फसलों का पाले और शीतलहर से करें बचाव

अजमेर, 19 जनवरी। मौसम में बदलाव के कारण पाले तथा शीतलहर से फसलों को होने वाले नुकसान से बचाने के लिए विभिन्न उपाय काम में लिये जा सकते है।
कृषि विभाग के उपनिदेशक श्री वी. के. शर्मा ने बताया कि वर्षा की कमी एवं सीमित सिंचाई की परिस्थितियों के साथ समय-समय पर तापमान में गिरावट के कारण फसलों में पाला पडने की आशंका रहती है। इससे बचने के लिए फसलों में नियमित अंतराल पर सिंचाई की जानी चाहिए। भूमि की नमी सुरिक्षित रखने के लिए फसलों की निराई-गुडाई समय पर करनी चाहिए। खेत से निकली हुई खरपतवार को फसलों की कतारों के मध्य बिछाकर मल्चिंग की जानी चाहिए। सिंचाई स्प्रिकंलर, ड्रिप, पक्की नाली अथवा पाईप लाईन से करनी चाहिए। पाला पडने की आशंका के समय खेतो में सिंचाई कर देनी चाहिए। खेत के उतरी पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा को रोकने के लिए बोई हुई फसल के आस-पास एवं मेड़ पर कूडा-कचरा, घास-फूस आदि जलाने चाहिए। इसके अलावा फसलों पर गंघक के तेजाब (सल्फ्युरिक अम्ल) के एक प्रतिशत घोल का छिड़काव करना चाहिए। घोल बनाने के लिए एक लीटर सल्फ्युरिक अम्ल को एक हजार लीटर पानी में घोलकर एक हेक्टर में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिडकाव करना चाहिए। धातु के स्प्रेयर से परिणाम कम आते है। एक बार का छिड़काव पन्द्रह दिन तक फसल को पाले से बचा लेता है।

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