लगता तो नहीं है की ये सारी सरकार ही क्या किसी बनिए की संतान है , जो सारा काम नफे के लिए करते है !! बेशर्मी की हद को पर करके ये लोग कैसे कैसे परपंच रचते हैं , जब कहते है की यात्रियों को 50 प्रतिशत किराये में सफ़र करा रहा है रेल विभाग ? लेकिन इनकी समझ में यह नहीं आता की इस देश में 65 – 70 प्रतिशत से अधिक लोग गरीब है ? देश की कुल पूंजी 10 प्रतिशत लोगो के हाथ में हैं । सामाजिक असमानता के कारण ही देश गरीब है ? इस देश में नौकर शाह राजनितिक और पूंजीपति ही खुशहाल है? झूंठ बोलता है हमारा रेल मिनिस्टर की 50 प्रतिशत किराये में सफ़र कराते है ? VIP सैलून में चलने वाले मिनिस्टर साहेब कभी EMU or DEMU लोकल ट्रेनों में या लंबी दुरी की अनारक्षित बोगी में सफ़र करके देखो तो पता चलेगा की जो किराया हम दे रहे है वह भी अधिक है ? सरकार जो सेवा और सुरक्षा या सुविधा साधारण जनता को देती है उसकी गारंटी हमारा संविधान हमको देता है ? कोई प्रधान मंत्री और मंत्री ये सुविधाएं अपनी जेब से नहीं देता है ? यही हमारा लोकतान्त्रिक अधिकार भी है ? इस देश का निर्माण यही श्रमिक वर्ग कर रहा है ! मजदूर जो बड़े बड़े बाँध, पुल, सड़क , बिजली , पानी, दाल चावल रोटी का इंतजाम करते है वे ही साधारण श्रेणी के श्रमिक हैं जो साधारण श्रेणी की रेल बोगी में सफ़र करते है ?
एस. पी. सिंह, मेरठ ।