कश्मीर में जाकर दिखाएं मर्दानगी

ओम माथुर
ओम माथुर
देश में अकेले शिवसेना को पाकिस्तान से सीमा पर हो रही गोलीबारी और उससे मारे जा रहे हमारे सैनिकों की चिंता है। तभी तो उसने पहले गुलाम अली को मुम्बई में गाने नहीं आने दिया और आज पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री कसूरी की किताब के विमोचन के आयोजक पूर्व भाजपा नेता सुधीन्द्र कुलकर्णी का मुंह काला कर दिया। क्या देश में कोई सरकार नहीं है,कानून-व्यवस्था का राज नहीं है,जो शिवसेना अपनी मनमानी पर उतारू है।
पाक की नापाक हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए,ये हर देशवासी चाहता है। लेकिन लोकसभा चुनावों से पहले जो नरेन्द्र मोदी खुद चुनावी सभाओं में पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने की बात करते थे,प्रधानमंत्री बनने के बाद दो बार पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मुलाकात कर चुके हैं और पाकिस्तान को लेकर अब उसी भाषा व तेवर में नजर नहीं आते। फिर,शिवसेना को ये हक किसने दिया कि वह उन लोगों पर हल्ला बोले,जिन्हें खुद भारत सरकार ने वीजा दिया है। ये अलग बहस का विषय हो सकता है,कि सीमा पर गोलीबारी और राजनयिक स्तर की बातचीत भी बंद होने के बीच क्या पाकिस्तान से सांस्कृतिक और खेल सम्बन्ध बने रहने चाहिए,लेकिन ये कैसे संभव है कि केंद्र और राज्य दोनों सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना पाकिस्तानियों या उनके हिंदुस्तानी मित्रों से इस तरह की बेजा हरकतें करें। पाकिस्तान हमारा दुश्मन देश नहीं है। या तो सरकार उसे दुश्मन देश घोषित कर वहां के लोगों को वीजा देना बंद करें या फिर अपने सहयोगी को समझाएं कि वह अपनी जुबान और कृत्यों पर काबू रखें।
कैसी विडम्बना है कि जिस पार्टी का महज एक राज्य में कुछ अस्तित्व है उसके नेता सीना ठोककर कहते हैं कि स्याही पोतना शिवसेना का लोकतांत्रिक स्टाइल विरोध है और ये भी कि शिवसेना के कारण ही मुम्बई सुरक्षित है। क्या महाराष्ट्र में राज्य सरकार के कारण लोग या शहर सुरक्षित नहीं है? क्या एक दल की मर्जी पर लोग वहां जिन्दगी बसर कर रहे हैं? अगर नहीं,तो क्यों शिवसेना की कई बार गुडंई जैसी हरकतों को भी सरकारें नजरअंदाज कर देती है। शायद इसी से उन्हें ये गलतफहमी हो गई कि वो जो करें,वही सही है। अपनी राजनीति चमकाने के लिए शिवसैनिक अक्सर ऐसी हरकतें करके मीडिया में सुर्खियां हासिल करते रहते हैं। लेकिन ऐसी सुर्खियों से भारत की उस छवि को धक्का पहुंचता है,जिसके लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। शिवसेना को अगर अपनी ताकत पर इतना गुमान है तो क्यों नहीं वह सीमा पर आतंकियों से लोहा लेने अपने कार्यकर्ताओं को भेजती। जाएं,कश्मीर में और करें पाकिस्तान के खिलाफ प्रदर्शन और वहां खुले आम पाकिस्तान के झंड़े लहराने वालों को दें मुंहतोड़ जवाब। पूरा देश उनका समर्थन करेगा। लेकिन अपने सुरक्षा कवच से बाहर निकलने की हिम्मत उनमें नहीं है। इसलिए सारी दादागिरी मुम्बई और महाराष्ट्र में ही चलती है। सरकार को भी पाकिस्तान के बारे में साफ स्टैंड लेना होगा कि उससे संंबंध किस स्तर पर कैसे रहेंगे और जिस स्तर पर भी रहेंगे,उस स्तर के लोगों से शिवसेना बदतमीजी नहीं करें। वो तो राजस्थान व अजमेर में शिवसेना का कोई आधार नहीं है,अन्यथा वो तो में ख्वाजा साहब के उर्स में आने वाले जायरीन के आने पर प्रतिबंध की भी मांग कर देते।
ओम माथुर अजमेर

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