पापी कौन ?

sohanpal singh
sohanpal singh
वर्ष 1948 से लेकर आज तक जम्मू और कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंक और घुसपैठ का जो सिलसिला चल रहा है अभी जबसे वर्तमान मुख्य मंत्री ने पदभार संभाला है तभी से स्थानीय अलगाव वादी और पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि हुई है ? इसी कड़ी में जब सुरक्षा बालों ने हिज्बुल का कमांडर आतंकी बुरहान वानी को एक मुठभेड़ में मार गिराया है तभी से सुरक्षा बालों पर पत्थर और पेट्रोल बमो से हमले भी तेज हुए जबकि घाटी में पिछले 5 दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ है परंतु मीडिया रिपोर्टों और सोशल मीडिया पर जो कुछ चल रहा उससे तो ऐसा लगता है की घाटी कोई सरकार नाम की चीज है ही नहीं ?

आखिर ऐसा क्यों है कि घाटी में साधारण लोग और यूथ इतनी बड़ी तादात में कर्फ्यू के बावजूद सुरक्षा बालो पर बहुत दिलेरी से पत्थर फैकने में आगे आ रहे है ? जबसे केंद्र की ओर से सुरक्षा बालों को कम से कम बल प्रयोग के लिए कहा गया है तबसे सुरक्षा बालों पर पत्थर फेकने की घटनाओं में वृद्धि भी हुई है। लगता तो ऐसा ही है कि घाटी में राजनितिक प्रयोग के कारण बनी सरकार का स्थानीय राजनितिक नेतृत्व और केंद्रीय राजनितिक नेतृत्व दिशा हीन हो गया है और इस दिशा हीनता का शिकार घाटी का नौजवान गुमराह हो रहा ? आखिर जनता के द्वारा चुनी गई सरकार प्रभावशाली रूप में जनता को गवर्नेस क्यों नहीं दे पा रही है इसका कारण क्या है ? दूसरी ओर सुरक्षा बलों का मनोबल गिर रहा है ? जिसका कारण भी सरकारी समझ बुझ का आभाव ही है ? क्योंकि AFSPA जैसे कानून के अंतर्गत सुरक्षा बलों की कार्यवाही से मारे गए लोगो के विषय में माननीय उच्च न्यायालय ने शख्ति दिखाई है और कहा है की मणि पुर और कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्यवाही की जाँच हो ?

हमे तो ऐसा लगता है कि केंद्र का राजनितिक नेतृत्व भारत के मानचित्र पर केवल अपने अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के कार्यक्रम में इतना मशगूल है कि उसे जमीनी सच्चाई जानने की फुर्शत ही नहीं है ? जैसा की सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश के विषय में राष्ट्रपति द्वारा की गई धारा 356 की कार्यवाही को निरस्त कर दिया है । वर्तमान केंद्रीय नेतृत्व को यह समझना ही होगा की पार्टी हित से बड़ा देश हित है और उसने अपने अस्तित्व को बढ़ाने का जो प्रयोग घाटी में किया है उसका पाप सुरक्षा बल भोग रहे है और सुरक्षा बल जो पाप करते है उसका फल आम नागरिक भोगते है आखिर यह सिलसिला कब तक चलेगा ?

एस.पी.सिंह, मेरठ।

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