क्या तोता अभी भी पिंजरे में है

sohanpal singh
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यूँ तो दिल्ली जो देश की राष्ट्रीय राजधानी है। उसको अगर देश का दिल कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी लेकिन अगर भौगोलिक दृष्टि से देखें तो वास्तविक रूप में मध्य प्रदेश ही भारत का दिल ही है और ऐसा कहने और में कोई आपत्ति भी किसी को नही होनी चाहिए ?

हम बात उसी प्रदेश की कर रहे हैं कि जहाँ व्यासायिक परीक्षा मंडल यानि व्यापम जिसका काम है सरकारी कार्यालयों में योग्य प्रतिभागियों की परीक्षा लेना और इंजीनियरिंग एवम् डाक्टरी में दाखिला लेने वाले परीक्षार्थियों की परीक्षा लेना ? जिसमे अब तक इतने घपले हुए है की 1000 से अधिक लोग जेलों में बंद है जहां अफसरों से लेकर मंत्री अभियुक्त बनाये जा चुके है । तथा अब तक 40 -45 लोग संदिग्ध परिस्थितियों में मारे जा चुके हैं । अब यह प्रदेश देश का दिल ना हो कर दिल की बीमारी हो गया है जिस कारण से संसद का पूरा सत्र ही इसकी भेंट चढ़ गया था ?

परंतु कुछ व्हिसिल ब्लोअर की याचिकाओं और विपक्ष के नेताओं ने सर्वोच्च न्यायालय में जो याचिकाये दाखिल की थी उस पर माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने।। जाँच का कार्य सीबीआई कोसौंप दिया है और सीबीआई ने जाँच के बाद बहुत सी। ऍफ़ आई आर पंजीकृत की है? और जाँच माननीय सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में जारी है

परंतु सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि मध्य प्रदेश का DMAT घोटाला व्यापम घोटाले से भी बड़ा है, लेकिन फिलहाल वह इसकी जांच नहीं कर सकती है।

केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा है कि उसके पास मध्य प्रदेश के प्राइवेट डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में हुए डेंटल ऐंड मेडिकल ऐडमिशन टेस्ट (DMAT) घोटाले की जांच करने के लिए अधिकारी ही नहीं हैं।

सीबीआई ने कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि उसके पास इंसपेक्टर से लेकर एसपी लेवल तक के करीब 27 फीसदी पद खाली हैं, ये अधिकारी ही जांच में अहम भूमिका निभाते हैं, इसलिए इस घोटाले की जांच संभव नहीं है। सीबीआई ने अपनी मजबूरी बताई कि वह पहले ही व्यापम घोटाले की जांच में उलझी है, इसके अलावा वह कई राज्यों के एक हजार से ज्यादा चिट-फंड घोटालों की भी जांच कर रही है।

इस हलफनामे में कहा गया है, ‘याचिकाकर्ताओं के मुताबिक DMAT घोटाला 2009 से शुरू हुआ और हर साल प्राइवेट डेंटल और मेडिकल कॉलेजों में हजारों छात्रों ने मैनेजमेंट कोटे के तहत ऐडमिशन लिया। इससे लगता है कि यह घोटाला व्यापम से कई गुना बड़ा होगा।’

मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले सामने आने के बाद अब DMAT घोटाला न्यायिक सक्रियता के अधीन आ गया है। सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सीबीआई जांच की अपील की सुनवाई के लिए राजी हो गया था। कोर्ट ने इस पर जांच एजेंसी की भी राय मांगी थी। इसी के जवाब में सीबीआई ने हलफनामे के जरिए अपनी मुश्किल सामने रखी है। सीबीआई ने कहा कि उसके 1264 जांच अधिकारियों में से 348 पद खाली हैं, इसलिए इतने बड़े घोटाले की जांच करना लगभग असंभव है।

राज्य में 15 प्राइवेट डेंटल और 6 मेडिकल कॉलेजों में करीब 2800 सीटें हैं। इनमें 42 फीसदी सीटें राज्य कोटे, 43 फीसदी मैनेजमेंट कोटे और 15 फीसदी NRI कोटे की होती हैं। आवेदकों का कहना है कि तीनों कोटों के तहत ऐडमिशन में गड़बड़ की गई है।

लेकिन मामा जी यानि की माननीय मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान अभी तक किसी भी घोटाले को ही मानाने से इनकार कर रहे थे और कह रहे थे की माननीय हाई कोर्ट के निर्देशन में जो जाँच हो रही है वह पर्याप्त है ? अब सवाल यह है की जब देश की सर्वोच्च संस्था ने ही व्यापम से जुड़े दूसरे कांड डेंटल एंड मेडिकल एडमिशन टेस्ट में हुए घोटाले की जाँच करने से इस कारन से इनकार कर दिया है कि उसके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है ?

अब सवाल फिर से घूमफिर कर वहीँ आ गया है कि क्या तोता अभी भी पिंजरे में है और उसको सौंपे गए काम के लिए क्या वह सार्वजानिक रूप से काम को अपने हाथ में लेने से इनकार कर सकता है ? क्या यह मध्य प्रदेश सरकार को राहत देने जैसा नहीं है । अगर सीबीआई DMAT घोटाला इतना व्यापक मानती है तो देश हित में सीबीआई को एक चैलेंज के रूप में इसकी जाँच स्वीकार करनी चाहिए अन्यथा अगर उसे पिंजरे का ही तोता बना रहना है तो उसे इस जाँच से अलग हो जाना चाहिए ?

SPSINGH

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