सब को सोचना होगा
हम कहा जा रहे हे
आपस की लड़ाई हम को खत्म कर देगी ।
तरुण सागर जी का आपकी अदालत मे आने पर विवाद।।।।
आज हम जैन समाज के लोगो को पता नहीं कहा जा रहे हे ,हम सब पता नहीं क्या कर रहे हे जो कर रहे हे वो गलत है या सही हम को यह तक पता नहीं।।हम जो बोल रहे हे उस तक का हम को पता नहीं ।
मै कोसिनोक जैन आज जो घट रहा है उस पर आप से कुछ बातें share करना चाहता हूं। अभी 18 मार्च को एक प्रोग्राम आया था आप की अदालत जिस से आप सब जानते है उस मे हमारे दिगम्बर जैन समाज के संत तरुण सागर जी को बुलाया गया था ।उन को बुलाया वो बहुत बढ़िया था या नहीं यह अपनी अपनी राय है ।कुछ लोग कहते हे यह गलत है क्यों की एक संत अदालत मे नहीं जा सकते ,एक संत कटघरे मे नहीं बैठ सकते ,एक संत के उप्पर यानि पञ्च परमेष्टि से ऊपर कोई नहीं बैठ सकता ,और एक संत से कोई सवाल जवाब नहीं कर सकता ।दूसरा पहलू आज एक संत ने उस जगह जा कर संबोधन दिया जहा बड़े बड़े राजनेता ,हीरो हीरोइन संत आदि पहुच चुके है ।एक संत ने समस्त समाज के सामने बहुत बढ़िया तरीके से सवाल का जवाब दिया ।एक संत ने जैन समाज को नयी दिशा और दशा प्रदान करि ।।
परंतु आज हमने इस को विवाद का विषय बना लिया है ।
अपने हाथ को देखोगे तो एक तरफ गोरा और एक तरफ काला दिखेगा सब की अपनी अपनी सोच है और हम वाद विवाद करके किसी को बदल नहीं सकते ।आज हम आपस मे लड़ने लग गए।व्हात्सप्प और फेसबुक पर तो लग रहा है युद्ध हो रहा है ।लोग एक दूसरे को ऐसा जवाब दे रहे हे जैसे युद्ध मे कोई आपस मे एक दूसरे से टकराता हे ।व्हात्सप्प पर तो लोग ने पता नहीं किस किस शब्दो का इस्तेमाल किया जिस को मे लिख नहीं सकता ।
घर मे बैठ कर आपस मे विवाद को जन्म दे रहे हे ।आज संत समाज भी अपने प्रवचनोंऔर शंका समाधान मे इस पर विवाद खड़ा कर रहे हे ।प्रवचनों मे खुलामखुला विवाद हो रहा है ।
हम सब को यह नहीं करना चाइये ।आज दूसरा समाज हमारी हंसी उड़ा रहा है ।व्हात्सप्प पर लोग हमारी मजाक बना रहे हे ।यह हम को बिलकुल नहीं करना चाइये ।आज हम को पता रहना चाइये हम कहा जा रहे हे ।हम को विवाद के रास्ते को त्याग कर शांति के मार्ग पर अग्रसर होना चाइये ।
एक पुरानी कहावत है * मत भेद करो ,मन भेद मत करो यानि आपस मे मत नहीं मिलते कोई बात नहीं पर बोल चाल मत छोड़ो ।परंतु हम इस के विपरीत जा रहे हे मत भेद के साथ मन भेद भी कर रहे हे *^
जय जिंनेद्र
जियो और जिनो दो
कोसिनोक जैन
9828053399
Ajmer
कोसीनोक जैन का मेसेज सन्त तरुणB सागर जी महाराज के लिए लिखा है मै समझ नहीं पाया ।ये क्या कहना चाहता है।सन्त तरुण सागर जी महाराज का जब प्रोग्राम आप की अदालत आ रहा था मै बहुत उत्सुक था परन्तू जब रजत शर्मा ने कहा आप पर इलज़ाम है तो मुझे बिलकुल भी अचछा नहीं लगा ।आप किस पर इलज़ाम लगा रहे है और बेहुदासवाल पूछ रहे है श्याद रजत जी को मालूम नहीं कि वह किस हस्ती के सामने खड़े है और क्या पूछ रहे है।सन्त तरुण सागर महाराज जी के हर धर्म के लोग पूजते है।रजत की तो औकात ही कये है।मै पंजाबी हूँ और तरुण सागर जी महाराज का प्रवचन भी सुनता हूँ।मुझे कतई भी अचछा नहीं लगा जब रजत जी ने कहा आप के ऊपर लगाये गये इलज़ामें की लिस्ट है ब्रेक के बाद…….।रजत जी आप को तरुण सागर जी महाराज जी से कुछ अलग तरीके से सवाल करने चाहिये थे न कि कटघरे में बिठा के।यह मेरी सोच है अगर किसी को मेरी बात का बुरा लगा हो तो में आप सब से हाथ जोड़ कर माफी मांगता हूँ। रवी नरचल।
ऐसा लग रहा था जैसे कोई संत नहीं सामान्य नागरिक बोल रहा है तरूण सागर के प्रति मेरी जो छवि थी वह नहीं रही ।