स्मार्ट सिटीज या अजगर ?

sohanpal singh
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अगर मन की बात और उपदेशों से ही ये देश चल सकता है और गरीबी उन्मूलन केवल शहरों के उच्चीकरण से हो जायेगा तो यह तो एक बहुत ही अच्छी बात है और इसका स्वागत गरीबों को तो अवश्य ही करना चाहिए ? उपदेस का मतलब हमे समझ नहीं आया की कोई शहर गरीबी को कैसे पचा सकता है ? तो क्या हम यह समझें किम देश का प्रधान मंत्री केवल उच्च वर्ग के उत्थान की बात सोंचता है ? उसके विजन में गरीबी केवल जनधन के खाते खोलने से उसके द्वारा बीमा कराने से सफाई अभियान का हिस्सा बनने से और शहरों के स्मार्ट हो जाने से गरीबी उन्मूलन स्वयं ही हो जायेगा । सिंह साहेब ! किसी भी ब्यूटी पार्लर में चेहरे की लिपाई पुताई करने के बाद कोई कुरूप भी सूंदर नजर आ सकता है लेकिन अगर किसी के शरीर में बीमारियां भरी हुई हो तो चेहरे का मेकअप करने से उसको स्वस्थ नहीं कर सकता ? जहांतक बात गरीबी को पचाने की है वे तो आज भी हो रहा है किसान आनाज फल सब्जी पैदा तो गावँ में करता है लेकिन उसको बेचने के लिए शहरों की मंडी में आता है ! और इसी प्रकार से खेतिहर मजदूर भी काम की तलास में जब शहर आता है तो शहर का ही होकर रह जाता है । क्षमता तो शहर में है लेकिन यही क्षमता किसीभी स्मार्ट सिटी को कुरूप भी बनाती है जब यही गरीब शहर में बसने के लिए आशियाना जुटाता है , रेल लाइनों के किनारे किसी भी पुल के नीचे खाली पड़ी किसी सरकारी जमीं पर झोपडी डाल कर गुजरबसर की जुगाड़ करता है तो न चाहते हुए वह कोढ़ में खाज का काम करता है । फिर आरम्भ होता है दमन और राजनीती । उनको उजाड़ने की और बसाने की ? इसलिए किसी भी सिटी को कितना ही समार्ट बना लो बन ही जायेगा ? लेकिन गरीब गरीब ही रहेगा ? क्योंकि अगर भारत गाँव में बसता है तो शहरों में इंडिया बसता है जब तक मोदी जी का विजन इंडिया को चमकाने में रहेगा भारत पीछे चलता जायेगा ? और ठीक भी है नेहरू गांधी की जड़ें भारत में गाँवो में ही जमी थी एक बार गावँ पीछे होंगे तो इंडिया आगे बढ़ेगा कांग्रेस मुक्त इंडिया का सपना भी पूरा हो जायेगा ?औरगरीबी भी मिटेगी नहीं बल्कि पच जायेगी यानि जिस प्रकार कोई अजगर बड़े से जानवर को सटक लेता है उसी प्रकार से स्मार्ट सिटीज भी गरीबी को पचा ही लेंगे ?

S.P.Singh, Meerut.

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