यूँ तो सरकार के पास असीमित धिकार है जिनको विभिन्न सरकारी एजेंसी के द्वारा समय समय पर प्रयोग भी कया जाता है । लेकिन केंद्र की सरकार के पास एक निरंकुश आर्थिक कानून भी है आयकर अधिनियम जिसको आयकर विभाग के द्वारा लागू किया जाता है ? अब यह बात अलग है की सरकार के पास कितने सक्षम और ईमानदार कर अधिकारीयों की फ़ौज है क्योंकि आयकर अधिनियम् में अधिकारी के विवेक पर इतनी छूट दी गई है कि कीसी भी प्रावधान का अर्थ से अनर्थ हो जाता है जब की अधिकारी की कही कोई जवाबदेही नहीं बनती ?
इसी प्रकार वर्तमान में नोट बंदी के बाद सरकार आयकर विभाग के कंधे पर बन्दूक रख कर आम नागरिकों का वेरिफिकेसन सत्यापन के नाम पर उत्पीड़न कर रही है ? क्योंकि आयकर अधिनियम 1961 के प्रावधानों के अनुसार कोई कोई भी सक्षम कर निर्धारण अधिकारी किसी भी व्यक्ति को आयकर अधिनियम के अंतर्गत किसी भी प्रकार का नोटिस या पूंछ ताछ का लैटर नहीं भेज सकता केवल धरा 133(6) के जब उसके पास किसी पेंडिग केस में कोई सुचना चाहिए ? लेकिन किसी ने कितना पैसा जमा किया है या किसी और व्यक्ति का धन अपने बैंक में जमा किया है तो भी कोई कार्य वाही नहीं कर सकता विभाग , अतः सरकार को स्पष्ट करना चाहिए की अगर नॉट बंदी से सम्बंधित कोई अध्यादेश या कानून सरकार ने बनाया है तो उसको सार्वजानिक करे ? अगर कोई कानून नहीं बनाया है तो सरकार नागरिकों का अवैध उत्पीड़न तुरंत बंद करे ?
एस.पी.सिंह, मेरठ ।