पापा और बच्चों ने मिलाया बिछड़ी हुई बूढ़ी-बीमार माँ को अपने परिवार बेटों और बहू से

प्रसिद्ध लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने फेसबुक पेज पर राज महाजन को किया समस्त गढ़वाल समाज की तरफ से धन्यवाद, देश-विदेश से लोग भेज रहे हैं धन्यवाद के सन्देश और कर रहे हैं राज के जज्बे को सलाम

29 नवम्बर, 2016, नई दिल्ली.

अक्सर लोगों को कहते सुना है कि हमें आगे बढ़कर ज़रुरतमंदों की मदद करनी चाहिए. समाज भी लोगों की मदद से ही चलता है. हम बड़ी-बड़ी बातें तो करते हैं लेकिन जब पहला कदम उठाने का वक्त आता है तो अपनी झिझक या मजबूरियों के चलते पीछे हो जाते हैं. लेकिन आज जो खबर हम आपको बता रहे हैं वो केवल खबर न होकर आपके लिए एक प्रेरणा-सन्देश होगा. यह प्रेरणादायक कहानी है कि किस प्रकार दिल्ली-एनसीआर में व्यस्त दिनचर्या में राज महाजन के प्रयास से एक कीमती ज़िन्दगी खोने से बच गयी.

प्रसिद्ध संगीतकार और मोक्ष म्युज़िक कंपनी के चेयरमैन राज महाजन अक्सर व्यस्त ही रहते हैं. लेकिन, बच्चों के साथ समय बिताना राज महाजन को बहुत पसंद है. दिनांक 6 नवम्बर, 2016 को, संगीतकार राज महाजन अपने बच्चों के साथ रविवार सुबह घूमने निकले. वैशाली स्थित अम्बेडकर पार्क में कुछ समय बिताने के बाद राज महाजन बच्चों के साथ नारियल पानी पीने के लिए शोप्रिक्स मॉल के पास रुक गए. तभी उन्होंने देखा कि एक बूढ़ी महिला, जिसकी उम्र 65–70 वर्ष रही होगी, काफी देर से रेड-लाइट के पास गुमसुम सी भटक रही थी. वो किसी से बात भी नहीं कर रही थी. शायद मानसिक रूप से अस्वस्थ थी वो और बोलने में भी उसको परेशानी थी. वेश-भूषा और शक्ल से वो पहाड़ी दिख रही थी. राज उस औरत के पास गए और उससे बात करने की कोशिश की. लेकिन वो महिला कुछ समझा नहीं पा रही थी. मानसिक अस्वस्थता, भाषा की समस्या, बोलने में दिक्कत के चलते राज उस महिला की कोई बात समझ नहीं पाए. महिला ने राज से इशारों में चले जाने को कहा. राज ने निकट के दुकानदारों से पूछा तो कोई उत्तर नहीं मिला. उन दुकानदारों ने इतना कहा, “छोड़ो भाई, इस तरह के बहुत से लोग आते रहते हैं.” राज का ह्रदय नहीं माना और फिर दोबारा उस महिला के पास गए और उनसे खाने के लिए इशारों में पूछा. महिला शायद सभ्य परिवार से थी इसलिए औपचारिकतावश खाने के लिए मना कर दिया. राज ने महिला को चालीस रूपए दिए. महिला ने झिझकते हुए रूपए अपनी जेब में रख लिए. रूपए देकर राज चलने लगे. लेकिन राज के कदम फिर आगे जाकर रुक गए. जो व्यक्ति जज्बातों को समझ कर संगीत में ढाल देता है वो इतना तो समझ गया कि इस महिला को यहाँ पर ऐसे ही छोड़ देना सही नहीं होगा. राज के साथ उनके बच्चे मोक्ष और सौम्या भी थे. इस दौरान राज उस महिला का विडियो बनाकर फेसबुक के माध्यम से शेयर कर चुके थे ताकि जल्द से यह खबर सारे में फ़ैल जाए. राज ने उस औरत से फिर जोर देकर खाने के लिए पूछा. महिला ने झिझकते हुए खाने के लिए हामी भर दी. राज के बेटे मोक्ष ने औरत का हाथ पकड़ लिया और महिला को अपनी गाडी में बैठा लिया. राज उस महिला को अपने घर ले आये. वहाँ पर उस महिला को भोजन कराया. उसके खाने के तरीके से लग रहा था कि वो महिला शायद काफी देर से भूखी थी. तब तक राज के बच्चों सौम्या और मोक्ष ने फेसबुक लाईव के ज़रिये उस महिला का विडियो शेयर करते हुए उस महिला को ढूँढने की अपील की. इस दौरान राज के बच्चे सौम्या और मोक्ष भी इस कार्य में पूरी भूमिका निभा रहे थे. फिर राज ने अपने कुछ पहाड़ी पड़ोसियों से मदद मांगी ताकि उस महिला की भाषा को पहचानकर कुछ बातचीत हो सके. यह तो मालूम पड़ गया कि वो गड्वाली है. राज ने पडोसी मित्र ने गड्वाली भाषा में बात करने और समझने की काफी कोशिश की, लेकिन महिला की खराब मानसिक स्थिति और बोलने की प्रॉब्लम के कारण बात नहीं बन पाई. राज ने फेसबुक लाइव विडियो के माध्यम फिर से अपील की. राज ने इस महिला को पेन और पेपर दिया तो महिला ने अपना नाम ‘प्रभा देवी’ लिख दिया. चलो, यह कोशिश तो सफल हो गयी. अब यह तो मालूम पड़ गया कि महिला का नाम प्रभा देवी है.

बहरहाल, फेसबुक पर विडियो शेयरिंग करने के बाद भी कहीं से कोई उत्तर नहीं आ रहा था. कई लोगों ने राज को पुलिस में जाने की सलाह भी दी. फिर, राज के एक पडोसी मित्र प्रवीण महेश्वरी, जिन्होंने इस विडियो को देखकर राज को फ़ोन किया और वैशाली सेक्टर 2 में कई गढ़वाली परिवारों के होने की बात बताई. बस फिर क्या था राज का दिल उम्मीदों से भर गया. उम्मीद किसी अपने को अपनों से मिलाने की, उम्मीद किसी माँ को उसके बच्चों तक पहुँचाने की, उम्मीद समाज में एक भावना पैदा करने की. शाम को 6 बजे के लगभग राज ने प्रभा देवी को अपनी गाडी में फिर से बिठाया और सेक्टर 2 वैशाली की तरफ अपने पडोसी मित्र ‘बिष्ट’ के साथ चल दिए और वहाँ पर ढूँढने लगे कि शायद कोई प्रभा देवी को पहचानने वाला मिल जाए. और ढूँढने पर तो भगवान् भी मिल जाते हैं. काफी मशक्कत के बाद घुमते-घुमते राज ने देखा कि रामलीला मैदान के पास आते ही प्रभा देवी के चेहरे के भाव बदल गए हैं. और एक महिला दुकानदार प्रभा-देवी को देखकर मुस्कुराई. राज ने उस महिला दुकानदार से प्रभा देवी के बारे में पूछा और फाइनली प्रभा देवी का घर मिल गया. और इस प्रकार बिछड़ी हुई प्रभा देवी को उसका घर-परिवार मिल गया. लेकिन प्रभा देवी स्वयं ही राज को जाने का इशारा करती हुई घर के अन्दर चली गयी. लेकिन, आश्चर्य की बात यह थी कि घर से बाहर कोई भी राज को ‘धन्यवाद’ या ‘थैंक्स’ बोलने नहीं आया. राज और राज के मित्र बिष्ट को अटपटा तो लगा लेकिन संतुष्ट भाव के साथ राज महाजन अपने घर वापिस आ गए. राज ने जिस काम का मिशन उठाया था वो पूरा हो गया. आज किसी को उसकी खोई माँ मिल गई. आज प्रभा देवी अपने घर पहुँच गयी. शायद प्रभा देवी को यह एहसास भी नहीं होगा कुछ देर में उसके साथ क्या-क्या हुआ और क्या हो सकता था अगर राज महाजन वहां न होते.

इस मामले की पूरी जानकारी के लिए आप विडियो देख सकते हैं : https://www.youtube.com/watch?v=eopuAA4RoT8

कुछ ही समय में राज महाजन और उस बूढ़ी महिला में एक अनजाना सा मगर अपना सा रिश्ता बन गया था. शायद उस महिला को महाजन में कोई अपना नज़र आने लगा था. तभी तो कोई रिश्ता न होते भी वो उनके घर चली गयी. घर ले जाने पर राज महाजन और उनके परिवार ने उस बूढ़ी महिला को भोजन कराया. उनका ध्यान रखा. इस दौरान राज की उनके परिवार को ढूँढने की कोशिश जारी रही. सोशल मीडिया पर काफी लोगों ने उस विडियो को शेयर किया जिसमें राज उनके परिवार को खोजने की बात कर रहे थे.

ज़रा सोचिये उस महिला को राज से पहले भी कई लोगों ने देखा होगा, लेकिन राज ने ही यह कदम क्यूँ उठाया? अगर राज महाजन उस बूढ़ी–बीमार मानसिक रूप से विक्षिप्त प्रभा देवी को सहारा न देते तो उसके साथ क्या होता? अगर राज भी औरों की तरह अपना मुंह फेर कर चल देते तो क्या वो अपनों तक पहुँच पाती? नज़र सबको आता है लेकिन बदलाव की हिम्मत कोई नहीं करता. साहस वही करता है जो अलग ही जिगर लेकर पैदा होता है. किसी की मदद के लिए उसके गम में खोना पड़ता है. उससे जुड़ना पड़ता है.

राज ने बताया, “अगर मैं उसे अपने साथ घर पर नहीं लाता तो शायद वो चलते-चलते कहीं बहुत आगे चली जाती. वो चलती रहती और रात होने पर कहीं सो जाती. कोई अगर खाने को दे देता तो खा लेती नहीं नहीं तो भूखी-प्यासी भटकती रहती. कुछ दिनों में कपडे गंदे हो जाते. लोग उसे भिखारी समझने लग जाते और अच्छे-भले परिवार वाली प्रभा देवी भिखारियों जैसी लुप्त ज़िन्दगी जीने को मजबूर हो जाती या दिल्ली-एनसीआर की सड़कों पर इससे भी खराब हो सकता था. मैं खुश हूँ कि अब प्रभा देवी सुरक्षित तौर पर अपने घर पर अपने परिवार के साथ हैं.”

राज ने यह भी बताया, “अच्छे काम का नतीजा अच्छा ही होता है. मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से बहुत सारे ‘धन्यवाद’ के सन्देश प्राप्त हो रहे हैं. मुझे करीब 3000 लोग मेसेज भेज चुके हैं. गढ़वाली लोकगायक श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी का सन्देश भी मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुआ. उन्होंने मुझे समस्त गढ़वाल समाज की तरफ से धन्यवाद किया है. मुझे यह देखकर अच्छा लग रहा है कि लोग मुझे रोल मॉडल के रूप में देखकर मुझसे प्रेरणा ले रहे हैं.”

अगर राज ने पहल न की होती तो परिणाम कुछ और ही होता. इस खबर की ज़रिये हम आपसे यही कहना चाहते हैं कि अगर आपके सामने किसी की मदद करने का अवसर आये तो उसे न गंवाएं. ख़ुशी मिलती है सहायता करके. थोड़ी-थोड़ी मदद करके आप इस धरती को ही जन्नत बना सकते हैं.

Megha Verma
[email protected]
8800564441

Gunjan Mehta
[email protected]
8800694448

error: Content is protected !!