ये मौतें कब तक ……….?

sohanpal singh
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आज जब कश्मीर जैसे संवेदनशील एरिया में एक ही दिन में आतंकी हमले 8 जवान शहीद होते है और बीसियों घायल होते है तो इन हसंते खेलते जवानों को जब एक साथ 8 ताबूतों में देखा तो दिल दहल गया, क्योंकि इन ताबूतों में न तो कोई नेता था न कोई नेता का बेटा था , न कोई व्यापारी था ना कोई कारपोरेट था ? ये सब लोग किसान मजदूर और फौजियों के ही बच्चे थे ? इस लिए सामाजिक समरसता के लिए यह जरुरी है कि समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व फ़ौज और सुरक्षा बालों में अनिवार्य रूप में होना चाहिए ? अतः अब समय आ गया है कि इजरायल की भांति ही भारत में भी सभी स्वस्थ स्त्री और पुरुष को सेना और सुरक्षा बालो मे अनिवार्य तौर पर सेवाएं देनी चाहिए ? क्योंकि सुरक्षाबल अपनी जिंदगी कुर्बान करके देश की सुरक्षा करते है तो सर्वहारा मजदूर वर्ग और किसान देश निर्माण में अपना जीवन तिल तिल जलाते हुए कुर्बान हो जाते हैं । जबकि ये राजनितिक पाखंडी, व्यापारी, बयूक्रेट्स , बड़े उद्द्योग घराने अपनी छवि चमकाने और तिजोरी भरने के अतिरिक्त कुछ सोंचते ही नहीं , अगर कुछ सोंचते हैं तो केवल सुविधाओं का अम्बार ? हमे ये फार्मूला आज तक समझ नहीं आया की एक गरीब व्यक्ति गरीबों की नेतागीरी करते हुए करोड़पति कैसे बन जाता ?
जैसे आज पाम्पोर कश्मीर में आठ जवानो के ताबूत देश के विभिन्न क्षेत्रों में जा रहे है । अगर यही ताबूत नेताओं के घर पहुँचते तो आज देश की राजनीती में भूचाल आ गया होता और सीमाओं पर फ़ौज अलर्ट होती ? चूँकि मरने वालों में गरीब और किसान के परिवार के लोग थे जिनके भाग्य में ही मरना होता है ?

वर्तमान प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी, जब गुजरात के मुख्य मंत्री थे तो उन्होंने तत्कालीन सरकार की सभी नीतियों की कड़ी आलोचना के बीच यह कहा था अगर बीजेपी सत्ता में आया तो ये सब नहीं चलेगा, एक जवान की मौत यानि एक सर के बदले दस सर लेकर आऊंगा दुश्मनो के । लेकिन अभी 2 वर्ष पुरे हो चुके है सत्ता प्राप्त हुए लेकिन घटनाये काम होने बदले अधिक हुई हैं ? उलटे सभी को आश्चर्यचकित करते हुए बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के मोदीजी ने पाकिस्तान पहुँच कर दुनिया को चकित कर दिया ? लेकिन धरती पर कोई रचनात्मक तस्वीर पाकिस्तान निति के बारे में स्पष्ठ नहीं है ? यहाँ तक कि आज मन की बात में भी आठ ताबूतों में बंद जवानो को याद करना तो दूर दो शब्द भी नहीं बोले । लेकिन सारा ध्यान टेक्स चोरो को उत्साहित करते हुए दिखाई दिए ?

आखिर ये देश पोलिटीशियनों की मनमानी कस्बे तक सहता रहेगा ?

एस. पी. सिंह , मेरठ ।

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