माननीय प्रधान मंत्री द्वारा राजस्व अधिकारीयों वितरित ज्ञान जिसमे उन्होंने सेंट्रल एक्साइज और आयकर अधिकारीयों के सम्मलेन में यह ज्ञानबांटा की आपलोग कोई काम नहीं करते 92 प्रतिशत राजस्व स्वयं ही एकत्रित हो जाता है, अपने आप में हास्यास्पद है ? इस सब में सेंट्रल एक्साइज, उत्पाद कर, सेवा कर सम्मलित है ! दूसरी ओर आयकर के अंतर्गत अग्रिम कर और श्रोत पर कटौती के रूप में राजस्व प्राप्त होता है ? क्योंकि सेवाकर , सेंट्रल एक्साइज, के अतिरिक्त स्रोत पर कौटती और अग्रिम आयकर स्वयं करदाता को चुकाना पड़ता है जिसका बोझ भी करदाता के ऊपर ही है जिसमे वह (करदाता) सी. ए. और वकीलो से राय लेकर अपने कर की गणना करके भुगतान करता है और यही से कर चोरी का सिलसिला आरम्भ हो जाता है ?
हाँ यह बात सही है की राजस्व संग्रह में विभाग की भागीदार केवल 8 प्रतिशत है यह वार्षिक राजस्व संग्रह पर ही आधारित है ? और यह केवल सेंट्रल एक्साइज के लिए ही लागु होती है दूसरी और आयकर विभाग में स्रोत पर जो कटौती होती है उसका एक बहुत बड़ा भाग रिफंड के रूप में करदाता को वापस किया जाता और स्क्रूटनी द्वारा जो केस किये जाते है उसमे इतने बेरहम तरीके से कर लगाया जाता है कि वह कर कभी वसूल ही नहीं हो पता अपील, ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक सब छूट जाता है और यही आयकर विभाग में भरष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है ? अब राही बात कर का दायरा बढ़ने की तो सर्कार की गलत नीतियों के कारण यह दायरा नहीं बढ़ रहा है । क्योंकि उसके पास पर्याप्त स्टाफ नहीं है जो डोर टू डोर सर्वे कर सके ? तीसरा सबसे बड़ा कारण है विभाग में अफसरों की बड़ी फ़ौज तो बरक़रार है परंतु फील्ड में काम करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों की कमी ? इस लिए प्रधान मंत्री के द्वारा बांटा गया ज्ञान अधूरा ही है ?
एस.पि.सिंह, मेरठ ।