बेलगाम रेल और पटरी से उतरती जिंदगी

अब्दुल रशीद
अब्दुल रशीद
अब्दुल रशीद।। देश के राष्ट्रपति और फिर प्रधानमंत्री ने ‘न्यू इंडिया’
का सपना देशवासियों को दिखाया। उसे पूरा करने का आह्वान लालकिले के
प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री द्वारा भी किया गया। एक
भारतीय होने के नाते हमें गर्व होता है ऐसी बातों को सुनकर लेकिन सिर्फ
बातों से विकास हो जाएगा? क्या सिर्फ नारों से सपना पूरा हो जाएगा? शायद
नहीं।

बात सपनों की हो रही है तो अपने आप ही प्रधानमंत्री की वो बात याद आ जाती
है जिसमें उन्होंने हम भारतवासियों को एक ऐसे भारत का सपना दिखाया
था,जिसमें बुलेट ट्रेन दौड़ेगी. वो बुलेट ट्रेन जो वर्तमान की अपेक्षा
बेहद कम समय में हमें हमारे गंतव्य तक पहुंचाएगी। एक वो दिन है और आज का
दिन है तब से बुलेट ट्रेन के खुबसूरत ख्वाब देश की आम जनता देख रही है।
ये खुबसूरत ख्वाब तब बदरंग और बदनुमा हो जाते हैं जब खबर आती है कि किसी
स्थान पर बड़ा ट्रेन हादसा हुआ है जिसमें कई लोगों की मौत हुई है।

ऐसा ही हादसा बीते दिनों भी हुआ है। यूपी के मुजफ्फरनगर के खतौली के पास
एक बड़ा रेल हादसा हुआ है जिसमें कलिंग-उत्कल एक्सप्रेस के 13 डिब्बे
पटरी से उतर गए हैं। इस हादसे में अब तक 24 लोगों की मौत हुई है और लगभग
150 लोग घायल हुए हैं।यह दुर्घटना इसलिए हुआ की पटरी के ठीक होने का काम
चल रहा था जिसकी सुचना सम्बंधित जिम्मेदारों को नहीं था। अभी इस घटना की
याद धूमिल भी नहीं थी की दूसरी रेल दुर्घटना की ख़बर आगई। यह दुर्घटना
उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में कैफियत एक्सप्रेस ट्रेन के डंपर से
टकराने से हुई जिसमं 10 डिब्बे पटरी से उतर गये जिसके कारण कम से कम 74
लोग घायल हो गए।

ख़बरो के अनुसार मामले की गंभीरता को देखते हुए रेल मंत्री सुरेश प्रभु
ने प्रधानमंत्री से इस्तीफे की पेशकश की तो उन्हें इंतज़ार करने के लिए
कहा गया? इंतज़ार का क्या मायने? राजनीति में अब वह दिन लद गए जब लोग
अप्रिय दुर्घटनाओं की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद त्याग दिया करते थे।

यह बेहद शर्मनाक बात है की जहाँ एक ओर तो बुलेट ट्रेन का ख्वाब दिखाया जा
रहा वहीँ दूसरी तरफ देश के आम जनता को सुरक्षित रेल यात्रा देने में भी
सफल नहीं है। हाल ही में हुए रेल हादसे यकीनन तकलीफ़देह है। पीड़ित को
चंद सिक्के मुआबजे के रूप में देना,अधिकारीयों को बलि का बकरा बनाकर और
जांच के आदेश देना,क्या बस यही सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है। सरकार ऐसा
इस लिए कर रही है, क्योंकि सरकार में शामिल जनता के नुमाइंदे इस बात को
अच्छी तरह से जानते हैं की महज घटना की निंदा करने से और राष्ट्रवादी
वक्तव्य देने भर से रोष और विरोधी स्वर दोनों ही थम जाएगा।जो लोकतंत्र के
लिए अच्छे संकेत नहीं है।

देशभर में रोज चलने वाली 13,313 यात्री गाड़ियांहैं।रेलमार्ग के व्यवस्था
की बात कहें तो 1219 खण्डों में से 492 यानी करीब 40 फीसीदी मार्ग पर
क्षमता से अधिक रेल चल रहा है और 161 खंड इतने ज्यादा व्यस्त हैं की
पटरियों की मरम्मत तक के लिए समय निकालना कठिन है।2014-15 से 01जुलाई
2017 तक रेलवे में कुल 361 दुर्घटनाएं हुई। यह रेलवे मंत्रालय के ताजे
आंकड़े हैं 361दुर्घटनाओं में से 31 की जाँच रेल सुरक्षा आयोग और बाकी
दुर्घटनाओं की जाँच रेलों की विभागीय जाँच समितियों ने की।कुल 356 मामलों
की जांच में 185 दुर्घटनाएं रेल कर्मचारियों की गलती के कारण से हुई,123
बाहरी कारणों से,10 उपकरणों की खराबी से और 07 तोड़ फोड़ की वजह से।जाँच
के बाद जब पता चला के इतने बड़े पैमाने पर कर्मचारियों के कारण से
दुर्घटना हो रही है तो सरकार का ध्यान इस ओर क्यों नहीं गया ? क्या सरकार
जांच रिपोर्ट को तवज्जो नहीं देती ?
बेहतर होता बुलेट ट्रेन का सपना दिखाने और आमजनता के भावनाओं से खेलने के
बजाय सरकार नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए ठोस कदम उठाए और सुरक्षित रेल
यात्रा के लिए मौजूदा रेल नेटवर्क में जो कमी है उसमें सुधार के लिए
ईमानदार प्रयास किया जाए ताकि आमजनता राजनीतिक नारों को छलावा समझे और
सपनो को पूरा होने के भरोसे को बल मिले।

अब्दुल रशीद
Contact-9926608025
[email protected]
SLIG-45, M.P.Housing Board Colony ,
Pachkhoda,Post-Waidhan
Distt-Singrauli
Madhya Pradesh -486886

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