उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जी ने दस वर्ष के कार्यकाल के अंतिम दिन राज्य सभा टी.वी.को दिये साक्षात्कार में संवेदनशील अभिव्यक्ति की स्वीकार्यता के माहौल का अभाव व मुस्लिमों में असुरक्षा की भावना की व्याप्ति ने बहस छेड़ दी जो आरोप प्रत्यारोप में उलझती प्रतीत हो रही हैं जब कि वस्तुत: आत्मनिरिक्षण, विश्लेषण , चितंन किया जाना चाहिये कि उक्त अभिव्यक्ति एक मुस्लिम ने नहीं बल्कि उपराष्ट्रपति की होने से राजनैतिक प्रतिबद्धता के दृष्टिकोण से न होकर राष्ट्रीय परिपेक्ष में की जानी चाहिये क्योंकि लोकतंत्र में अल्पसंख्यक में सुरक्षा की भावना व्याप्ति बहुसंख्यक वर्ग व सरकार का उत्तरदायित्व है लेकिन अल्पसंख्यक वर्ग की राष्ट्रीयता व राष्ट्रहित सर्वोपरि भी अविवादित हो।राजनैतिक प्रतिबद्धा व विचारधारा केउपरांत भी राजधर्म का पालन सर्वोपरि होना चाहिये ।
सत्य किशोर सकसेंना ,एडवोकेट,अजमेंर। M-9414003192