थाली में जहर

महेन्द्र सिंह भेरूंदा
महेन्द्र सिंह भेरूंदा
आज खाद्य पदार्थो में बहुत मिलावट है उसमें दुग्ध उत्पाद की मिलावट सबसे अग्रणी है पूरा दूध नकली बनाने का लोगो ने गुर सीख लिया है , नकली दूध का दही नकली और नकली दही का घी व छाछ नकली तो बताओ हमारे शरीर को कई आवश्यक तत्व देने वाला दुग्ध उत्पाद ही नकली और हानिकारक है तो शरीर को रोगों से कैसे बचाया जा सकता है ।
पहले मिलावट शहरों तक ही सीमित थी अब इस दूध मिलावट ने गावो को भी अपनी चपेट में ले लिया है गाँवो में नाम मात्र का पशुधन रखने वाला व्यक्ति आप को जितना दूध चाहिए उतना दूध उपलब्ध करा सकता है और छोटी सी डेयरी का व्यवसाय करने वाला कुछ दिन में बड़ा पैसे वाला बन जायेगा आजकल मौत के सौदागरों ने जहर को दूध का जामा पहना दिया है ।
ऐसा नही है कि यह जहर और मिलावट केवल दूध में ही है हमारी सभी खाद्य पदार्थो में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है यहां तक सभी सब्जिया भी जहर से सराबोर है और सब्जियों और फसलों में कीटनाशक के अधिक उपयोग से हरी सब्जीयो के साथ हवा और पानी भी जहरीले हो गई है और बाजार में बिकने वाले सभी फल सरेआम जहर से पकाये जा रहे है ।
अब बताओ क्या हम खाना बंद कर दे ?
क्या हम पानी पीना बन्द कर दे और क्या अब हम श्वास लेना भी बंद कर दे ?
जो हमारे लिए सम्भव नही है मगर कुछ असम्भव को मैने सम्भव करने का प्रयास किया तो शहर में रहते हुए भी एक गाय रखने लगा दूध के स्वाद में तो फर्क महसूस हुआ क्योकि दूध घर की गाय का था मगर उसके घी में उतनी महक और चिकनाहट नही थी जितना 40 वर्ष पहले घर के सुद्ध घी में होती थी यानी बाजार से लाने वाले बांटे में भी मिलावट है और चारा भी अंग्रेजी खादों की उपज है यानी पूर्ण शुद्धता गाय के खान-पान के कारण मेरी आपनी गाय के दूध में नही है ।
इन चार दशकों में कितना परिवर्तन है इस जहर को खाते खाते हम जहरीले हो गए हमारी सहनशक्ति कमजोर हो गई हम ने सयंम खो दिया हम रोगों का जखीरा हो गए हमारी उम्र का औसत भी कम हो गया मगर सरकारों का इस तरफ ध्यान बिल्कुल नही है उन पर भी इस जहरीले खानपान का असर आजकल साफ नजर आने लगा है वह भी व्यवस्था में सुधार के बजाय राजनीति में जहर घोल रहे है ।
जब प्रजातन्त्र में राजनीतिक पार्टिया जहरीलेपन को घोलने में मशगूल है तो क्या आशा करे की राज करने वाला दल हमारी सेहत और देश को सेहत को ठीक करने का समय निकाल पाएंगे सभी दल मूल समस्याओ की तरफ पीठ करके खड़े है और वोट बैंक के पीछे अंधे होकर जातिवाद , क्षेत्रीयवाद , धर्मिकउन्नमाद और अगड़े पिछड़े की गहरी खाई खोदने में लगे है ।
अरे जरा मानवता को महत्व दो और इस जनता ने तुम्हारे ऊपर विश्वास करके तुम्हे सत्ता सौंपी है उसे भोली भाली जनता को कम से कम शुद्ध पानी , शुद्ध दूध , शुद्ध दवा , शुद्ध खाने की तो व्यवस्था कर दो जो उनका मौलिक अधिकार है वरना तुम्हारे इस राज करने में धिक्कार है ।
महेंद्र सिंह भेरून्दा

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