शिवसेना के सांसद रविंदर गायकवाड का एयर इंडिया के कर्मचारी को चप्पलों से मारने की घटना मे आश्चर्यजनक कुछ नही है। शिवसेना शुरू से ही ऐसी ही राजनीति की हिमायती रही जिसमे गुंडागर्दी भी शामिल हो। जिससे लोगों को डराया जा सके।जिससे जाति, धर्म और प्रांत के नाम पर लोगो को बांटा जा सके। महाराष्ट्र मे उसने कई बार उत्तरभारतीयों का इसी तरह जीना हराम किया है। उसके नेताओं के बयान भडकाऊ व नफरत फैलाने वाले होते हैं। लेकिन जिस बेशर्मी से गायकवाड़ पिटाई की गौरव गाथा कबूल कर मीडिया को बता रहे है, वह जरूर चिंता का सबब हैं। चिंता इस बात की क्या सांसद कानून से ऊपर हैं। क्या उन्हें ऐसे ही काम करने के लिए लोगो ने चुनकर भेज है। राजनीति और गुंडागर्दी मे क्या अब कोई अंतर नही रहा है। लोकसभा अध्यक्ष को खुद पहल करके गायकवाड़ के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन उनका ये बयान की किसी ने शिकायत नहीं की,ऐसे सांसदों का हौंसला ही बढ़ाएगा।विधायको व सांसदों की ऐसी हरकतों के कारण ही संसद और लोकतंत्र शर्मिंदा होते हैं। ये घटना इसलिए भी गंभीर हैं कि शिवसेना केन्द् व महाराष्ट्र मे भाजपा की साझेदार है। उद्धव ठाकरे के लिए भी ये मौका है कि वह तुरंत गायकवाड़ को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा खुद और पार्टी पर लगे दागों को धोने की शुरुआत करें। क्या वे ऐसा करेंगे?