शबे कद्र मे पूरी रात मस्जिदों में हुई इबादत

अजमेर : । निकटवर्ती ग्राम दौराई मे रविवार देर रात 23 वीं शबे कद्र को शिया समुदाय की मस्जिदों में रातभर नमाजियों की चहल-पहल दिखाई दी जो नमाजे पढ़ते कुरान पढ़ते और खुसूसी आमाल अंजाम देते नजर आए। शिया जामा मस्जिद के इमामे जुमा मौलाना सैय्यद जिशान हैदर जैदी ने शबे कद्र के आमाल एंव (विशेष नमाज) पढ़ाने के साथ शबे कद्र के महत्व पर प्रकाश डाला। शबे कद्र की इस्लाम में बहुत अहमियत है। इसी रात में कुरान नाजिल किया गया। पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद ने रमजान की आखिरी दस रातों में शबे कद्र के तलाश करने का हुक्म दिया है। रमजानुल मुबारक का तीसरा असरा ढलान पर है। तीसरे असरे की 23वीं शब को शब-ए-कद्र के रूप में मनाया जाता है। बताया जाता है कि इसी मुकद्दस रात में कुरआन भी मुकम्मल हुआ

रमजान में बरकतों और रहमतों की होती है बारिश :

आॅल इण्डिया शिया फाउंडेशन अजमेर के प्रवक्ता मौलाना सैय्यद काजिम अली जैदी ने बताया की रमजान में बरकतों और रहमतों की बारिश होती है शबे कद्र की इसी रात में अल्लाह की इबादत करने वाले मोमिन के दर्जे बुलंद होते हैं। गुनाह बक्श दिए जाते हैं। दोजख की आग से निजात मिलती है। वैसे तो पूरे माहे रमजान में बरकतों और रहमतों की बारिश होती है। ये अल्लाह की रहमत का ही सिला है कि रमजान में एक नेकी के बदले 70 नेकियां नामे-आमाल में जुड़ जाती हैं, लेकिन शब-ए-कद्र की विशेष रात में इबादत, तिलावत और दुआएं कुबूल व मकबूल होती हैं।

शबे कद्र मे नाजिल हुआ कुरआन ।

फाउंडेशन के उपाध्यक्ष एंव शिया धर्मगुरु मौलाना सायम रजा ने शबे कद्र की फ़ज़ीलत बताते हुए कहा कि अल्लाह ताअला की बारगाह में रो-रोकर अपने गुनाहों की माफी तलब करने वालों के गुनाह माफ हो जाते हैं। इस रात खुदा ताअला नेक व जायज तमन्नाओं को पूरी फरमाता है। माहे रमजान मे कुरआन पढ़ने वाले शबे कद्र की इसी शब में कुरआन मुकम्मल करते हैं । इसके साथ घरों में कुरआन की तिलावत करने वाली मुस्लिम महिलाएं भी कुरआन मुकम्मल करती हैं।

अजीजो-अकारिब के लिए की जाती है दुआ :

शबे कद्र मे रात भर इबादत के बाद मुसलमान अपने रिश्तेदारों, अजीजो-अकारिब की कब्रों पर सुबह-सुबह फूल पेश कर फातिहा पढ़कर उनकी मगफिरत (मोक्ष) के लिए दुआएं भी मांगेंगे।

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