छत्तीसगढ़ के सुकमा में शहीद 25 सीआरपी जवानो को हम तो शहीद ही कहेंगे ? लेकिन आम बोलचाल की भाषा में इसको हत्या या आत्म हत्या ही कहा जायेगा और यह सरकार की आत्म मुग्ध पालिसी का परिणाम ही है और सुरक्षा बल crpf की अपने प्राणों के प्रति लापरवाही सरकार ने नोट बंदी के बाद उस क्षेत्र के 700 नक्सलवादियों द्वारा आत्म समर्पण को अपनी नोट बंदी की सफलता से जोड़ कर ऐलान कर दिया की नोट बंदी से उग्रवादियों और नक्सलियों की कमर की टूट गई है । नतीजतन सुरक्षा बल crpf लापरवाह हो गया ? इतना ही नहीं सुकमा में लुटे गए हथियार और गोला बारूद एवं बुलेट प्रूफ जैकेट अपनी कहानी स्वयं कह रहे है ? जैसा की मीडिया और सरकार का कथन है की नक्सलियों ने औरतो को आगे किया हुआ था तो क्या सुरक्षा बल के ये 25 जवान उन महिलाओं के साथ मौज मस्ती कर रहे थे अपने जैकेट और हथियार को उतार कर क्योंकि हथियारों की संख्या और मारे गए जवानो की संख्या इस ओर इशारा कर रही है ? दूसरी बात यह की रिपोर्टों के अनुसार कुछ जवानो के लिंग भी काट दिए गए है , इस लिए यह सब किसी बहुत बड़ी गंभीर शाजिस की बू आ रही है ? जिसकी गहन जांच की जानी चाहिए , देश का सबसे बड़ा आंतरिक सुरक्षा का तंत्र अगर हनी ट्रेप में फंसता दिख रहा है तो यह एक गंभीर समस्या की और इशारा भर है ? इस लिए केंद्रीय गृह मंत्री और गृहराज्य मंत्री केवल व्यक्तव्य देकर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते कुल 2 माह में 37 से अधिक एक ही फ़ोर्स के जवान मार दिए जाएँ और सरकार अभी भी मीटिंग करने में व्यस्त है ? सुरक्षा बालों की शाख का तो सवाल है ही क्योंकि नक्सली जो हथियार और गोला बारूद और बुलेटप्रूफ जैकेट लूटकर ले गए है वह सामन और कितने लोगो या सुरक्षा बलो के जवानो की मौत का कारण बनेगा ? इसलिए अगर यह समस्या अडानी और अम्बानी को जमींन देने से जुडी है तो जनहित में जमीनों का आवंटन तुरंत ही रद्द किया जाना ही श्रेयकर होगा ?
एस.पी.सिंह ।मेरठ।