आपातकाल की आहट ?

sohanpal singh
sohanpal singh
बहुत आश्चर्यजनक लगता है जब चाटुकार मीडिया सरकार के किसी भी जन विरोधीकार्य को इसतरह पेश करता है जैसे कोई मुल्ला किसी मस्जिद में नमाज पढ़ाने की कोशिस कर रहा हो ? एक मशहूर चैनल है इंडिया टी वी जिसमे एंकर भी मशहूर ही हैं ! पहले उन्होंने बताया की किस प्रकार से जवाहर लाल नेहरु विश्विद्यालय में कुछ लोगो ने अफजल गुरु के समर्थन और उसकी फंसी के विरुद्ध नारे बाजी की जो देश द्रोह की श्रेणी में आता है ! उन्होंने यह भी बताया की यह गंभीर अपराध है जिसमे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है परंतु यह बात उन्होंने दिल्ली पुलिस केकमिशनर के मुंह से कहलवाई ? लेकिन दूसरे ही क्षण उन्होंने एक खबर और दिखाई जिसमे कश्मीर में स्थानीय लोग पुलिस पर पत्थर फैंक रहे थे और भारत विरोधी नारे भी लगा रहे थे ! एंकर यह भी बता रहे थे कि जुम्मे के दिन इस प्रकार के प्रदर्शन और भारत विरोधी नारे आम बात है और इसके साथ साथ आईएस और पाकिस्तान के झंडे फहराये जाते है ? लेकिन हम एक साधारण नागरिक के तौर पर यह समझना चाहते है की क्या जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान नहीं लागु होता जो भारत में लागूहै ! क्योंकि भारत के गृह मंत्री भी चिंतित है और कहते हैं कि उन्होंने पुलिस को आदेश दिया है की। JNU में हो रही घटनाओं पर ध्यान दे और सख्त कार्यवाही करें ? लेकिन जम्मू कश्मीर में आईएस और पाकिस्तानी झंडे दिखने पर उन्हें कोई चिंता नहीं होती ? यह कैसा लोकतंत्र है की जो गृह बिभाग दिल्ली में शेर बनकर काम करता है और वाही गृह विभाग कश्मीर में बिल्ली जैसे पंजे भी नहीं दिखा पाता कैसी मजबूरी है भाई ? क्या देश ऐसे ही चलेगा ? लेकिन दूर से देखने में तो ऐसा ही लगता हैं की कही सरकार में हिस्सेदारी की मजबूरी है तो कही यूनिवर्सिटी में abvp को ताकत देने की ललक ? लेकिन एक डर भी लग रहा है की टी वी चैनल लगातार एक समाचार प्रसारित कर रहे है सरकार की आलोचना करना और उसके विरुद्ध लिखा देश द्रोह की श्रेणी में आता है जिसमे आजीवन कारावास की सजा हो सकती है ? इसलिए हम तो सरकार की निंदा करने वालो की भर्त्सना करते है और ऐसे लोगों के विरुद्ध हैं । साथ ही यह भी समझने में मजबूर है कि 1860 के कानून को जिसको अंग्रेजो ने बनाया था हम जब गुलाम थे बो हमारे ऊपर शासन करते थे आज हम स्वतंत्र है हमारी अपनी सरकार है तो क्या हम अपनी ही सरकार के विरुद्ध बोलकर देश द्रोह करते है ? शायद संविधान बनाने वालों ने ऐसा नहीं सोंचा था? जबकि यह भी सच है की अंग्रेज अपने देश में सरकार के विरुद्ध बोलने और लिखने की धारा को देश द्रोह की श्रेणी से निकाल चुके हैं ?

भले ही कोई ऐसे कानून विधमान हों जिसमे सरकार की आलोचना को देश द्रोह की श्रेणी में स्थान दिया गया हो वो कानून बहुत पुराना है 1860 का जिसको अंग्रेजो ने बनाया था ? लेकिन आज भारत स्वतंत्र और युवा ऊर्जा से भरपूर , इस लिए सरकार चलाने वाले लोगों को इस बात का ध्यान तो रखना ही पड़ेगा की गुलाम भारत में अधेड़ जन शक्ति ने अंग्रेजों के छक्के छुड़ा दिए थे आज का भारत युवा शक्ति से भरपूर है और बेरोजगार भी है ? इसलिए हार्दिक को देश द्रोही बता कर जेल में ठूंस देना , रोहित वेमुला को देश द्रोही बेताना जिसका परिणाम में उसने आत्म हत्या कर ली , कन्हैया को देश द्रोह में गिरफ्तार करना युवा शक्ति को किस ओर भेजने का संकेत है? क्या हम किसी आपातकाल की ओर बढ़ रहे हैं

S PSingh, मेरठ

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