लोकतंत्र में चतुर बनिया शब्द का पदार्पण और ममता बनर्जी की अमित शाह को शिक्षा

डॉ. मोहनलाल गुप्ता
डॉ. मोहनलाल गुप्ता
लोकतंत्र में चतुर बनिया शब्द का पदार्पण और ममता बनर्जी की अमित शाह को शिक्षा!
जिस ममता बनर्जी ने 2014 के आम चुनावों से पहले भाजपा के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी के लिए वक्तव्य दिया कि वे मोदी की कमर में रस्सी बांध कर उसे बांगला देश भेज देंगी, आज वही ममता बनर्जी भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह को सीख दे रही हैं कि सार्वजनिक जीवन में बोलते समय महापुरुषों के लिए सम्मानजनक शब्दों का प्रयोग करना चाहिए। अमित शाह ने जिस संदर्भ में और जिस शालीनता से गांधीजी के लिए चतुर बनिया शब्द का प्रयोग किया, उससे स्वतः ही स्पष्ट है कि अमित शाह ने गांधीजी का कोई अपमान नहीं किया। फिर ममता बनर्जी द्वारा यह असामयिक शिक्षा क्यों?
क्या गांधीजी का जन्म एक बनिया परिवार में नहीं हुआ! क्या किसी को बनिया कहने से किसी का अपमान हो जाता है! भारत में बहुत सारे लोग अपने नाम के साथ अपनी जाति या काम लिखते हैं। गांधी शब्द भी गुजरात और राजस्थान में पाई जाने वाली एक जाति को ही इंगित करता है जो कि बनिया वर्ग की जाति है। क्या गांधीजी चतुर नहीं थे ! क्या चतुर नकारात्मक शब्द है!
भारत में परम्परा से कही जाने वाली बहुत सी कहानियां इस तरह आरम्भ होती हैं- एक गांव में एक चतुर बनिया रहता था,,,,,,,,,, एक गांव में एक चतुर किसान रहता था………..। एक बार की बात है एक गांव में एक चालाक देहाती रहता था……….. इन कहानियों पर आज तक किसी बनिये या किसान या देहाती ने कभी बुरा नहीं माना। फिर आज ऐसा क्या हो गया कि ममता बनर्जी उपदेश और सीख देने लगीं!
क्या गांधीजी ने भारत की आजादी के बाद यह नहीं का था कि कांग्रेस की स्थापना का उद्देश्य पूरा हो गया है, अतः इसे भंग करके नई राजनीतिक पार्टी का गठन किया जाना चाहिए! क्या गांधीजी के शिष्यों ने गांधीजी के इस सुझाव को ठुकरा कर अनन्त काल तक देश की आजादी के मुद्दे पर भारत की भोली-भाली जनता से वोट बटोरने का सपना नहीं संजोया था! गांधीजी के इस सुझाव में यह भय भी छिपा हुआ था कि जब कांग्रेस विरोधी दलों की सरकारें आएंगी तो वे संभवतः आजादी के लिए संघर्ष करने वालों को कांग्रेसी होने की वजह से वह इज्जत न दें जो उन्हें आजाद भारत में हर सरकार के समय मिलनी चाहिए।
ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने 2012 में भारत में बढ़ते हुए बलात्कार प्रकरणों पर कहा था- भारत में बलात्कार खुले विकल्पों वाले खुले बाजार के समान है।
ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने एक बार नहीं, कई बार नरेन्द्र मोदी के विरुद्ध इतनी गंदी भाषा का प्रयोग किया है जिसे किसी भी तरह सभ्य नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार मोदी को सार्वजनिक रैली में गधा कहा। इन्हीं चुनवाों के दौरान एक रैली में ममता ने कहा कि मोदी हनुमान हैं जो अपनी पूंछ में आग लगाकर हर जगह आग लगा देते हैं। हम मोदी को बंगाल में प्रचार करने दे रहे हैं, यह हमारी उदारता है। हम उन्हें एयरपोर्ट से ही पैक करके वापस भेज सकते हैं। उन्होंने अपने भाषणों में नरेन्द्र मोदी को दानव और खतरनाक इंसान भी कहा।
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल के सांसद कल्याण बनर्जी ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक सार्वजनिक मंच से वक्तव्य दिया था कि मोदी को जल्दी ही चूहे के बेटे की तरह फिर से अपने छेद अर्थात् गुजरात में घुसना पड़ेगा। तब तो ममता बनर्जी ने अपने सांसद को शालीन रहने की कोई सीख नहीं दी थी बल्कि यह कहकर कल्याण बनर्जी की बात को आगे बढ़ाया था कि वे गुजराती चूहे सोचते हैं कि वे पश्चिमी बंगाल की धरती बहुत पोली है इसलिए वे तृणमूल को आसानी से जड़ों से उखाड़ देंगे लेकिन मैं उन्हें कहना चाहूंगी कि हम बहुत उपजाऊ जमीन पर खड़े हैं, चूहे तो चीज ही क्या हैं, हमें टाइगरों से लड़ना आता है।
ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल में सेना की सुरक्षा ड्रिल पर बिफरते हुए कहा था कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि वे (भारतीय सैनिक) यहां हैं और मैं सविचालय में बैठकर उन्हें लोकतंत्र की पहरेदारी करते हुए देखने की प्रतीक्षा कर रही हूँ। उनका आशय यह था कि मिलिट्री उनकी तथा उनके ऑफिस की जासूसी कर रही है और उनका तख्ता पलटने की साजिश की जा रही है। ममता बनर्जी ने यह कभी नहीं बताया कि भारत में विगत 70 साल में किस प्रांत में सेना ने किसी मुख्यमंत्री के तख्ता पलट का प्रयास किया!
ये वही ममता बनर्जी हैं जिन्होंने लखनऊ में नोटबंदी के खिलाफ आयोजित रैली को सम्बोधित करते हुए कहा था कि नरेन्द्र मोदी दंगा करवाते हैं। वह हिटलर से भी बड़े तानाशाह हैं। मोदी ने छुपे रुस्तम बनकर देश को लूटा है। हिटलर से भी बड़े हैं प्रधानमंत्री मोदी। बच्चों की रोटी छीन ली और बात-बात पर दंगा करवाते हो। हिम्मत हो तो मुझे जेल में भेजो मोदी।
अच्छा होता कि ममता बनर्जी अमित शाह को सलाह देने से पहले अपने गिरेबान में झांक लेतीं।
– डॉ. मोहनलाल गुप्ता
63, सरदार क्लब योजना
वायुसेना क्षेत्र, जोधपुर
www.rajasthanhistry.com

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