सत्ता का दिमागी बुखार

ओम माथुर
ओम माथुर
भारतीय जनता पार्टी के सत्ता वाले राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों को क्या पार्टी ने लोगों की संवेदनाओं से खेलने और बदजुबानी करने की कोई ट्रेनिंग दी है। यह सवाल इसलिए कि कल अजमेर में राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ ने स्वाइन फ्लू से राज्य में हो रही मौतों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा था कि स्वाइन फ्लू से हमारे शासन में कांग्रेस शासन की अपेक्षा कम मौतें हुई है। इससे पहले अगस्त में जब उत्तर प्रदेश में गोरखपुर के सरकारी अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से 100 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई थी,तब वहां के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने इसी बेशर्मी के साथ कहा था कि बच्चों की मौत ऑक्ससिजन की कमी से नही हुई है। और अगस्त और सितंबर में अक्सर इंसेफेलाइटिस यानी दिमागी बुखार से गोरखपुर मे बच्चों की मौत होना आम बात है । तब उन्होंने भी 4 साल के आंकड़े परोस कर यह साबित किया था कि भाजपा की सरकार आने के बाद इस साल इस बीमारी से बच्चों की मौतें कम हुई है ।
भाजपा नेताओं के ये कुतर्क सुन कर पहली बार इस बात की जानकारी हुई की बीमारियां वायरस या किसी और वजह से नहीं बलिक किस राज्य में किसकी सत्ता है यह देख कर आती है यानी अब इन नेताओं ने बीमारी तक का राजनीतिकरण कर दिया है । जब की राजनीति का गिरता स्तर और नेताओं की निम्नस्तरीय सोच तो खुद देश के लिए अब एक बड़ी बीमारी बन गई है
स्वास्थ्य एक ऐसा संवेदनशील मुद्दा है जिसे लेकर शासन प्रशासन को गंभीर होना चाहिए क्योंकि इससे करोड़ों लोगों की जिंदगी जुड़ी होती है । लेकिन लगता है भाजपा के नेताओं मे सत्ता का दिमागी बुखार चढ़ गया है और वह हर मुद्दे की तुलना कांग्रेस से करने लगे हैं । कांग्रेसियों के दिमागी बुखार का तो देश की जनता ने जो इलाज किया है वह सब देख रहे हैं । तो क्या अब भाजपा भी अपना वैसा ही इलाज चाहती है ।अगर नहीं तो उसके नेताओं को ऐसे शर्मनाक और अहंकारी बयानों से बचना चाहिए ।अन्यथा जनता उसे भी सबक सिखाने में पीछे नहीं रहने वाली और राजस्थान में तो लोगों को अभी इसके मौके तीन स्थानों पर होने वाले उपचुनाव में भी मिलेंगे ।

ओम माथुर। अजमेर

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