अच्छे दिनों का मायालोक एवं जीएसटी का काला जादू

डॉ. मोहनलाल गुप्ता
डॉ. मोहनलाल गुप्ता
कहा नहीं जा सकता कि विगत लोकसभा चुनावों में श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिया गया नारा- ‘अच्छे दिन आएंगे’ से उनका क्या आशय था किंतु जैसे दिन आए हैं उनका कड़वा अनुभव मुझे अच्छी तरह हो रहा है। एक बैंक शाखा में हमारा पारिवारिक लॉकर है जिसके लिए इस सरकार के आने से पहले बैंक द्वारा 1000 रुपया वार्षिक शुल्क लिया जा रहा था। इस शुल्क को इस वित्तीय वर्ष में बढ़ाकर 1200 रुपए कर दिया गया तथा उस पर 18 प्रतिशत जीएसटी जोड़कर बैंक द्वारा 1416 रुपए वूसले गए। घर में मेरे माता-पिता के कमरे में एक टीवी लगा है तथा एक टीवी मेरे कमरे में लगा है। इन दोनों टीवी के साथ केबल कनक्शन है। केबल सर्विस प्रदाता द्वारा इन कनक्शनों पर सम्मिलित रूप से 400 रुपया प्रतिमाह शुल्क वसूल किया जा रहा था किंतु जीएसटी आरम्भ होने के बाद उसने जीएसटी जोड़कर 450 रुपए प्रतिमाह वसूलने आरम्भ कर दिए हैं।
एक बैंक शाखा में मेरी पत्नी का करण्ट एकाउण्ट है जिसमें 5000 रुपए न्यूनतम राशि रखनी पड़ती थी किंतु विगत कुछ माह पहले पीएनबी ने न्यूनतम राशि बढ़ाकर 10000 कर दी तथा न्यूनतम राशि न रखने पर 1000 रुपए की शास्ति आरोपित कर दी। इस परिवर्तन की सूचना न तो खाता धारक के मोबाइल फोन पर और न ई-मेल पर दी गई जबकि बैंक इन दोनों सूचनाओं का संधारण करता है। अतः एक दिन चुपचाप इस करण्ट एकाउण्ट में 1000 रुपए डेबिट कर दिए गए तथा साथ ही इस शास्ति पर 18 प्रतिशत जीएसटी भी काटा गया। इस प्रकार बैंक ने हमसे 1180 रुपए वसूल कर लिए।
हाल ही में मुझे जयपुर से जोधपुर के लिए एसी तृतीय श्रेणी का एक टिकट रद्द करवाना पड़ा। चूंकि पत्रकार होने के कारण रेलेवे मुझे टिकट पर कुछ छूट देती है इसलिए मेरा यह टिकट 305 रुपए में बना था। यह टिकट बनारस से जोधपुर आने वाली मरुधर एक्सप्रेस से था किंतु पिछले लगभग एक माह से यह गाड़ी 12 से 18 घण्टे लेट चलने लगी है। इसलिए मुझे यह टिकट निरस्त करवाकर अन्य रेलगाड़ी से करवाना पड़ा। टिकट रद्द करवाने पर रेलवे ने 305 रुपए में से 190 रुपए काट लिए तथा केवल 115 रुपए लौटाए। वर्तमान सरकार द्वारा जबरन लाए गए अच्छे दिनों से पहले रेलवे इतनी राशि नहीं काटती थी, न मरुधर 12 से 18 घण्टे विलम्ब से चलती थी।
जीवन भर बच्चों के भविष्य की चिंता में मैंने अपना जीवन बीमा रखा जिसमें जमा हुई राशि बेटी की शादी में काम आई। बीमा पॉलिसी का प्रीमियम जमा करवाने पर कभी किसी तरह का कर नहीं वसूला गया और न परिपक्वता राशि पर किसी तरह के कर की कटौती की गई। मेरे बीमा की किश्त तो हालांकि वर्ष भर में कुछ सौ रुपए ही जाती थी किंतु मेरे परिचित बैंक कर्मी ने बताया कि वे 20 हजार रुपए वार्षिक बीमा प्रीमियम जमा करवाने के साथ 870 रुपए जीएसटी भी देकर आए हैं।
मुझे नहीं मालूम कि अच्छे दिनों का माया लोक अथवा रहस्य लोक कितना चमकदार होगा किंतु जीएसटी के काले जादू ने मुझे परेशान अवश्य किया है। मेरे जैसे 125 करोड़ लोग भी इस काले जादू से परेशान हैं। जनता में यह संदेश भी तेजी से फैल रहा है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी चारों तरफ से धनराशि बटोरकर बुलेट ट्रेन में लगाना चाहते हैं। जिस बुलेट ट्रेन के लिए कहा जा रहा है कि जापान की सरकार बिना ब्याज के रुपया उपलब्ध करा रही है, उसका भी एक रहस्यमयी आवरण है जो इस ताने-बाने पर बुना गया है कि जापान द्वारा इस बुलेट के लिए दी जाने वाली तकनीक एवं सामग्री के लिए बहुत बड़ी राशि वसूल की जाएगी।
-डॉ. मोहनलाल गुप्ता
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