क्यो लॉंच करनी पडी डिस्क्लोजर स्कीम

नोटबंदी के 20 दिन बाद सरकार ने ब्लैक मनी पर डिस्क्लोजर स्कीम पेश कर सबको चौंका दिया। इसको लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। आखिर किन कारणों से सरकार को यह स्कीम लॉन्च करनी पड़ी है। एक्सपर्ट्स के अनुसार यह हैं कारण…
तेजी से वाइट हो रहा ब्लैक मनी
देश के मार्केट में इस वक्त 17 लाख करोड़ रुपये की करंसी है। इसमें 14 लाख करोड़ रुपये की करंसी 500 और 1,000 रुपये के नोट में थी। इन नोटों को सरकार ने बाहर कर दिया। सरकार के अनुसार, इन 14 लाख करोड़ रुपये में करीब 3 से 4 लाख करोड़ रुपये ब्लैक मनी है। नोटबंदी के जरिए सरकार ब्लैक मनी को मार्केट से बाहर करना चाहती है।
देश के मार्केट में इस वक्त 17 लाख मगर नोटबंदी के बाद जिस तरह से ब्लैकमनी को वाइट बनाने की रफ्तार तेज हुई, उससे सरकार को झटका लगा। लोग अपनी ब्लैकमनी को वाइट बनाने के लिए अधिक मात्रा में गोल्ड खरीद रहे है। 30 से 40 फीसदी कमीशन पर ब्लैक मनी को वाइट किया जा रहा है।
अगर पूरी ब्लैकमनी वाइट हो गई तो नोटबंदी के जरिए ब्लैकमनी को बाहर ले आने के सरकार के दावों का क्या होगा। ऐसे में सरकार पर सवालों की बौछार होगी कि अगर ऐसा ही होना था तो नोटबंदी क्यों की गई। क्यों आम आदमी को यह कहकर परेशानी में डाला गया कि देश के लिए कुछ परेशानियां सहो, क्योंकि इससे पूरे सिस्टम से ब्लैक मनी निकल जाएगी।
आरबीआई को यह डर
नोटबंदी के बाद आरबीआई को करीब 5 लाख करोड़ रुपये अनक्लेम्ड करंसी रह जाने की आशंका है। क्योंकि जिनके पास ब्लैक मनी है, वे या तो इसे नष्ट कर देंगे या फिर उसको क्लेम नहीं करेंगे। ऐसे में सरकारी खजाने में करीब 4 से 5 लाख करोड़ रुपये सीधे तौर पर आने की संभावना है।
ऐसे में आरबीआई फिर इतने नोटों की छपाई कर सकेगा। यह सरकारी खजाने की शोभा बढ़ाएंगे। मगर जो परिस्थितियां बन रही हैं, उसमें अनक्लेम्ड करंसी की संख्या कम होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। अब तो यह राशि 2 से 3 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है।
अफरा-तफरी के माहौल ने बिगाड़ा समीकरण
नोटबंदी के बाद जिस तरह से अफरा-तफरी का माहौल बन रहा है, उसने भी सरकार को ब्लैक मनी डिस्कलोजर स्कीम लाने के लिए शायद बाध्य किया। सबसे अधिक परेशानी की बात यह रही कि जनधन योजना के तहत खुले बैंक खातों में ब्लैक मनी खपाई गई। यह सिलसिला अब भी जारी है।
बैंकों में फर्जी खाते खोलकर ब्लैक मनी को जमा कराया गया। इसके लिए दूसरे के बैंक खातों के इस्तेमाल करने की खबरें सरकार को मिलीं। रियल एस्टेट्स में भी ब्लैक मनी को वाइट कराने की बातें सामनें आईं। इन सब पर सरकार ने कार्रवाई भी की। मगर मैनपावर की कमी ने सरकार के हाथों को बांध दिया है। इनकम टैक्स विभाग के पास मैनपावर कम है और काम ज्यादा है। ऐसे में सरकार को यह भी आशंका है कि कहीं ब्लैक मनी बाहर की बजाय मार्केट में ही वाइट न बन जाए।
क्या कुछ पेंच भी हैं इस स्कीम में
एक पेंच यह है कि ब्लैक मनी खुलासा करने के बाद बेशक उसके कुल राशि का 50 फीसदी वाइट बन जाएगा। बेशक उस व्यक्ति पर ब्लैक मनी को लेकर कोई मुकदमा नहीं चलेगा। मगर वह इनकम टैक्स विभाग की राडार में रहेगा। रेवेन्यू सेक्रेटरी सचिव हंसमुख अधिया के अनुसार अगर कोई डिस्क्लोजर स्कीम के तहत ब्लैक मनी की घोषणा करता है तो टैक्स विभाग उस आय के सोर्स के बारे में नहीं पूछेगा। अघोषित धन पर संपत्ति कर, दिवानी कानून तथा टैक्स से जुड़े अन्य कानून से छूट प्राप्त होगी लेकिन उसे फेमा, पीएमएलए, नारकोटिक्स और कालाधन कानून से कोई रियायत नहीं मिलेगी।
क्या है डिस्कलोजर स्कीम
कोई भी व्यक्ति अपने ब्लैक मनी का खुलासा कर सकता है। सरकार कुल ब्लैक मनी का 50 फीसदी टैक्स लेगी। 25 फीसदी राशि सरकार चार साल के लिए लॉकइन रखेगी। बाकी 25 फीसदी राशि ही व्यक्ति को दी जाएगी।

error: Content is protected !!