप हो गया। डीएनए जांच की रिपोर्ट से पुष्टि हो गई कि तिवारी ही रोहित शेखर के पिता हैं।

32 वर्षीय रोहित ने वर्ष 2008 में अदालत में याचिका दायर कर दावा किया था कि 86 वर्षीय तिवारी उनके पिता हैं, जबकि तिवारी इससे मुकरते रहे और डीएनए जांच के लिए पहले तो अपने बाल का नमूना देने से कतराए, फिर अपने रक्त का नमूना देने में आना-कानी करते रहे। लेकिन अदालत के सख्त निर्देश के आगे आखिकार उन्हें झुकना पड़ा और उन्होंने अदालत में आकर नहीं, बल्कि अपने घर पहुंची टीम को रक्त का नमून दिया था ।

अब अगर देश का प्रधान मंत्री अपने सरकारी दौरे पर किसी प्रदेश के मुख्य मंत्री के DNA में ही गड़बड़ बताता है तो पहले तो यह धृष्टता ही कही जायगी उसके बाद नारेन्द्र मोदी से यह पुछा जायेगा की आपने किस विद्यालय से डिग्री प्राप्त की है जो आप किसी व्यक्ति का DNA केवल उसकी शक्ल देख कर ही गड़बड़ी बता सकते हो तो क्या आपने शिन जिन पिंग के साथ गुजराती झूले पर बैठ कर बतियाते हुए उसका DNA देखा था या फिर मियां मुशर्रफ अभी सभी रूस के ufa में हाथ मिलाते हुए उनका DNA कभी देखा है अगर नहीं देखा तो कृपया अपना ही DNA कभी देख लेना की उसमे कितनी गड़बड़ी है जो शायद उनको दिखती नहीं लेकिन सारी दुनिया जानती है ? कथित DNA की गड़बड़ी के कुछ नमूने इस प्रकार गिने जा ढकते हैं :-

1-संजय जोशी : जो काभि नरेंद्र मोदी के हम सफ़र हुआ करते थे उसके साथ आपने क्या किया ? कुछ यद् है?
2-केशु भाई पटेल : जिस शख्स को जिन्दा विस्मृत कर दिया था परंतु एक दूसरे पटेल सरदार वल्लभ भाई पटेल के गुणगान में रत दिन मगन?
3-वर्ष 2002 के गुजरात के दंगो में मारे गए जाती विशेष की कुत्ते के पिल्लै से तुलना ?
4-अपने ही गृह मंत्री हारेन पंड्या की हत्या का खुलासा न होना ?
5-2002 के दंगो की आरोपी एक मंत्री को 27 वर्ष की जेल ?
6-गुजरात में आतंकवादियों के नाम पर निर्दोष लोहो का क़त्ल किसके समय में हुआ ?
7-अपने ही तीन पूर्वजो को आडवाणी । जोशी और सिन्हा को खुड्डी लाइन लगा देना ?
बिहार और उत्तर प्रदेश की धरती बहुत ही उर्वरक है जो पुरे देश को भोजन के बाद देश के रक्षक नौजवानो को पैदा करती। है इस लिए बिहार के धरती पुत्र का अपमान जनता कभी माफ़ नहीं करेगी ? नेता आते जाते रहते है देश वहीँ रहता है लेकिन सभ्यता और असभ्यता का मानदंड समयानुकूल बदलता रहता है । वैसे भी भारत की राजनीती में किसी तानाशाह का कोई स्थान नहीं केवल जनता कोभ्रमित करके कोई तानाशाह प्रवर्ती का व्यक्ति दस पांच वर्ष तक शासन की बागडोर तोसंभाल सकता है बस इसके आगे कुछ नहीं ?
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